Wednesday, April 4, 2012

दिलीप कुमार ,वैजंती माला और होटल नार्टन


अंबरीश कुमार
यह फोटो रानीखेत के ब्रिटिश दौर के होटल नार्टन की है जो अपने आप में बहुत रोचक इतिहास भी समेटे है । इस होटल में एमएफ हुसैन जैसे चित्रकार रुकते थे तो विमल राय समेत अपने ज़माने के कई मशहूर अभिनेता और अभिनेत्रियाँ भी । पंडित जवाहर लाल नेहरु यहाँ नहीं रुके पर उनका खाना यही से बनकर उनके सरकारी अतिथिगृह तक पहुँचाया गया था । आजादी से पहले रूस से आए एक मुस्लिम परिवार ने इस होटल को तब खोला जब ब्रिटिश सैनिकों के परिवार वालों को यहाँ रुकने की दिक्कत हुआ करती थी । यह इस अंचल का सैन्य मुख्यालय भी है और आजादी के दौर में यहाँ बहुत कम आबादी थी । अगर आप रानीखेत गए हो तो माल रोड के अंतिम छोर पर जहाँ एक रास्ता कुछ आगे जाकर करीब करीब बंद हो जाता है वही दो मोड़ के बीच यह होटल आज जर्जर हालत में है । सामने ही जंगलात विभाग का भव्य डाक बंगला है तो बगल में पर्यटन विभाग का गेस्ट हाउस । पहली बार जब रानीखेत गया तो इसी गेस्ट हाउस के जंगल से लगे अंतिम कक्ष में रुकना पड़ा था और खाना खाने के बाद बैरा ने चेतावनी दे दी थी कि रात में बाहर मत निकलिएगा यहाँ काफी बाघ निकलते है । बाद में जब चौबटिया गार्डन की तरफ चढ़ रहे थे तो सड़क के किनारे जगह जगह बोर्ड लगे थे जिन पर लिखा था -बाघों को पहले रास्ता दे फिर आगे बढे । इससे देवदार के घने जंगल में बसे इस इलाके का अंदाजा लगाया जा सकता है । रानीखेत देश का बहुत पुराना हिल स्टेशन है जहाँ पहले बहुत jहोटल भी नहीं थे और न आबादी क्योकि सेना के अधीन होने की वजह से यहाँ भी निर्माण पर रोक है । इससे यह सैरगाह बचा हुआ भी है ।
दूसरी ,तीसरी बार रानीखेत आए तो जंगलात विभाग के डाक बंगले के साथ इस नोर्टन होटल में रुके तब इसके बारे में सब पता चला । दीवार पर हुसैन ही नहीं कई मशहूर चित्रकारों की बनाई कला दिख रही थी । रात में जब बैठे तो इसके मालिक शायद मोहम्मद भाई ने इसका इतिहास बताया । इस होटल में ही मधुमती समेत कई फिल्मों की शूटिंग हुई । दिलीप कुमार ,प्राण से लेकर वैजन्ती माला यही ठहरे भी । सिर्फ वे ही नहीं दर्जनों मशहूर फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियाँ यहाँ रुकते क्योकि कोई और होटल भी नहीं था । इससे पहले ब्रिटिश सैनकों के पारिवार वालों को यहाँ की आबो हवा में रुकना बहुत पसंद था और इस होटल का मुगलई व्यंजन भी । उस दौर में कोई भी मशहूर हस्ती रानीखेत आती तो उनके लिए खाना यही से जाता । होटल मालिक की माँ खुद सरे मसाले कूट कर तैयार करती और उन्ही के निर्देश में देशी विदेशी व्यंजन भी बनते । उन्होंने उस दौर के कई रोचक किस्से भी सुनाए जिन्हें यहाँ समेटना मुश्किल होगा । यह होटल आज जर्जर भले हो गया हो पर इसका इतिहास बहुत समृद्ध है । रानीखेत आज भी अन्य पहाड़ी सैरगाहों से अलग हटकर काफी सुकून देने वाला है बशर्ते आप बाजार में न रुके । इस मामले में पर्यटन विभाग का गेस्ट हाउस काफी शांत जगह है पर उसकी बुकिंग पहले से करना जरुरी है ।

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