Tuesday, December 20, 2011

अब मायावती को मुसलमान याद आए


अंबरीश कुमार
लखनऊ ,१९ दिसंबर । मुसलमानों का सवाल उठाकर मायावती अब नए संकट में फस गई है । विपक्षी दलों ने आज मायावती से सवाल किया कि बाबरी ध्वंस करने वाली ताकतों के साथ सरकार बनाते समय बनाते समय उत्तर प्रदेश के मुसलमानों की याद आई थी या नही । भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने के बाद मायावती गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अक्तूबर २००२ में चुनाव प्रचार के लिए गई थी जिसे लेकर वे विवादों में घिर गई थी । इसे लेकर वाम दलों ने भी मायावती को आड़े हाथों लिया तो गैर भाजपा अन्य दलों ने भी सवाल उठाया था । अब जब मुसलमानों को लेकर उत्तर प्रदेश में चुनावी लड़ाई तेज हो रही है तो ऐसे में मायावती का मुसलमानों का हमदर्द बनाने का दावा धर्म निरपेक्ष दलों के गले नहीं उतर रहा है । यही वजह है कि उनको लेकर फिर सवाल खड़ा हो गया है । भाकपा नेता अशोक मिश्र ने कहा -आज हर पार्टी मुसलमानों की हमदर्द बन रही है जो पूरी तरह सियासी खील है वास्तवकिता तो यह है कि सपा ,बसपा से लेकर कांग्रेस तक ने मुसलमानों को एक वोट बैंक के रूप में ही देखा है । उनके भले के लिए ,उनकी सामाजिक आर्थिक तरक्की के लिए इन दलों ने कोई कदम नहीं उठाया ।
कांग्रेस प्रवक्ता वीरेंदर मदान ने कहा - मायावती को जब जब मौका मिला उन्होंने कट्टर मजहबी ताकतों से हाथ मिलाया और सरकार बनाई । अब वे मुसलमानों की हमदर्द बन रही है । वे नरेंद्र मोदी का प्रचार भी करेंगी और मुसलमानों का हमदर्द भी बनेंगी यह कैसे संभव है । समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद हसन ने कहा - चुनाव करीब आते ही मुख्य मंत्री जी को मुसलमानों की याद आई और बाबरी मस्जिद की शहादत में कांगेस और भजपा की साजिश भी याद आयी लेकिन बाबरी मस्जिद को दिन दहाडे शहीद करने वाली भाजपा के साथ मिलकर हुकूमत बनाते समय उनको मुसलमानों की याद क्यों नहीं आई ।
उन्होंने आगे कहा -बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया को उस दिन मुसलमानों की याद क्यों नहीं आयी जब मुसलमानों पर नरसंहार कराने वाले गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव में उनके लिये वह वोट मांगने स्वयं गुजरात गई थी ।इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी की मुखिया ने पार्लियामेंट में भाजपा द्वारा पोटा बिल को पास कराने में भाजपा की हिमायत क्यों की थी और उस समय भाजपा का साथ क्यों दिया था, जब कि पोटा के कारण आज भी हजारों मुसलमान जेलों में बद हैं । मायावती ने बाबरी मस्जिद के शहादत के अपराधी श्री लाल कृष्ण अडवानी का स्वागत अम्बेडकर पार्क में करके मुसलमानों के घाव पर नमक छिडकने का काम किया है । मायावती को मुसलमानों को ख्याल उस समय क्यों नहीं आया जब सिमी की गतिविधियां उत्तर प्रदेश में न होने के बावजूद उन पद केन्द्र की भाजपा सरकार और कांग्रेस सरकारों को समर्थन देकर उन पर प्रतिबंध जारी रखा । जब कि माननीय मुलायम सिंह जी ने सिमी पर प्रतिबंध हटा दिया था ।jansatta

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