Tuesday, April 8, 2014

तमिलनाडु-गठबंधन का फायदा भाजपा को ?

तमिलनाडु-गठबंधन का फायदा भाजपा को ? चेन्नई से प्रदीप कुमार चेन्नई।आगामी लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन के बनने के साथ ही इसका सबसे अधिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को ही मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय सहयोगी डीएमडीके, पीएमके और एमडीएमके से पूरे वोट ट्रांसफर होकर भाजपा को मिलेंगे। जहां तक पार्टी और उसके सहयोगी दलों की लोकसभा सीट जीतने की क्षमता का सवाल है बहुदलीय संघर्ष में यह परिवर्तित होगा और स्थानीय तथ्यों तथा उम्मीदवार व दल पर निर्भर करेगा। राज्य में पिछले चुनावों का रिकार्ड भी इस बात का संकेत देता है कि भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों को मोदी लहर के कारण मात्र कुछ वोट मिलने की आशा है। लेकिन यदि जमीनी स्तर पर एकता सुनिश्चित होती है तो पीएमके और डीएमडीके जैसे क्षेत्रीय दल अपने अपने संबंधित वोट बैंक को परस्पर एक दूसरे से दिला सकेंगे। क्या है भाजपा का पिछला रिकार्ड भारतीय जनता पार्टी के चुनाव रिकार्ड की जहां तक बात है, पिछले दो चुनाव 2009 के संसदीय चुनाव और 2011के विधानसभा चुनाव दोनों ही पार्टी ने अपने बलबूते लड़ा। 2009 में पार्टी को 21 (कुल 39 संसदीय क्षेत्र) संसदीय क्षेत्रों में उ मीदवार नहीं मिल रहा था जो चुनाव लड़े। 2011 के विधानसभा चुनाव में 204 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मात्र 2.55 प्रतिशत मत मिले। पिछले संसदीय चुनावों में पार्टी के उ मीदवारों को 10,000 से भी कम वोट मिले। यह मत 18 उ मीदवारों में से उन चार को मिला जिन्होंने चुनाव लड़े। केवल दो संसदीय क्षेत्र कन्याकुमारी और रामनाथपुरम ऐसे रहे जहां के पार्टी उ मीदवारों को 50,000 से अधिक वोट मिला। गठबंधन में डीएमडीके की स्थिति इसके विपरीत अभिनेता विजयकांत के नेतृत्व वाली डीएमडीके को पुदुचेरी समेत तमिलनाडु के 40 लोकसभा में 2009 के दौरान 10.08 प्रतिशत मत मिले थे। पार्टी के उ मीदवारों का प्रदर्शन अच्छा रहा। 26 उ मीदवारों को 50,000 से एक लाख वोट मिले केवल चार क्षेत्रों में 50,000 से कम वोट मिले। 9 उम्मीदवारों को एक लाख से अधिक वोट मिले। हालांकि डीएमडीके प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने में असफल रहा और पार्टी विधायक अलग हो गए। बावजूद इसके पार्टी के वोट बैंक खिसकने के कोई साक्ष्य नहीं है। उत्तरी क्षेत्रों में पीएमके का प्रभाव वर्तमान संदर्भ में पीएमके के वोट बैंक का आधार स्पष्ट नहीं है। पार्टी 1998 से किसी एक गठबंधन का हिस्सा नहीं रही है। अलग अलग गठबंधनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही। बहरहाल पार्टी का वन्नियर प्रभुत्व वाले राज्य के उत्तरी व उत्तरी पश्चिम संसदीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है। ऐसे में गठबंधन के सहयोगी को बेहतर लाभ मिल सकता है। इसके अतिरिक्त पिछले साल पार्टी ने गैर दलित जातियों के एक मंच पर लाने की बात की थी जिसका उद्देश्य वोट बैंक को नया रूप देना था। 12 संसदीय क्षेत्रों पर केएमडीके का प्रभाव इसी तरह कोन्गुनाडू मक्कल देसिय कच्ची (केएमडीके) ने पश्चिमी क्षेत्र में कोन्गु गाउन्डर समुदाय का अच्छा खासा मत प्राप्त किया था। 2009 में कोन्गुनाडू मक्कल कच्ची ने 12 संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी खड़े किए और तीन स्थानों पर पार्टी उ मीदवारों को एक लाख से अधिक मत प्राप्त हुए। दो क्षेत्र ऐसे थे जहां 50,000 से अधिक मत पार्टी प्रत्याशियों को प्राप्त हुए। यह पार्टी अब तीन भागों में बंट चुकी है लेकिन समुदाय का वोट गठबंधन को मिल सकता है। कड़े मुकाबले में एमडीएमके महत्वपूर्ण जहां तक एमडीएमके का सवाल है इसके समर्थक राज्य भर में हैं और जब कांटे के मुकाबले की स्थिति होगी तो इसके समर्थकों का कुछ हजार मतों का योगदान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था । यह 1998 से किसी न किसी गठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रही है, ऐसे पार्टी का वास्तविक वोट प्रतिशत निकालना मुश्किल है।जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

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