Wednesday, April 4, 2012

उत्तर प्रदेश का संगठन कांग्रेस दिल्ली के रिमोट से चलाएगी

अंबरीश कुमार
लखनऊ , अप्रैल । उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की करारी हार के बावजूद कांग्रेस ने कोई सबक नहीं लिया है । प्रदेश की हार की समीक्षा देश की राजधानी में होगी । यह बात औरों के गले से नीचे क्या उतरेगी जब पार्टी के नेता ही इसके पक्ष में ना हो है । इसी दिल्ली के चक्कर में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में निपटी है और फिर उसी रास्ते पर है । गौरतलब है कि चुनाव के दौरान श्रीप्रकाश जायसवाल ने यह बयान भी दिया था कि राहुल गांधी तो रीमोट से भी यह प्रदेश चला सकते है ।अब लग रहा है वह शुरू हो गया है बस फर्क इतना है कि सरकार चलाने का मौका भले न मिला हो पार्टी चलाने का विकल्प तो है ही । चुनाव के दौरान राहुल गांधी जिन्हें दूसरे दौर के बाद याह अहसास हो गया था कि बजी हाथ से निकल रही है और वे काफी आक्रामक हो गए थे । मार डालो ,काट डालो वाली राजनीति से भी एक कदम आगे बढ़कर कागज ही सही पर फाड़ डालों वाला अंदाज सुर्खियां बन गया था । पर यह सब कोई काम न आया । लेकिन राहुल गांधी ने उस समय कहा था - चुनाव में हार हो या जीत मै उत्तर प्रदेश छोड़कर नहीं जाऊंगा । यह बात अलग है कि नतीजों के बाद वे आराम के लिए विदेश चले गए । पर अब उनकी अनुपस्थिति का लोग संज्ञान लेने लगे है ।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस इस बार अपने गढ़ में भी हारी और बुरी तरह हारी । न सोनिया रायबरेली ,अमेठी का गढ़ बचा पाई और न प्रियंका गांधी । और तो और खिलाड़ी से महारानी बनी अमिता सिंह भी अपना किला नहीं बचा पाई । राजा रानी सब हारे। इसके बाद अगर कांग्रेस ने बड़े स्तर पर संगठन में बदलाव नहीं किया और प्रदेश में कोई जनाधार वाला नेतृत्व सामने नहीं किया तो फिर नगमा , जीनत अमान के सहारे लोकसभा का मुकाबला नहीं कर पाएगी । अब अखिलेश यादव का राज है जो अपने चुनावी एजंडा से राहुल गांधी को शिकस्त दे चुके है और अब सरकार के कार्यक्रमों के साथ वे नए राजनैतिक मुकाबले की तैयारी में जुट गए है ।इसलिए अब उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के सामने चुनौती भी बड़ी है और रास्ता भी रपटीला ।
ऐसे में कांग्रेस का उत्तर प्रदेश की हार का हिसाब किताब दिल्ली में करना आजीब माना जा रहा है । राजनैतिक टीकाकार सिद्धार्थ कलहंस ने कहा -न जाने कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है। नतीजों के बाद से वे राहुल राहुल गांधी गायब है जो वादा कर गए थे कि उत्तर प्रदेश नहीं छोडूंगा । अब लोग उन्हें ढूंढ़ रहे है और वे गायब है ।लागता है इस हार का कोई सबक नहीं सीखा । वैसे भी उत्तर प्रदेश में राजबब्बर के अलावा कोई कद्दावर नेता भी नहीं दिखाई देता जिससे पार्टी आगे बढ़ पाए ।इस बीच मीडिया कोआर्डिनेटर और पूर्व एमएलसी सिराज मेंहदी ने राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस पार्टी को उम्मीद के अनुरूप सफलता न मिलने के संबंध में आगामी पांच और छह अप्रैल को नई दिल्ली में बुलाई गई समीक्षा बैठक को नई दिल्ली के बजाय लखनऊ में कराया जाए । सिराज मेंहदी ने इस बारे में जनसत्ता से कहा -यह सिर्फ सुझाव है जिसका फायदा पार्टी को मिल सकता है । आगामी एक-दो माह में ही उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं। इसलिए यदि उपरोक्त समीक्षा उत्तर प्रदेश में होगी तो पार्टी के लिए काफी बेहतर होगी और इससे कार्यकर्ताओं को अपनी बात नेतृत्व के सामने रखने में अधिक आसानी होगी।

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