Tuesday, April 8, 2014

मुस्लिम धर्मगुरुओं के बयानों भ्रमित हो गया मुस्लिम वोटर

मुस्लिम धर्मगुरुओं के बयानों भ्रमित हो गया मुस्लिम वोटर काजि़म रज़ा शकील लखनऊ। आम चुनाव से ठीक पहले मुस्लिम धर्मगुरुओं के बयानों से मुस्लिम वोटर भ्रम की स्थिति में आ गया है। भ्रम की स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि धर्मगुरुओं ने चुनावी बिसात पर साफ दिखते भी नहीं सामने आते भी नहीं की तर्ज पर अपना कारनामा अंजाम दे दिया है। किसी भी धर्मगुरू ने साफ तौर पर यह नहीं बताया है कि किस प्रत्याशी को या फिर किस पार्टी को वोट दिया जाए लेकिन यह कहकर शोशा छोड़ दिया है कि न तो बीजेपी को चुनना है न कांग्रेस को चुनना है लेकिन जिसे चुनना है उसे सेक्युलर चुनना है। मुसलमान बेचारा सेक्युलर के नाम पर भ्रम का शिकार हो गया है। मुसलमान भ्रम का शिकार नहीं हुआ होता अगर धर्मगुरू सीधे-सीधे अपनर मंशा स्पष्टï कर देते कि किसे वोट देना है। धर्मगुरू खुद बता देते कि कौन सी पार्टी सेक्युलर है और उसे जितवा कर सेक्युलरिज्म को बचाया जा सकता है। चुनाव सर पर आ गये हैं और मुस्लिम वोटर यही समझ नहीं पा रहा है कि किस पार्टी को सेक्युलर मानकर उसे वोट कर दिया जाए। आम तौर चुनावों में मुस्लिम वोटर कि भूमिका बहुत अहम् होती है और उत्तर प्रदेश विधान सभा के दो चुनावों में तो मुस्लिम वोट कि वजह से ही एक बार बीएसपी और इस बार समाजवादी पार्टी कि सरकार पूर्ण बहुमत से बनी दोनों पार्टियों ने इस बात को मानती भी हैं, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर जारी धर्मगुरुओं कि अपीलों ने मुसलमानों के सामने भ्रम कि स्थिति पैदा कर दी है कि वोट किसको दें। मौलाना अहमद बुखारी पहले ही कांग्रेस के सामर्थन का एलान कर चुके हैं जिसके पीछे दो वजह नजऱ आती है कि बीजेपी की टक्कर कांग्रेस से ही नजऱ आती है और दूसरी कांग्रेस की मुस्लिम मसाएल पर आश्वासन लेकिन आज लखनऊ प्रेस क्लब में हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स ने इस भ्रम को और भी बढ़ा दिया कि इस श्रेणी में अब समाजवादी पार्टी भी आ गयी इस प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मौलाना कल्बे जवाद ने कांग्रेस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए मुसलमनों से अपील कि की कि वह लोकसभा में बीजेपी और कांग्रेस को वोट न दें इस अवसर पर मौजूद मौलाना याहिया बुखारी ने बीजेपी के गुजरात दंगों का जि़क्र किया और कांग्रेस के कई फसाद का जि़क्र कर दोनों को खड़ा कर दिया उन्होंने मुजफ़्फर नगर फसाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस को ही कसूरवार ठहराया और कहा कि मुजफ़्फरनगर काण्ड मुलायम सिंह की पार्टी की हुकूमत में हुआ और कांग्रेस के राहुल गांधी जब मुजफ़्फरनगर दौरा करने आये तो मुसलमानों ने उनसे पैकेज मांगा लेकिन उन्होंने कुछ नहीं दिया। मुजफ़्फरनगर में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों जि़म्मेदार है आज कि प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कांग्रेस, बीजेपी का विरोध, इसके साथ ही मुजफ़्फरनगर में समाजवादी पार्टी कि भूमिका और धर्मगुरुओं की सेकुलर उम्मीदवारों को वोट देने की अपील फिर किसी भी पार्टी के सेकुलर के समर्थन में खुलकर न आने से यही लगता है कि अगर मुसलमान विरोध करेगा और वोट करेगा तो वह भ्रम कि स्थिति में होगा कि सपा, बीजेपी और कांग्रेस के अलावा किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट दे वैसे खुलकर नहीं बंद अल्फ़ाज में मौलाना याहिया यह गए कि नए को मौका दें और वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी का समर्थन कर चुके हैं तो क्या उनके मुताबिक आप को मुसलमान वोट दे कुल मिलाकर मुसलमानों में भ्रम है कि वोट किसको दे। बीजेपी से टक्कर लेने वाली कांग्रेस या फिर सेकुलर चेहरे वाले एक हलके के सभी को वोट कर तकसीम हो कर बीजेपी को फायदा पहुंचाये। कानपुर के मौलाना रज़ी अहमद के अनुसार हम इस बार किसी कि अपील पर ध्यान न देकर यह चाहते हैं कि वोट उसको दें जो बी जे पी को हरा सके उनका कहना था कि अगर कोई मुस्लिम उम्मीदवार है और वह जीतने की हैसियत में नहीं है तो हम हिन्दू सेकुलर को वोट देना चाहेंगे उन्होंने कहा कि हमारा मकसद मोदी की बी जे पी को हराना है। वहीं एक मौलाना जो कि नाम न छपने कि शर्त रखते हैं उन्होंने कहा कि हम लोगों ने एक मुस्लिम उम्मीदवार कि हिमायत से इंकार कर दिए क्यों कि वह जीतने कि स्थिति में नही हैं बल्कि उनकी हिमायत होती है तो बीजेपी जीत जायेगी। मौलाना तस्नीम मेहदी कहते हैं कि इस व़क्त मुद्दा यह है कि हमें यह देखना है मोदी को रोकने कि ताकत किसमे है और वह किस पार्टी का है ज़रूरी है बी जे पी को रोकने के लिए किसी सेकुलर जीतने वाले उम्मीदवार कि हिमायत कर उसकी जीत यकीनी बनाये उनके अनुसार मुस्लिम हितों कि बात करने वाले सेकुलर उम्मीदवार को वोट देना चाहिए। मुस्लिम सियासी मामलों के जानकार प्रोफेसर रमेश दीक्षित के अनुसार जिस तरह से अपील हो रही है उससे मुल्जि़म वोट बंट जायेगा जिसका सीधा फायेदा बी जे पी को होगा उनहोंने कहा कि मुसलमान अपने धर्मगुरुओं की बात मानता है ऐसे में अगर कोई खुली अपील किसी के समर्थन में होती और सिर्फ विरोध की ही अपील होती है तो वोट बंटने कि ज्य़ादा उम्मीद है उन्होंने कहा कि अगर धर्मगुरु विरोध की अपील करें तो किसी के समर्थन कि भी अपील करें कि वोट दें किसे। और अपील सभी को एक करने कि ज़रुरत है वह कहते हैं कि यह सही है कि मुसलमानों को वोट के नाम ठगा गया है और उसके लिए रणनीति बनायी जाये ।जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

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