Friday, December 23, 2011

कांग्रेस के आरक्षण के दांव को लेकर पशोपेश में है मुसलमान

अंबरीश कुमार
लखनऊ , दिसंबर । पिछडो के कोटे में अल्पसंख्यकों के लिए साढ़े चार फीसद आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश के मुसलमान फिलहाल पशोपेश में है । कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव से पहले जो यह दांव चला है उसके चंगुल में अगर पिछड़े या दलित नेता फंसे तो नुकसान उन्ही का होगा और फायदा कांग्रेस ले जाएगी । यही वजह है कि इस मुद्दे पर मायावती से लेकर मुलायम सिंह तक फूंक फूंक कर कदम रख रहे है । कांग्रेस के इस खेल में कई पेंच भी है पर मुसलमान इस वजह से इसका स्वागत कर रहे है कि कुछ मिलना तो शुरू होगा । दरअसल पिछड़ों के २७ फीसद कोटा में साढ़े चार फीसद का कोटा अल्पसंख्यक समुदाय के लिए है जिसमे ईसाई ,सिख ,बौद्ध और मुसलमान सभी शामिल है । इसलिए इससे सिर्फ मुसलमानों को फायदा होगा यह कहना ठीक नहीं है । उत्तर प्रदेश में इसका फायदा ,ईसाई ,सिख और बौद्ध भी लेंगे। प्रदेश में बौद्ध धर्म अपनाने वालों की संख्या में इजाफा भी हुआ है । मुस्लिम नेताओं की यह भी आशंका है कि आरक्षण को लेकर अगर कुर्मी और यादव बिरादरी के लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया तो इसका ज्यादा फायदा वे ही ले जाएंगे । पिछड़ों में आरक्षण का ज्यादा फायदा इनदोनो मजबूत बिरादरी को ज्यादा मिलता है ।
पिछड़ों के कोटा में अल्पसंख्यकों के नए कोटा का फायदा मुसलमानों की करीब दर्जन भर जातियों को मिल सकता है जिनमे अंसारी ,कुरेशी ,इदरीशी आदि शामिल है । मुस्लिम रीजेर्वेशन मूवमेंट के संयोजक जफरयाब जिलानी ने जनसत्ता से कहा -पिछड़ों के आरक्षण में अल्पसंख्यकों को साढ़े चार फीसद के कोटा से यकीनन मुसलमानों की नाराजगी कांग्रेस के प्रति कम होगी पर इसका कितना राजनैतिक फायदा कांग्रेस उठा पायेगी यह नहीं खा जा सकता । यह आरक्षण सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि अल्पसंख्यको के लिए है जिसमे सिख ,ईसाई ,बौद्ध और मसलमान सभी आते है । हम लोगों ने मुसलमानों के लिए नौ फीसद आरक्षण की मांग की थी । रंगनाथ और सच्चर कमेटी ने जो सिफारिशे की थी उनके आधार पर हम आरक्षण की मांग कर रहे है । इसलिए केंद्र के इस कदम से यह मांग पुरी नहीं हुई है यह जरुर ध्यान रखना चाहिए । हमें यह भी आशंका है कि पिछड़ों की कुछ मजबूत जातियां जो अब तक ज्यादा लाभ लेती रही वे आगे भी लाभ उठा सकती है। इसके लिए बौद्ध बनने का भी विकल्प उनके पास है ।
आल इंडिया मुस्लिम फोरम के नेता नेहालुद्दीन अहमद तो इसे कांग्रेस की सियासी चाल मानते है ताकि मुसलमानों का वोट हासिल किया जा सके । पर इसका ज्यादा असर इसलिए भी नहीं पड़ना है क्योकि पिछड़े मुसलमानों की संख्या बहुत कम है । जबकि समाजवादी पार्टी पहले से सच्चर कमेटी की सिफारिशों के तहत आबादी के हिसाब से मुसलमानों के आरक्षण की मांग करती रही है इसलिए आज भी इसे वे नाकाफी मानती है । पर पिछड़ों में इस तरह हिस्सा बांटने का वे विरोध भी नहीं कर रही है । एक मुस्लिम नेता ने कहा -इस मामले में अगर किसी भी दलित या पिछड़े नेता न कोटे के भीतर कोटे का विरोध किया तो आगामी चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ेगा और कांग्रेस चाहती भी यही है । jansatta

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