Sunday, September 2, 2012

क्या समाजवादी मोर्चा बना पाएंगे मुलायम !

अंबरीश कुमार
लखनऊ, सितबंर। देश के मौजूदा राजनैतिक माहौल में एक गैर कांग्रेस और गैर भाजपा विकल्प को लेकर अन्य राजनैतिक धाराओं के कार्यकर्ताओं के बीच सुगबुगाहट तेज होती जा रही है जिसमे बिहार से लेकर ओड़िसा तक विभिन्न जन आंदोलनों के कार्यकर्त्ता भी शामिल है । खास बात यह है कि तीसरे खेमे के नेतृत्व के नाम पर मुलायम सिंह यादव का नाम चर्चा में आ रहा है पर उनका आंदोलनकारी जमात से फिलहाल कोई संवाद नहीं है और उनका रुझान दलीय धुर्वीकरण की तरफ ज्यादा है । जबकि बड़े बदलाव के लिए इन ताकतों को एकजुट करने से समाजवादी पार्टी का दायरा और व्यापक हो सकता है । राजनैतिक हलकों में माना जा रहा है कि संसद में धरना देकर मुलायम सिंह ने पहली बार कांग्रेस को चुनौती देने का सन्देश दिया है जिससे उनकी साख बढ़ी पर अगर इसके आगे वे नहीं बढे तो ज्यादा दूर तक की राजनीति नहीं हो पाएगी । उनसे लोग बड़ी भूमिका की उम्मीद कर रहे है जैसे कभी देवीलाल ,वीपी सिंह या एनटी रामराव जैसे नेताओ से की थी ।क्यों नहीं वे सभी समाजवादी ,गाँधीवादी और क्षेत्रीय ताकतों का मोर्चा बनाने की दिशा में पहल करते है । पार्टी उत्तर प्रदेश के साथ जबतक अन्य राज्यों में अपनी ताकत नही बढ़ाएगी तबतक उसकी क्षेत्रीय पहचान ही बनी रहेगी । मुलायम सिंह के साथ रहे मध्य प्रदेश के किसान नेता डा सुनीलम के मुताबिक देश में जिस बड़े पैमाने पर गांधीवादी, सर्वोदयी संस्थाएं काम करती हैं यदि वे समाजवादियों के साथ खड़ी हो जाएं तो देश को हिलाने का काम कर सकती है।सुनीलम की यह टिपण्णी महत्त्वपूर्ण है क्योकि आज समाजवादी धारा की सबसे बड़ी पहचान मुलायम सिंह ही है जो गैर कांग्रेस और गैर भाजपा किसी नए धुर्वीकरण को आकर दे सकते है । पर इसके लिए उन्हें अन्य दूसरे राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाना होगा या समाजवादी ,गांधीवादी धारा के साथ अन्य जनसंगठनों को एकजुट कर उन्हें ताकत देनी होगी जो ज्यादा आसान रास्ता है । दूसरी तरफ संघर्ष वाहिनी मंच के संयोजक राजीव हेम केशव ने कहा - पिछले छह महीने की राजनीति में पहली बार बड़ा राजनैतिक सन्देश मुलायम सिंह ने संसद में धरना देकर दिया वर्ना वे कांग्रेस के संकटमोचक ही बने हुए थे । दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की सरकार का अभी कोई राष्ट्रीय स्तर का राजनैतिक संदेश नहीं गया है और सभी कुछ दिन और इंतजार भी कर रहे है । पर मुलायम सिंह को तो अब बड़ी भूमिका का कोई संदेश तो देना ही होगा । उनसे लोग अब देवीलाल या रामराव जैसी भूमिका की उम्मीद कर रहे है ।वे क्यों नहीं समाजवादी ताकतों के साथ अन्य धर्म निरपेक्ष ताकतों का मोर्चा बनाते है । नाम तो कोई भी हो सकता है ।वे कई नई पहल कर सकते है ।देश में ऐसे बीस पच्चीस संसदीय क्षेत्र है जहाँ से दिग्गज समाजवादी नेता चुनाव जीतते रहे है । महाराष्ट्र तो समाजवादी आन्दोलन का गढ़ रहा है । यदि समाजवादी धारा के इन गढ़ों में फिर से जान फूंकी जाए तो समाजवादी आंदोलन की एक राष्ट्रीय पहचान तो स्थपित हो ही सकती है । दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -समाजवादी आन्दोलन के लोगों को यह तो समझना चाहिए कि आज समाजवाद की धारा को संघर्ष कर जिन्दा रखने का काम मुलायम सिंह ने ही किया है । विचार के साथ जबतक जमीनी संघर्ष नहीं होगा कुछ नहीं हो सकता । देश के सबसे बड़े सूबे में समाजवादी धारा की सरकार मुलायम सिंह ने ही बनाई है और वे अब राष्ट्रीय फलक पर इसका विस्तार देने की कवायद में जुटे है । पार्टी कुछ ही दिनों में बड़ा राजनैतिक संदेश अपने कार्यक्रमों पर अमल कर देगी । जयप्रकाश आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्त्ता महात्मा भाई ने कहा -आज देश में कोई ऐसा नेता नहीं दिखता जो समाजवादी धारा या अन्य धर्म निरपेक्ष ताकतों को जोड़ सके । हालाँकि मुलायम सिंह चाहे तो वे इस दिशा में पहल कर समाजवादी आंदोलन को ताकत दे सकते है । दलीय राजनीति में मुलायम या नीतीश ही ऐसे नेता नजर आते है जिनसे राष्ट्रीय स्तर पर लोग अपेक्षा कर सकते है । दुर्भाग्य की बात यह है कि जयप्रकाश ,मधु दंडवते से लेकर किशन पटनायक जैसे नेता के गढ़ में भी आज कोई समाजवाद का झंडा उठाने वाला नहीं है । इस दिशा में यदि कुछ हो सके तो यह समाजवादी आन्दोलन को ताकत देगा ।

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