Saturday, June 16, 2012

२६ जून, प्रतिपक्ष नपुंशक है की कहानी कहता है

चंचल २६ जून, प्रतिपक्ष नपुंशक है की कहानी कहता है --------- अभी अभी जापान से स्वस्ति जी ने एक सवाल पूछा है - के बारे में .ब्राजील की वीरा रईस की उत्सुकता है 'इमरजेंसी '? इलाहाबाद पुलिस और अदालत ने मिल कर सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय को किताब रखने और पढ़ने के जुर्म(?) में आजीवन कारावास के सजा पर २६ जून से किसी आंदोलन की शुरुआत करने की बात हो रही है ,यह सूचना हमें नीलाक्षी जी से मिली .गो कि इस विषय पर अम्बरीश जी ,वीरेंद्र यादव जी ,संदीप वर्मा जी ,प्रमोद जोशी जी ,....तमाम लोग जो संवेदन शील हैं इस फैसले पर दुखी हैं .अर्चना झा गुस्से में हैं .. जुगनू शारदेय ने तो इस अदालत को रंडीखाना तक कह डाला.( आप मेसे बहुत से लोग जुगनू शारदेय को भूल चुके होंगे ,जुग्नूजी पत्रकार ,साहित्यकार .फिल्म निदेशक और खुल्लम खुल्ला लड़ाई लड़ने वाले जांबाज हैं .जिन्हें सच कहने में कोइ परहेज नहीं रहा है ) मै व्यक्तिगत तौर पर नीलाक्षीजी से अनुरोध कर रहा हूँ कि आप मेहरबानी करके किसी आंदोलन की शुरुआत २६ जून से मत करियेगा .क्यों ? वह मै बताना चाहता हूँ .एक दिन संदीप वर्मा ने हमें छेड़ा (यह उनकी आदत है और हमें उनकी यह आदत पसंद है ) २६ जून जिस दिन इमरजेंसी लगी कुछ लोग उस दिन को त्यौहार की तरह मनाते हैं ..संदीप जी ने चिकोटी काटा -त्यौहार मनायेगे क्या ? हमने कहा नहीं ,लेकिन असलियत बतायेंगें ..यह 'सुलेख' उन तमाम दोस्तों के नाम है जो जैल के बाहर थे और जैल की जलालत झेल रहें थे ,जो अंदर थे वो आजाद होकर गए थे ,आजादी से रह रहें थे और आजाद की तरह जैल से बाहर आये .लेकिन इसकी सच्चाई तो जाने .. पिछले आलेख में हमने बताया कि ७३ में अहमदाबाद से बच्चों का एक आन्दोलन शुरू हुआ समोसा के बढे दाम की वजह से .इसमें कई और बाते जुड़ती गयी .नाकारा प्रतिपक्ष ,सिंडिकेट ताकतें ,समाजवाद से त्रस्त पूजीवादी घराने (६९ नेकीरामनगर कांग्रेस का फैसला जिसने तमाम पूजीपतियों की चूलें हिला दी थी ) सब एक साथ हो गए .जे. पी. पर दबाव पड़ा और वो भी इस आंदोलन में कूद पड़े .यहाँ एक विषयान्तर कर रहा हूँ - जे पी. ४७ के हीरो हैं ,हजारीबाघ जैल लांघ कर भागे हुए बहादुर सेनानी हैं ,गांधी के चहेते हैं लेकिन साथ के दसक तक आते आते भुलाए जा चुके हैं .डॉ लोहिया प्रतिपक्ष की राजनीती में एकमात्र चमकते सितारे हैं लेकिन असमय ही मृत्यु सैया पर हैं .दिन में प्रभावती (जी पी. की पत्नी ) रात में जे.पी. लोहिया की देखभाल कर रहें हैं एक दिन डॉ लोहिया ने जे. पी. से कहा -तुम इतिहास में ज़िंदा रहना चाहते हो तो एक बार जेल जरूर चले जाना ..... / १२ जून ७५ को जगमोहन सिन्हा का फैसला आया इंदिरा गांधी के खिलाफ और इमरजेंसी लग गयी . नीलाक्षी जी ! अब देखिये आज जो लोग इमरजेंसी को भुनाना चाहते हैं उनकी शक्ले कितनी घिनौनी है .इमरजेंसी २६ जून को लगी ,२६ जून के बाद इमरजेंसी के खिलाफ कोइ लड़ाई हुई ? नहीं .. इमरजेंसी के खिलाफ अगर कोइ लड़ा तो व्यक्तिगत तौर पर जार्ज हैं 'दाइनामाईट कांड ' जिसमे एक पत्रकार के. विक्रम राव भी शामिल रहें हैं जिनका जिक्र आज अम्बरीश भाई ने किया ... नीलाक्षी जी आपातकाल प्रतिपक्ष के लिए नपुंशक राजनीति का दिन है .साम्यवादियों ने तो पहले ही हथियार डाल दिए थे ,संघियों ने घुटने टेक कर माफी नामा भेजा ..लड़ाई तो कांग्रेस से निकले समाजवादी कांग्रेस ने ही लड़ा .. आख़िरी बात कह दूँ ... कांग्रेस का विकल्प कांग्रेस है ....प्रमोद जोशी जी आगे आप बता दें ..

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