Tuesday, September 25, 2012

अखिलेश सरकार को कही संकट में न डाल दे दंगों की साजिश !

अंबरीश कुमार
लखनऊ,२५ सितंबर।उत्तर प्रदेश फिर बारूद के ढेर पर बैठा नजर आ रहा है । पिछले छह महीने में छह बार कट्टरपंथी ताकतें प्रदेश को मजहबी दंगों की आग में झोंकने का प्रयास कर चुकी है पर फिलहाल उन्हें यह सफलता नहीं मिली । पर पुलिस प्रशासन की भूमिका कई जगह विवादों में रही है । खास बात यह है कि इस बार प्रदेश की कट्टरपंथी हिंदू ताकतों की जगह बाहरी ताकत की भूमिका नजर आ रही है जो अल्पसंख्यकों को भड़का रही है । चाहे लखनऊ हो या मसूरी दोनों जगह अल्पसंख्यकों को मोहरा बनाने की कोशिश हुई और वे बने भी ।ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक नवरात्र के साथ ही एक बार यह कोशिश की जाएगी जब दुर्गा पूजा और दशहरा का उत्सव मन रहा होगा । फिलहाल अभी तक जिस अंदाज में पुलिस प्रशासन ने दंगों से निपटने का प्रयास किया है यदि उसमे बदलाव नहीं हुआ तो अखिलेश सरकार के दमन पर बड़ा दाग भी लग सकता है ।खास बात यह है कि इस बार जिस तरह का फसाद हो रहा है उसमे वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों एक ही भाषा बोल रहे है ।बहरहाल अब सरकार और सत्तारूढ़ दल दोनों इसे लेकर गंभीर हुए है । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज साफ़ कहा कि सांप्रदायिक ताकतों का मजबूती से मुकाबला किया जाएगा । समाजवादी पार्टी इसके पीछे राज्य के राजनैतिक दलों की भूमिका भले देखे पर यह साफ़ है कि कट्टरपंथी हिंदू ताकते उस तरह नजर नहीं आती जैसे पहले के दंगों में दिखाई पड़ी थी । पूर्वांचल में जहाँ योगी का दबदबा रहा है वहा अभी तक कोई ऐसी शुरुआत नहीं हुई है । गोरखपुर ,बस्ती ,बलरामपुर ,आजमगढ़ और आसपास के अन्य जिलों में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है ।उलटे दूसरे और नए शहर निशाने पर है ।पर इन दंगों के पीछे कौन है यह सवाल पूछने पर भाकपा के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र ने कहा -चाहे लखनऊ हो या मसूरी ,पहली बार अल्पसंख्यक तबका आक्रामक होता नजर आ रहा है । पहले जिस तरह संघ परिवार के संगठन इस तरह की गतिविधियों में नजर आते थे वे दिख नहीं रहे ।लखनऊ में जो फसाद हुआ उसकी प्रतिक्रिया जैसी मेरी थी ठीक वही लालजी टंडन की थी । यह पहले कभी नहीं हुआ ।बहरहाल अभी तक यह मजहबी टकराव में नहीं बदला है यह गनीमत है पर अब मुख्यमंत्री को आगाह हो जाना चाहिए ।दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा -लखनऊ ,कानपुर ,इलाहाबाद और मसूरी सब जगह देख ले किसने शुरुआत की । जब किसी को यह महसूस हो जाए कि सरकार ने उन्हें छूट दे दी है तो यह होगा ही । पुलिस को जब यह सन्देश हो कि एक खास समुदाय पर कड़ाई न होने पाए तो वही होगा जो गाजियाबाद में हुआ ।यह हो सकता है कि बाहरी लोग भड़का रहे हो पर ये इतनी जल्दी भड़क क्यों जाते है । इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में आनेवाले दिनों में सांप्रदायिक हिंसा होने की आईबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) की आशंका गम्भीर मामला है। समाजवादी पार्टी की सरकार इस सम्बन्ध में पहले से सचेत है क्योंकि जातीय और सांप्रदायिक ताकतें विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त खाकर कुंठित और हताश है। राज्य सरकार इन तत्वों की साजिशों को किसी भी सूरत में कामयाब नहीं होने देगी। अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही यह घोषणा की थी कि समाजवादी पार्टी सरकार में सांप्रदायिक शक्तियों को सिर उठाने का मौका नहीं दिया जाएगा। प्रदेश के किसी भी हिस्से में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों के प्रति कठोरता से पेश आया जाएगा और इस सम्बन्ध में कलेक्टर और एसपी जिम्मेदार होंगे । जनसत्ता

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