Sunday, April 22, 2012

आंदोलन की ताकते भी टीम अन्ना साथ छोड़ने लगी

अंबरीश कुमार लखनऊ , २२ अप्रैल । अन्ना हजारे के अराजनैतिक टीम की अराजनैतिक सोच पर राजनैतिक महत्वकांक्षा के चलते अब जमीनी आंदोलनों से जुड़े लोग कटते जा रहे है । एकता परिषद के पीवी राजगोपाल से लेकर पानी आन्दोलन के राजेंद्र सिंह आदि तो बहुत पहले ही कट चुके थे अब धीरे धीरे वे लोग भी जा रहे है जो राजनैतिक समझ और लम्बी दूरी की राजनीति के साथ अन्ना हजारे से जुड़े थे । जयप्रकाश आंदोलन से निकली छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के ज्यादातर कार्यकर्त्ता अब निकल रहे है । मेधा पाटकर की सक्रियता अब प्रतीकात्मक नजर आ रही है तो बाकि समूह हरिद्वार की बैठकों में ज्यादा समय दे रहे है । जन संगठनों का कहना है कि इस टीम के एजंडा में न तो नौजवान है और न किसान । न इन्हें जल जंगल जमीन की चिंता है और न ये कार्पोरेट घरानों की लूट पर कोई सवाल खड़ा करना चाहते है । न इन्हें दलित की चिंता है और न मुसलमान की । ये सिर्फ चेहरों की राजनीति कर रहे है । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा -ये तो हमेशा से चेहरे की राजनीति करते रहे है । अन्ना हजारे के चेहरे के आसपास अपना चेहरा रखकर । क्योकि हजारे के अलावा कोई ऐसा चेहरा भी नहीं है जिसे देश के सामने ईमानदारी का चेहरा बताया जा सके । ऐसे में किसी भी आंदोलन का कोई चेहरा जो बड़ा हो सकता है है उसे धीरे धीरे बाहर कर दिया जाता है । टीम अन्ना न तो खुद कभी किसी जमीनी आंदोलन से जुडी रही है और न उन्हें इस सब में कोई दिलचस्पी है । अब बाबा रामद्र्व का आंदोलन आकर ले रहा है वे किसान से लेकर नौजवान का सवाल उठाने जा रहे रहे है तो इस टीम के कुछ सदस्य उसका विरोध कर रहे है । यह ठीक नहीं है । दूसरी तरफ मुस्लिम महिलाओं में काम करने वाली तहरीके निसवां इ अध्यक्ष ताहिरा हसन ने कहा -टीम अन्ना की साख ख़त्म होती जा रही है । अब तो वे उसी राजनैतिक दलों की तरह आपस में लड़ रहे है जिन्हें कोसते थे । इनका तो टुच्चा सा विवाद भी राष्ट्रीय हो जाता है । दुर्भाग्य यह है कि ये न तो कभी जन विरोधी आर्थिक नीतियों पर कुछ बोलते है और न कारपोरेट घरानों को लूट खसोट पर । इनके एजंडा में न तो गरीबी होती है और न भुखमरी । ऐसे में यह खाए पीए और अघाए लोगों का आंदोलन है जिसकी जमीन खिसक चुकी है । राजनैतिक टीकाकार वीरेंद्र नाथ भट्ट ने कहा -इस टीम की राजनैतिक समझ तो गजब की है दिसंबर की कड़ाके की ठंढ में उत्तर भारत में जेल भरो का नारा दे देते है और खुद मुंबई चले जाते है । अब जून की भीषण गरमी में अन्ना हजारे को घुमवा कर यह उन्हें फिर अस्पताल पहुंचा देंगे,क्योकि अनशन तो हमेशा अन्ना करते है टीम अन्ना तो टीवी पर रहती है । पीवी राजगोपाल देश में संघर्ष के बड़े बड़े कार्यक्रम कर रहे है उनके समर्थन में फ़्रांस पर लोग सड़क पर उतर आते है पर कभी मीडिया में उन्हें नहीं देखा । इन सब प्रतिक्रिया से साफ है कि अन्ना हजारे और उनकी टीम इस समय जिस संकट से गुजर रही है अगर वे इससे नहीं निपट पाए तो इसकी साख और घटेगी । समर्थन की संख्या तो पहले ही घट चुकी है । jansatta

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