Friday, June 8, 2012

कन्नौज में बिना लड़े हारा विपक्ष

सविता वर्मा लखनऊ,जून ।कन्नौज में डिंपल यादव से समूचा विपक्ष बिना लड़े हार गया । यह ऐतिहासिक चुनाव रहा जहा घर परिवार से बाहर निकल कर एक महिला खडी हुई और समूचे विपक्ष को लड़ाने लायक एक अदद उम्मीदवार तक नही मिला । यह समाजवादी चिन्तक राम मनोहर लोहिया की भी सीट रही है । कम से प्रतीक की लड़ाई तो लड़ी जा सकती थी । कांग्रेस और बसपा ने इस चुनाव में आत्मसमर्पण किया तो भाजपा ने राजनैतिक सौदेबाजी का सार्वजनिक प्रहसन किया । दोनों राष्ट्रीय दलों ने जो किया उसपर सवाल उठ रहा है ,बसपा का यह पुराना हथकंडा है जो हार से बचने के लिए मैदान ही छोड़ देती है । कांग्रेस और भाजपा दोनों की राजनैतिक दशा और दिशा इससे साफ़ हो गई । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अभी कोई ऐसा काम नही किया है जिससे आगे का राजनैतिक एजंडा साफ़ होता नजर आए पर ऐसा भी कोई काम नही किया है जिससे उनपर उंगली उठाई जाए । ध्यान रखे आक्रामक बयान देने के बावजूद मायावती के बुतों को छुआ तक नहीं गया है । ऐसे में कन्नौज की यह सफलता अखिलेश यादव की पहली बड़ी राजनैतिक उपलब्धी मानी जा रही है तो अखिलेश के राज में विपक्ष की पहली बड़ी शिकस्त । कन्नौज में विपक्ष किसी को उतरता तो उसकी हार होनी थी पर वह विपक्ष जो पंडित जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी तक के खिलाफ उम्मीदवार इसी उत्तर प्रदेश में उतरता रहा उससे इस तरह मैदान छोड़ने की उम्मीद किसी को नही थी । इससे उत्तर प्रदेश के राजनैतिक हालत का भी अंदाजा लगाया जा सकता है । साफ़ है विधान सभा चुनाव की हार से विपक्ष अभी तक नही उबर पाया है । कांग्रेस के लिए राष्ट्रपति चुनाव का बहाना है पर भाजपा को मुलायम सिंह से फिलहाल कौन सी राजनैतिक मदद की जरुरत थी ।कन्नौज में भाजपा ने जो किया उससे पार्टी नेताओ की फिर फजीहत हुई है । भाजपा चुनाव में उतरने का एलान कर भी चुनाव से जिस तरह से बाहर हुई वह मुलायम सिंह के साथ भाजपा के कुछ नेताओ की मिलीभगत का एक और उदाहरण है । भाजपा नेताओ ने ऐसा काम किया जिससे सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी वाली कहावत चरितार्थ हो गई । कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओ ने ऐसा समझौता किया जिससे चुनाव की औपचारिकता भी पूरी हो गई और मुलायम से संबंध भी बरक़रार रहा । पार्टीय ने बड़ी ना नुकुर के बाद चुनाव में उम्मीदवार उतरने का फैसला किया । इससे पहले टंडन ने निकाय चुनाव के नाम पर इस चुनाव से दूर रहने का माहौल बनाया था । बाद में पार्टी ने जगदेव यादव को उम्मीदवार बनाने का एलान किया । और जगदेव यादव नामांकन वाले दिन दोपहर 12.30 बजे लखनऊ से रवाना हुए और जाहिर है वे नामांकन के निर्धारित समय अपराह्न तीन बजे तक कन्नौज नहीं पहुंच सकते थे और नही पहुंचे । भाजपा ने इसके लिए सपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए रास्ते में दो स्थानों पर रोके जाने का आरोप लगाया है। लखनऊ से कन्नौज की दूरी करीब सवा सौ किलोमीटर है और कोई भी गंभीर उम्मीदवार नामांकन के लिए समय से कुछ देर पहले ही पहुँचता है ,पर अगर झांसा देना हो तो बात अलग है । इस घटना भाजपा का चाल , चरित्र और चेहरा और साफ़ कर दिया ।

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