Friday, September 28, 2012

वेगाटार समुन्द्र तट की एक शाम

अंबरीश कुमार पणजी से फेरी जैसे ही मांडोवी नदी पर करती है एक छोटा सा गाँव बेती आता है जहाँ से कलंगूट के लिए बस मिलती है ।पणजी और बेती के बीच मांडोवी नदी है जिसमे अरब सागर का पानी भी आ मिलता है ।इस पर एक पुल भी बना है जिसका रास्ता काफी लम्बा है जिसकी वजह से आमतौर पर लोग फेरी से बेती जाते है ।बनती से
का सफ़र करीब एक घंटे का है हालाँकि दूरी सिर्फ सोलह किलोमीटर है लेकिन यह बस हर गाँव में रुकते हुए चलती है ।रस्ते में पड़ने वाले गाँव लैंडस्केप की तरह नजर आते है ।इन गांवों का हर मकान वास्तुकला का खूबसूरत नमूना है ।आखिर गरीब लोग तो गोवा में भी है लेकिन उत्तर भारत की तरह उनके रहन सहन से गरीबी की कोई झलक नही मिलती ।चाहे ईसाई हो या हिन्दू या फिर मुसलमान सभी के घर एक जैसे और काफी साफ़ सुथरे है । घर से बाहर एक छोटा सा बगीचा और उसमे दौड़ते कुत्ते बिल्ली के बच्चे ।समूचे गोवा में लोग बिल्ली पालते है । पुर्तगाली और फ्रांसीसी वास्तुकला का असर भी देखने को मिलता है ।गाँव का कोई भी घर उजाड़ या पुराना नजर नहीं आता । रंगों का प्रयोग खूबसूरती से किया दिखता है ।गोवानी समाज अपनी इसी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है ।यहाँ का समाज न सिर्फ खुला समाज है बल्कि उसे अपनी परम्पराओं और संस्कृति से काफी लगाव है ।यह बात सभी धर्मो में बराबर है ।गोवा ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ सामान धार्मिक कानून लागू है ।लोगो को यहाँ धर्म संबंधी सारी आजादी भी है । यहाँ के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा सांस्कृतिक प्रदूषण से नजर आता है यह बात कलंगूट ,वेगाटार ,अंजुना और बागा बीच जाने पर साफ़ हो जाती है । एक समय कलंगूट और अंजुना समुंद्र तट हिप्पियों के चलते रष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गए थे । हिप्पियों की अपसंस्कृति का मुकाबला गोवानी समाज ने काफी समय तक किया । आज से करीब दो दशक पहले कलंगूट का समुंद्र तट ऐसा नहीं था । शाम होते ही कलंगूट का यह छोटा सा गाँव किसी बड़े क्लब और कैसिनो में तब्दील हो जाता था । समुंद्र तट की रेट पर ही बीयर और फेनी की बोतले खुलती थी । कुकुरमुत्तों की तरह पसरे दर्जनों ढाबों में अंग्रेजी गानों की आवाज दूर तक गूंजती थी । गोवा को देखने के लिए पणजी से ओल्ड गोवा की यात्रा इतिहास में पहुँचाने वाली है । मांडोवी के किनारे किनारे सेंत आगस्टीन चर्च चर्च तक पहुँचने में कई भव्य चर्च नजर आते है । इसमे सबसे भव्य है 'बासिलिका आफ बोम जोसस '। १६ वीं शताब्दी में बने इस चर्च की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति है । इसमे सेंट फ्रांसिस जेवियर का शरीर रखा गया है ,पर यह 'ममी ' नहीं है क्योकि इसपर रसायनों का लेप या पट्टी आदि नहीं है । उसे एक शीशे के बाक्स में रखा गया है जिसको लेकर कई तरह की किवदंतियां है । यह चर्च नवजात जीसस को समर्पित किया गया है । यही वह जगह है जिसे १५१० में अफोंसों डे अल्बुकर्क ने जीत कर पुर्तगाली साम्राज्य का पूर्वी मुख्यालय बना दिया था । बासिलिका आफ बीम जोसस की यह इमारत गोथिक वास्तुकला का नायब नमूना है । इस चर्च को अब विश्व परंपरा का हिस्सा मान लिया गया है । इसके आलावा कैथेड्रिल है जो एक मस्जिद की जगह बनाया गया है । यह चर्च पहले सेंट कैथरीन को समर्पित किया गया था । इसी में मशहूर गोल्डेन बेल है जिसकी आवाज कभी पणजी तक सुनी जाती थी । चर्च में लगी यह घंटी दुनिया भर में मशहूर है । कभी इसका इस्तेमाल लोगों को दुश्मनों के हमले से आगाह करने के लिए किया जाता था । इसकी एक और खासियत इसमे बनी कब्रें है जिनमे इसके वास्तुशिल्पी की कब्र भी शामिल है । यह चर्च करीब नब्बे वर्ष में बनकर तैयार हुआ जिसकी शुरुआत १५१० में हुई थी । इसके अन्दर दो बालकनी भी नजर आती है जिसमे एक शासकों के परिवार के लिए बनाई गई थी । इसके अलावा ओल्ड गोवा के प्रमुख चर्चों में सेंट फ्रांसिस आफ अस्सीसी ,काजेरान , चर्च आफ अवर लेडी आफ रोजरी और नन्री आफ शांता मोनिका भी शामिल है । गोवा के शांत खड़े चर्च सैकड़ों साल का इतिहास समेटे हुए है जिनकी भव्यता आज भी बरकरार है । चर्च के अलावा गोवा में कई मशहूर मंदिर भी है जिनमे मंगेशी और सीता दुर्गा मंदिर शामिल है । मंगेशी गाँव के पास यह मंदिर बना हुआ है । इसी गाँव के लोग आपने नाम के आगे ' मंगेशकर 'लगाते है । गोवा में चर्च है तो मंदिर मसजिद और किले भी कम नहीं । मसजिदों में १५६० में इब्राहिम आदिलशाह की बनवाई शफा मसजिद भी मशहूर है । गोवा का आगुदा फोर्ट पुर्तगालियों ने १६०९ में बनवाया हा ताकि ओल्ड गोवा को दुश्मनों के हमले से बचाया जा सके । फिलहाल यह किला जेल में तब्दील हो चुका है । इस किले के पास से पणजी का खुबसूरत दृश्य नजर आता है । फिर भी गोवा का मुख्य आकर्षण यहाँ के समुंद्र तट ही साबित होते है । वेगातार समुंद्र तट तक पहुँचते पहुँचते शाम हो जाती है । लेकिन चट्टानों पर आघात करती लहरों को हम देखते ही रह जाते । यहाँ सामने एक रेस्तरां नजर आता है । बेगाटार पणजी से २२ किलोमीटर दूर एक शांत जगह है । एक तरफ नारियल के जंगल है तो दूसरी तरफ समुंद्र । खेत काफी पीछे रह गए है । यहाँ से बागा तट का रास्ता हैरान कर देने वाला है । दूर तक फैले धान के खेतों में सड़क एक पगडंडी जैसी नजर आती है । बीच में एक जगह सड़क के दोनों ओर नारियल के पेड़ों की कतार नजर आई जिसके ख़त्म होते ही लहर जैसी कोई नदी । पुल से कुछ आगे जाने पर ही बागा तट आ जाता है । समुंद्र में डूब रहे सूरज को देखते समय आवाज थी तो सिर्फ लहरों की और अँधेरा गिरने लगा था । काफी देर बैठे रहे समुंद्र के सामने पड़े पत्थरों पर ।

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