Friday, April 4, 2014

हार जीत से आगे की लड़ाई लड़ रही है सोनी सोरी

दंतेवाडा से अंबरीश कुमार दंतेवाड़ा ।जगदलपुर में लोकसभा का चुनाव अब तेज हो चूका है ।पोस्टर ,बैनर और झंडे को आधार माने तो भाजपा और कांग्रेस के अलावा यहाँ कोई लड़ ही नही रहा है ।पर दूर दराज के गांवों में जाने पर और लड़ाई नजर आती है ।यह लड़ाई लड़ रही है सोनी सोरी । सोनी सोरी ने गीदम में इस संवाददाता से कहा -यह लड़ाई चुनाव की जीत हार से आगे की है ।यह लड़ाई जल जंगल बचाने की है । आम ,इमली , महुआ और चिरौजी पर आदिवासियों के हक़ की है ।भालू ,भैसा और पहाड़ी मैना बचाने की है ।बस्तर बचाने की है । वह बस्तर जो कारपोरेट लूट का बड़ा केंद्र बनाया जा रहा है ।यहाँ के चालीस फीसद जंगल पिछले कुछ दशक में कट चुके है । प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते आदिवासी समाज जंगल से बाहर धकेला जा रहा है ।इसी के प्रतिकार की नई लड़ाई शुरू हो चुकी है । सोनी सोरी उसी लड़ाई का प्रतीक बनी हुई है ।पुलिसिया दमन जितना सोनी सोरी ने झेला है वह किसी से छुपा नहीं है । बस्तर की यह बेटी अब एक बड़ी राजनैतिक लड़ाई लड़ रही है । मुकाबले में कथित विकास वाली पार्टियाँ है और दुष्प्रचार का एक बड़ा तंत्र भी ।दबाव सत्ता का है ,तो बंदूक की नाली से सत्ता तक पहुँचने वालों का का भी ।इसलिए यह लड़ाई बहुत आसान भी नहीं है ।दुर्भाग्य यह है कि शहरों में राजनीति करने वाले इस लड़ाई को समझ भी नहीं पा रहा है जो यहाँ के जंगलों में लड़ी जा रही है ।पर जन आंदोलनों के कार्यकर्त्ता भी सोनी सोरी के समर्थन में आ रहे है । डा सुनीलम बस्तर में दो दिन से जमे हुए है और सोनी सोरी के प्रचार अभियान को ताकत देने के लिए जंगल जंगल घूम रहे है । वे माओवादियों के असर उन इलाकों में भी जा रहे है जहाँ लोग दिन में भी जाने से डरते है ।गीदम बैलाडीला के आगे हाट बाजारों में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हुए डा सुनीलम ने कहा - पिछले कई दशक से बस्तर में जल जंगल और जमीन की लूट के साथ पुलिस दमन तथा सम्मान से जीवन जीने के अधिकार को लेकर जो संघर्ष चल रहा है उस आवाज को सोनी सोरी के माध्यम से ही संसद तक पहुँचाया जा सकता है ।वे सरकार से यह भी अपील कर रहे है कि बस्तर से अर्ध सैनिक बालों को हटाकर माओवादियों से बातचीत की जाए और निर्दोष आदिवासियों लगाए गए फर्जी मुक़दमे वापस हों ।साथ ही राजनैतिक बंदियों को रिहा किया जाए । वे सभाओं में बीडी शर्मा की उस अपील का भी हवाला दे रहे है जिसमे शर्मा ने उम्मीद जताई है कि उनके गाँव गणराज्य (यानी मेरे गाँव में मेरा राज्य ) की अवधारणा को बस्तर के लोग आगे बढ़ाएंगे । उधर मुख्यधारा के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा इसे विकास बताते है और उनके लोग चुनाव से पहले के दूसरे इंतजाम में जुटे है । वे मतदान से पहले जगह जगह आदिवासियों को दारू मुर्गा पहुँच जाए यह सुनिश्चित करने की कवायद में जुटे है ।जबकि सोनी सोरी आदिवासियों से एक पायली धान मांग रही है । एक पायली यानी करीब पौने दो किलो धान । माइक लगी गाडियां इस आदिवासी अंचल में मोदी के सत्ता में आने का आगाज कर रही है तो दूसरी तरफ पंजा छाप यानी राहुल गाँधी के फोटो वाली बड़ी बड़ी होर्डिंग्स भी मुकाबला कर रही है । पर इन दोनों दलों की प्राथमिकता में आदिवासियों का मुद्दा नजर नहीं आता ।जगदलपुर से करीब पचास किलोमीटर दूर जंगल में एक आदिवासी तपती धूप में महुआ बटोरता नजर आता है ।आधी टोकरी ताजा महुआ के फूल से भारी नजर आती है ।कितना पैसा इसका मिलेगा तो पूछने पर वह कुछ संदेह और हैरानी से देखता है । कुछ ठहर कर जवाब देता है -एक किलों सूखा महुआ का आठ दस रुपया मिल जाता है । यह आधी टोकरी महुआ सूखने पर मुठ्ठी भर सूखा महुआ में बदल जाएगा । इसकी बाजार में कीमत बीस रुपए से ज्यादा है । दस से पंद्रह रुपया उस बिचौलिया का होता है जो जगदलपुर से रायपुर में रहता है । महुआ तो एक उदाहारण है । आम ,इमली और चिरौजी का भी यही हाल है । यह गैर आदिवासी बिचौलिया पहले वोट डालता था अब वोट मांग कर विधान सभा तक पहुँच चूका है ।