Saturday, September 1, 2012
दस महीने से बीस कदम नही चली फ़ाइल
अंबरीश कुमार
लखनऊ , सितंबर । जौनपुर जिले में दस महीने से एक फ़ाइल बीस कदम का सफ़र नही तय कर पा रही है क्योकि उसका किराया डेढ़ हजार रुपया माँगा गया था । इसी तरह सीतापुर के सकरन थाना में एक विकलांग गरीब जब अपनी चौदह साल की बेटी के बलात्कार की फ़रियाद के लिए कागज पतर लेकर कुछ मील दूर
एसपी के दफ्तर से लेकर राजधानी तक दौड़ रहा है पर उसका भी कागज कही आगे नहीं बढ़ पा रहा । शुक्रवार को इस फरियादी को हरैया की बाजार में दोनों बदमाश मिले और बोले -साले लखनऊ बहुत दौड़ रहे हो ,जान से मार डालब । दो दिन पहले ही यह सत्तारूढ़ दल यानी समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में अपनी फ़रियाद लेकर गया था उसके बाद बदमाशो ने फिर जान से मारने की धमकी दी । इससे पहले जब यह फरियादी सीतापुर के सकरन थाना में अपनी चौदह साल की बेटी के बलात्कार की रपट दर्ज करने कई बार गया तो दिलीप कुमार नामक पुलिस वाले ने कहा -अब आए तो यही थाने में पेट्रोल डालकर फूंक दूंगा । यह दोनों घटनाएँ गाँव देहात में पुलिस प्रशासन के कामकाज की एक बानगी है । इन घटनाओं को देख मशहूर लेखक श्रीलाल शुक्ल की रागदरबारी का एक किरदार लंगड़ याद आता है जो नक़ल के लिए दौड़ता रहता है ।
पहली घटना जौनपुर जिले के बदलापुर तहसील से करीब दो कोस की दूरी पर स्थित पूरालाल गाँव की है । इस गाँव में मशहूर चित्रकार चंचल ने कुछ समय पहले बच्चों के लिए एक पुस्तकालय खोलने की योजना बनाई । पुस्तकालय का नाम है समताघर पुस्तकालय पूरालाल। इसके लिए समताघर ने एक जनप्रतिनिधि सांसद धनंजय सिंह से संपर्क साधा तो उन्होंने सांसद निधि से दो कमरों के लिए पांच लाख आवंटित कर दिया । फ़ाइल विकास भवन में आ गयी .यह वाकया दस माह पुराना है .तब से फ़ाइल चल रही है .जिस डीलिंग क्लर्क से यह फ़ाइल शुरू होती है वह एक सामाजिक प्राणी है ,उसने समाज के तौर तरीके के मुताबिक़ कहा ,-कुल डेढ़ दो हजार लगेगा सब हो जाएगा । पर समताघर ने तय किया कि न देंगे न लेंगे बस बात बिगड गयी । हर तीसरे दिन समता घर को कोइ न कोइ कागज जमा करना पड़ता ।कागज जमा करते गए .और फ़ाइल फूल गई ।चंचल ने कहा -इस बीच पता चला कि परियोजना अधिकारी का तबादला हो गया है नए साहब आ रहें हैं ।.नए साहब .वो सरकारी जाति के हैं ,सरकार के मुताबिक़ काम करते हैं ,कलेक्टर से बात हुई तो उन्होंने क्लर्क का नाम पूछा हमने कहा छोटा नौकर है मारा जाएगा ।.कलेक्टर ने कहा मै देखता हूँ ।.तब से वे देख रहें हैं ।हालाँकि कलेक्टर के दफ्तर और परियोजना अधिकारी के दफ्तर का फासला सिर्फ बीस कदम का है ।
दूसरी घटना सीतापुर की है । सीतापुर के सकरन थाना से करीब तीन मील की दूरी पर बसा है देवमान बेलवा गाँव । गाँव में ज्यादातर लोग लोनिया ,चमार और पासी बिरादरी के है । यही करीब पैतालीस साल का सुरेश रहता है जिसके पास ढाई बीघा खेत है पास के स्कूल में तो मिड डे मील बनाने का काम मिला हुआ है । उसकी चौदह साल की बेटी जब शाम के समय खेत में गई हुई थी तभी गाँव के दो बिगड़े हुए युवको ने उसके साथ बलात्कार किया । सुरेश जब थाने गया तो थाने में वही हुआ जो आमतौर पर पुलिस करती है । थानेदार ने रपट न लिखाने की सलाह देते हुए समझाया कि गाँव का मामला है इस सब चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए । लड़की को अलग धमकाया गया । तबसे सुरेश दौड़ रहा है । काभी थाने तो कभी एसपी के दफ्तर । बाद में उसे बताया गया सूबे में समाजवादी सर्कार है जो वंचितों को इंसाफ दे सकती है । वह सपा मुख्यालय पहुंचा और अपना कागज देकर फ़रियाद की । दफ्तर के रजिस्टर में उसका ब्यौरा लिख लिया गया । गाँव लौटा और जब बाजार पहुंचा तो दोनों बदमाश कमलेश और बिहारी बोले ,बहुत चक्कर काट रहे हो काट डालूँगा और पुलिस कुछ नहीं करेगी । सुरेश ने जनसत्ता से कहा - जब पुलिस बदमाश का साथ दे तो कौन हिफाजत करेगा । अब तो नेता जी यानी मुलायम सिंह के यहाँ भी गुहार लगा चुके है ।इस घटना से साफ़ है कि जिलों तक इस सरकार की आवाज और धमक पहुँच नहीं पा रही या फिर कुछ अफसर नौजवान मुख्यमंत्री की छवि पर बट्टा लगाने की कोशिश कर रहे है ।जनसत्ता
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