Monday, April 28, 2014

गुजरात के विकास की कीमत चूका रही है दम तोडती पश्चिम की गंगा

गुजरात के विकास की कीमत चूका रही है दम तोडती पश्चिम की गंगा दमन से अंबरीश कुमार पश्चिम कि गंगा यानी गुजरात के विकास की कीमत चुकाते हुए दम तोड़ रही है ।यह मुद्दा इस बार के लोकसभा चुनाव में दमन गंगा के किनारे जब उठ रहा था तब वाराणसी में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पूरब की गंगा को साफ़ करने का वादा नहीं इरादा बता रहे थे।पर इस इरादे पर मुंबई से करीब पौने दो सौ किलोमीटर दूर दमन के मछुआरों ज्यादा यकीन नहीं हो रहा था जिनकी जीविका गुजरात के विकास की भेट चढ़टी जा रही है ।गुजरात का वापी शहर देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है जिसका औद्योगिक कचरा दमन गंगा के पानी को जहरीला बना चूका है ।अब मामला सिर्फ इस नदी तक ही नहीं बचा है बल्कि उसके आगे बढ़ गया है ।दमन के जम्पोर समुद्र तट के किनारे का पानी काई बार गहरा काला नजर आता है ।वजह दमन गंगा करीब बारह किलोमीटर दूर वापी के उद्योगों से सारा जहरीला कचरा इस समुद्र तट पर पहुंचा रही है ।कई बार तो इस नदी को देख कर लगता है कि यह इन उद्योगों का कचरा बहाने का निजी नाला हो ।इसके चलते समुद्र तट के पच्चीस किलोमीटर दूर तक के समुद्री जीव जंतु और मछलियाँ ख़त्म हो गई है । मामला सिर्फ मछलियों के ख़त्म होने का नहीं है बल्कि भू जल के तेजी से प्रदूषित होने का भी है । गुजरात के उद्योगों का असर कई अंचल और नदियों पर पड़ रहा है ।इसे लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चेतावनी भी दे चूका है ।बोर्ड की कुछ महीने पहले जारी सालाना रपट में फिर दमन गंगा के प्रदूषण को लेकर चिंता जताई जा चुकी है ।इस सब के बावजूद कोई असर किसी पर भी पड़ता नजर नहीं आ रहा है ।कांग्रेस के नेताओं ने लोकसभा चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया तो मछुवारे भी यह सवाल उठाते है ।मोती दमन में रहने वाले प्रकाश तंदेल अब समुद्र में दूर तक शिकार करने जाते है क्योंकि आसपास मछली नही मिलती ।तंदेल ने कहा -साहब वे अपनी इस गंगा को गन्दा होने से बचा नहीं पाए और बड़ी गंगा को साफ़ करने की बात कर रहे है ।यह सवाल ज्यादातर मछुवारे उठाते है तो दमन के आम लोग भी ।क्योंकि दमन गंगा का पानी जहरीला होने की वजह से सभी को प्रभावित कर रही ।अब दमन के मध्यवर्गीय परिवारों में मिनरल वाटर के बड़े बड़े कैन इस्तेमाल हो रहे है ।भूजल भी इतना ख़राब हो रहा है कि लोग फ़िल्टर पानी की बजाए बाहर से मिनरल वाटर कैन मांगना ज्यादा बेहतर मानते है । केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2007 से 2009 तक अध्ययन कर जारी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि देश के 88 औद्योगिक क्षेत्र्रों में से 75 फीसद भारी प्रदूषण युक्त हैं। भारी प्रदूषण वाले प्रमुख दस क्षेत्रों में गुजरात का वापी शहर दूसरे नंबर पर था जबकि अंकलेश्वर पहले नंबर पर ।गुजरात के अन्य प्रदूषित शहरों को तो छोड़ ही दे सिर्फ वापी ही आसपास का माहौल बूरी तरह प्रदूषित कर चूका है और उसका सबसे ज्यादा असर दमन गंगा पर पड़ा है ।पर प्रदूषण दूर होने की बजाय और बढ़ा जिसकी पुष्टि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2013 में जारी रपट में की गई । इस रपट में दमन गंगा के प्रदूषण को विभिन्न मनको के जरिए दर्शाया गया है । इन मानकों में प्रमुख है जैव रासायनिक आक्सीजन मांग जिसे ' बीओडी ' कहते है किसी भी नदी में प्रदूषित खंड वह क्षेत्र है जहां पानी की गुणवत्ता का वांछित स्तर बीओडी के अनुकूल नहीं होता। जिन जलाशयों का बीओडी 6 मिलीग्राम1 से ज्यादा होता है उन्हें प्रदूषित जलाशय कहा जाता है। नदी के किसी भी हिस्से में पानी की उच्च गुणवत्ता संबंधी मांग को उसका निर्धारित सर्वश्रेष्ठ उपयोग समझा जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो मानक तय किए है उसमे श्रेणी ए के तहत जल की गुणवत्ता बताती है कि बिना किसी शोधन के वह पेयजल स्रोत है जिसमें कीटाणुशोधन के बाद, घुल्य ऑक्सीजन छह मिलीग्राम1, बीओडी 2 मिलीग्राम1, या कुल कॉलिफॉर्म 50एमपीएन100 एमएल होना चाहिए।श्रेणी बी का पानी केवल नहाने योग्य होता है। इस पानी में घुल्य ऑक्सीजन पांच मिलीग्राम1 या उससे अधिक होना चाहिए और बीओडी -3एमजी1 होना चाहिए। कॉलीफार्म 500 एमपीएन100(वांछनीय) होना चाहिए लेकिन यदि यह 2500एमपीएन 100 एमएल हो तो यह अधिकतम मान्य सीमा है।