यह बदलाव पिछले करीब दो दशक का है । बस्तर में नई लड़ाई इसी बिचौलिये और ठेठ आदिवासी समाज के बीच की है ।जिसे मीडिया का एक हिस्सा भ्रमित करने का पूरा प्रयास कर रहा है । यहाँ आने पर बताया गया कि सोनी सोरी के लिए बाहर से भारी मदद आ रही है और सैकड़ों एनजीओ काम पर लगे है ।पर जमीनी सच्चाई दूसरी नजर आई । एक कार्यकर्त्ता सोनी सोरी से कह रहा था कि कोई पोस्टर अब तक नही आया है ,बैनर भी नहीं है जो कही बांधा जा सके ।दूर के गांवों तक जाने के लिए साधन नहीं है । ऐसे में चुनाव कैसे लड़ा जाएगा ।फिर कांग्रेस और भाजपा वाले दोनों तरह तरह के दुष्प्रचार में लगे है ।जगदलपुर से दंतेवाड़ा तक पहुँचते पहुँचते तस्वीर साफ़ हो जाती है । सोनी सोरी का चुनाव प्रचार सबसे अलग है ,इसे प्रचार अभियान जैसा कहा भी नहीं जा सकता है । हाट बाजार और छोटे छोटे कस्बों में भी सोनी सोरी का कोई बैनर पोस्टर नजर नही आता । वे गाँव गाँव खुद जा रही है पांच छह लोगों के साथ । इन लोगों में ज्यादातर बस्तर के लोग है बाहर के नहीं ।इसकी एक वजह आदिवासियों से संवाद की भी है । जंगलों के बीच बसे गांवों में हल्बी से लेकर गोंड तक अपनी बोली में ही बात समझ सकते है और कह सकते है । उनका अपना समाज है और उसके अलग तौर तरीके है । ऐसे में रोज सुबह सात आठ बजे जंगल में बसे गांवों की तरफ जाने से पहले सोनी सोरी को थाने जाकर पहले हाजिरी देनी होती है । थाने से मुक्त होने के बाद वे कुछ आदिवासियों से साथ निकलती है ।शहरी इलाके की सिर्फ एक महिला उनके साथ नजर आती है । ना कोई कार्यकर्ताओं की भीड़ और ना कोई तामझाम ।वें जैसी एक गाड़ी नजर आती है वह भी गीदम में उनके घर के पास । भानुपुरी से लेकर जगदलपुर और फिर दंतेवाड़ा तक के सफ़र में सोनी सोरी का कोई झंडा बैनर नजर नही आता ।पर गांवों में बात करने पर यह जरुर पता चलता है कि सोनी सोरी चुनाव लड़ रही है । ' हर नर मोदी घर घर मोदी ' का नारा एक घर के बाहर लिखा मिलता है तो सामने ही एक नौजवान भी खड़ा नजर आता है । बताता है कि विधानसभा में भाजपा हार गई थी पर जीत जाएगी ।रमन सरकार बहुत अच्चा काम कर रही है इसलिए भाजपा की बढ़त है । यह नौजवान राजपूत था ।राजपूत बिरादरी सरकार के साथ पुरी ताकत से खड़ी है ।समूचे छतीसगढ़ में यह देखा जा सकता है ।इसके बाद वैश्य बिरादरी सरकार और पार्टी दोनों का पुरजोर समर्थन करती नजर आएगी । इन्हें जोगी का डर दिखा कर ठीक से जोड़ दिया गया है । इसका असर बस्तर में साफ़ दिखता है ।अगड़ी जातियां भाजपा के साथ खड़ी है । पर दलित आदिवासी समाज का रुख अलग है । पर जब सभी मुख्य उम्मीदवार आदिवासी हो तो वोट भी बटेगा और उसमे फायदा उसी को होगा जिसके साथ अगड़ी जातियों का शहरी वोट भी हो ।इस राजनैतिक समीकरण में सोनी सोरी कितना सफल होंगी यह अभी कहा नहीं जा सकता । बस्तर में उस तरह का निम्न और मध्य वर्ग नहीं है जैसा दिल्ली में है । इसलिए बस्तर में सोनी सोरी को अपनी ताकत पर ही चुनाव लड़ना है । जगदलपुर में कुछ स्थानीय उत्साही नौजवान और महिलाएं उनके प्रचार में जरुर जुटी हुई है ।पर किसी को भी चुनाव वाला राजनैतिक अनुभव नहीं है । इसलिए शहरी इलाकों में सोनी सोरी का चुनाव प्रचार बिखरा हुआ नजर आता है । फिर भी छात्र राजनीति से निकले रजनीश अवस्थी पूरी शिद्दत से सोनी सोरी के चुनाव की कमान संभाले हुए है । रजनीश अवस्थी ने कहा -बस्तर में सोनी सोरी के चुनाव लड़ने से मुकाबला तिकोना हो चूका है । नतीजे चौका भी सकते है । इस बीच प्रशांत भूषण और स्वामी अग्निवेश के चुनाव प्रचार में आने की खबर से कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ रहा है । जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

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