Friday, April 4, 2014
नगालैंड-दिल्ली की तैयारी में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो
नगालैंड-दिल्ली की तैयारी में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो
कोहिमा से रीता तिवारी
पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में लोकसभा चुनाव का समीकरण दिलचस्प है. नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेता और मुख्यमंत्री नेफ्यू रिओ ने राज्य की इकलौती लोकसभा सीट पर परचा भर दिया है. उनकी तमन्ना अब दिल्ली जाकर राष्ट्रीय राजनीति का स्वाद चखने की है. उनके खिलाफ इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के.वी.पूसा मैदान में हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह दोनों उम्मीदवार अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
हालांकि विपक्षी कांग्रेस ने खुद मैदान में उतरने की मुख्यमंत्री रिओ के फैसले की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि राज्य की समस्याओं से मुंह चुरा कर अब वे दिल्ली भागने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन रिओ इस आरोप को खारिज करते हैं. वे कहते हैं, मैं मुख्यमंत्री की आरामदेह कुर्सी छोड़ कर राष्ट्रीय राजनीति में एक बडी भूमिका निभाना चाहता हूं. उनकी दलील है कि दिल्ली में रह कर नगालैंड के विकास में अहम भूमिका निभाई जा सकती है. लगातार तीन बार जीत कर नगालैंड की राजनीति में इतिहास रचने वाले रिओ की पार्टी एनपीएफ ने अबकी केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के समर्थन का फैसला किया है. रिओ कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार से खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस को समर्थन देने के बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीते दस वर्षों में एक बार भी नगालैंड का दौरा नहीं किया.
एनपीएफ का आरोप है कि यूपीए सरकार ने राज्य के लिए तैयार नेशनल हाइवे और रेलवे परियोजनाओं को दूसरे राज्यों में शिफ्ट कर दिया है. रिओ कहते हैं कि वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य के दौरे के समय 1500 करोड़ के विशेष पैकेज का एलान किया था. लेकिन यूपीए सरकार ने उसे लागू ही नहीं किया.
इस सीट के लिए मैदान में उतरे नगालैंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मंत्री के.वी.पूसा ने एनपीएफ सरकार पर भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. वे कहते हैं कि राज्य के विकास में नाकाम रहे मुख्यमंत्री अब नगालैंड छोड़ कर दिल्ली भागना चाहते हैं. पूसा ने रिओ के फैसले को अप्रत्याशित बताते हुए कहा है कि दूसरे राज्यों में सांसद मुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब रहते हैं. लेकिन यह पहला मौका है जब कोई मुख्यमंत्री सांसद बनने के लिए बेताब है.
नगालैंड के पूर्व सांसद डब्ल्यू वांग्यू कोन्याक भी पूसा की बात का समर्थन करते हैं. उनका कहना है कि रिओ अब एनडीए सरकार बनने की स्थिति में केंद्र में मंत्री बनना चाहते हैं. इसके अलावा राज्य को भारी वित्तीय घाटे की स्थिति में पहुंचा देने के बाद वे अपनी जिम्मेदारियों से भागने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस ने यहां जारी एक बयान में कहा है कि आगामी चुनावों ने वोटरों के सामने एक अहम चुनौती पेश कर दी है. लोगों को यह तय करना है कि क्या वे एनपीएफ के 11 वर्षों के कुशासन के बाद भाजपा जैसी सांप्रदायिक ताकत से हाथ मिलाने वाले एनपीएफ और उसके नेता रिओ को जिताएंगे. पार्टी का आरोप है कि रिओ सरकार ने पिछले एक दशक के दौरान राज्य के विकास के लिए कोई काम नहीं किया है. विकास के मद में आवंटित रकम दूसरे मदों में खर्च की गई है जबकि राज्य के लोग बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. राज्य में सड़कें भी बदहाल हैं. कांग्रेस ने रिओ और उनकी पार्टी पर करोड़ रुपए खर्च कर मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश जैसी पड़ोसी राज्यों में पार्टी का प्रचार-प्रसार करने का भी आरोप लगाया है.
विपक्ष ने यहां आधारभूत सुविधाओं की कमी और विकास को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया है. चार महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक हड़ताल पर हैं.
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