श्रेणी सी का पानी पारंपरिक शोधन और कीटाणुशोधन के बाद पेयजल स्रोत है। घुल्य ऑक्सीजन 4 मिलीग्राम1 या उससे अधिक होना चाहिए तथा बीओडी 3 मिलीग्राम1 या उससे कम होना चाहिए तथा कॉलीफार्म 5000एमपीएन100 एमएल होना चाहिए। श्रेणी डी और ई का पानीद्ग वन्यजीवों के लिए तथा सिंचाई के लिए होता है। घुल्य ऑक्सीजन 4 मिली ग्राम1 उससे अधिक होना चाहिए तथा 1.2एमजी1 पर मुक्त अमोनिया जंगली जीवों के प्रजनन एवं मात्स्यिकी के लिए अच्छा माना जाता है। पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जब दमन गंगा नदी के पानी की जाँच की तो पता चला कि अधिकतम बीओडी स्तर 15.1 मिलीग्राम है । यह जाँच 24 अप्रैल 2011 को नानी दमन में हुई तो बाद में फिर दस फरवरी 2012 को दोबारा पानी का सैम्पल लिया गया तो बीओडी का स्तर 37 मिलीग्राम मिला । यह खतरनाक स्तर है और यह भी दर्शाता कि दमन गंगा में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है । पानी की गुणवत्ता के अन्य मानक का हवाला भी इस रपट में दिया गया है पर बीओडी से काफी कुछ साफ़ हो जाता है ।सीधे शब्दों में यह पानी न पीने लायक है और न ही दुसरे इस्तेमाल के लायक बचा है । इससे साफ़ है कि गुजरात के विकास की कीमत अब जल जंगल और जमीन को चुकाना पड़ रहा है ।दमन पुर्तगाली संस्कृति को संजोए हुए खूबसूरत सैरगाह है जो गोवा और दीव का हिस्सा भी है ।कभी यह मछुवारों की बस्ती हुआ करता था और आसपास के ज्यादातर गाँव के लोग नदी और समुद्र की मछली पर निर्भर थे ।पर पिछले तीन दशक में मछुवारों का व्यवसाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है और मछली का कारोबार भी करीब बीस फीसद घट गया है ।मछली का व्यवसाय घटा तो शराब का धंधा बढ़ गया ।वजह समुद्र में प्रदूषण के चलते मछुवारों को अब शिकार के लिए दूर तक जाना पड़ता है और इस वजह से लागत भी बढ़ जाती है ।दूसरी तरफ मछलियाँ भी कम मिलती है । बढती आबादी के साथ ही मछली पकड़ने वालों की संख्या भी बढ़ी है । दमन के समुद्र तट के पास आज भी दमन गंगा में अलग अलग रंग के झंडे वाली नावें दिखती है जो तडके शिकार के लिए निकलती है ।पर अब इन नावों में बहुत सी नावें कड़ी नजर आएँगी क्योकि इनपर जाने वाले मछुवारे दुसरे धंधे में लग गए है ।नानी दमन में जहाँ पर दमन गंगा और अरब सागर का पानी मिलता है वहाँ पर कुछ मछुवारों से बात हुई तो उनका कहना था कि अब इस धंधे में परिवार चलाना मुश्किल होता जा रहा है ।जितना डीजल और बाकी चीजों पर खर्च होता है वह ही नहीं निकल पाता।नदी का पानी बहुत ख़राब हो चूका है और फैक्ट्री का कचरा समुद्र में डाला जा रहा है तो मच्छी कैसे मिलेगा ।किसी को परवाह ही नहीं है ।मछुवारों की इस बात से विकास की असली तस्वीर भी सामने आ जाती है और नेताओं के वादे और इरादे भी ।वापी की आबोहवा तो ख़राब हो ही चुकी है अब इसका असर दमन पर भी दिखने लगा है ।जो सैलानी दमन आता है वह समुद्र का प्रदूषित पानी देखने के बाद दोबारा नहीं आना चाहता ।कई बार तो समुद्र के किनारे ही मरी हुई मछलियाँ उतराती नजर आती है जिसके चलते आसपास के रिसार्ट के लोग भी परेशान हो जाते है क्योंकि यह दृश्य किसी भी पर्यटक को रास नहीं आता है ।यहाँ बड़ी संख्या गुजरात से आने वाले पर्यटकों की होती है जो ड्यूटी फ्री शराब और समुद्र तट का आनंद उठाने आते है ।दिसंबर के अंत में ज्यादा भीड़ होती है पर दमन गंगा नदी और समुद्र देख कर वे भी सहम जाते है । इसीलिए दमन में यह राजनैतिक मुद्दा भी बना । नानी दमण माछीवाड की कोठापाठ शेरी में जब एक उम्मीदवार केतन पटेल की पत्नी टि्वंकल पटेल मछुवारों की बस्ती में माछीमार महिलाओं से मिली तो यही मुद्दा उठा । कोठापाठ शेरी में दमन जिले के दूसरे क्षेत्रों की तरह पीने के पानी की सबसे बडी समस्या है इसके अलावा दमणगंगा नदी से समुद्र तट पर फैले प्रदूषण से भी कोठापाठ शेरी की महिलाएं परेशान है। इन महिलाओं ने नदी को साफ़ करने की गुहार लगाईं क्योंकि यह नदी उनका परिवार भी पालती रही है ।इससे दमन गंगा की त्रासदी को समझा जा सकता है ।दमन के लोग गुजरात से यह उम्मीद लगाए बैठे है कि वे अपनी इस गंगा को पहले साफ़ करेंगे जो विकास की कीमत दे चुकी है ।साभार -नवभारत टाइम्स

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