Saturday, September 8, 2012

कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग से बेनी बाबू बाहर

अंबरीश कुमार लखनऊ , सितंबर । आगामी लोकसभा के लिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब नए सिरे से सोशल इंजीनियरिंग करने जा रही है हालाँकि इस कवायद से कांग्रेस के खांटी समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा को अलग रखा गया है ।प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष निर्मल खत्री और पार्टी महासचिव राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी यह सोशल इंजीनियरिंग करने जा रही है ।राजनीति में कभी भी कुछ नए समीकरण बन सकते है और कांग्रेस भी इस उम्मीद में है कि राष्ट्रीय स्तर पर अगर मुकाबला सीधा हुआ तो पार्टी की यह कवायद रंग लाएगी ।कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गाँधी होने पर ज्यादा फायदा कांग्रेस को होगा पर इसके लिए एक प्रभावी रणनीति और मजबूर संगठन जरुरी होगा ।इसीलिए उत्तर प्रदेश में संगठन के मोर्चे पर निर्मल खत्री के नेतृत्व में नौजवान नेताओं की दूसरी कतार खड़ी की जा रही है । इसमे अगड़े है तो पिछड़े भी ,दलित है तो ब्राह्मण राजपूत और मुस्लिम भी ।प्रदेश को आठ जोनं में बांटकर जो आठ संयोजक बनाए गए है उनमे पीएल पुनिया ,आरपीएन सिंह ,जितिन प्रसाद .रसीद मसूद ,अनुग्रह नारायण सिंह ,राजाराम पाल ,विवेक सिंह और बृजेंद्र सिंह शामिल है । कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सिराज मेंहदी ने कहा - निर्मल खत्री संगठन के नेता रहे है और उनके नेतृत्व में पार्टी को नई ताकत मिलेगी जो कई जमीनी नेताओं को अलग अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपकर संगठन को मजबूत करने जा रहे है ।खास बात यह है कि वे प्रदेश संगठन की गुटबाजी तोड़कर पार्टी को नए रास्ते पर ले जा सकते है ।संगठन को सबसे ज्यादा नुकसान गुटबाजी से हुआ और वह ख़त्म हो गई तो हमारी ताकत और बढ़ेगी।यह पूछने पर कि बेनी बाबू को इस तरह की किसी जिम्मेदारी से दूर क्यों रखा गया ,सिराज मेहंदी ने कहा - वे कांग्रेस के कद्दावर नेता है उन्हें छोटी मोटी जिम्मेदारी में क्यों फंसाया जाए ।हालाँकि पिछली बार यानी विधान सभा चुनाव में उन्हें प्रदेश के अवध क्षेत्र की अप्रत्यक्ष जिम्मेदारी दी गई थी पर उनके बडबोलेपन के चलते फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ ।हो सकता है पार्टी उन्क्की प्रतिभा का इस्तेमाल इस बार राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहे क्योकि उन्होंने ही सबसे पहले यह दावा किया था कि अगला चुनाव राहुल गाँधी बनाम नरेंद्र मोदी होगा ।जिसके बाद से राजनैतिक हलकों में इस संभावना पर भी गंभीरता से बहस शुरू हुई । कांग्रेस इस समय जिस तरह की विवादों से घिरी है उसे देखते हुए पार्टी को यह रास्ता ज्यादा आसान लगता है । पर इसके लिए कांग्रेस को सबसे पहले उत्तर प्रदेश के अपने जनाधार को बचाना बड़ी चुनौती होगी । पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुसलमानों की मुलायम सिंह से नाराजगी का जो फायदा उठाया वह विधान सभा चुनाव में पलट गया । मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा फिर समाजवादी पार्टी की तरफ लौट गया । अब मोदी के नाम पर कांग्रेस को उम्मीद है कि मुस्लिम एक बार फिर उसके साथ आ सकते है । हालाँकि सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक लोकसभा चुनाव में सपा को सबसे ज्यादा फायदा होगा और मुसलमान पूरी ताकत से मुलायम सिंह के साथ खड़ा रहेगा । भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रभावी होगा और कांग्रेस व भाजपा क और नुकसान उठाना होगा । जाहिर है ऐसे हालात में कांग्रेस के लिए भी चुनौती बहुत कड़ी है । जनसत्ता

No comments:

Post a Comment