Wednesday, December 21, 2011

कड़ाके की ठंड में टीम अन्ना कैसे भरेगी उत्तर प्रदेश की जेलों को

अंबरीश कुमार
लखनऊ ,दिसंबर । समूचे उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और पारा अलग अलग शहरों में दो से छह सात डिग्री तक जा चूका है जिसमे और गिरावट की आशंका है । ऐसे में अन्ना हजारे का जेल भरो आंदोलन छेड़ने का तुक किसी को समझ नहीं आ रहा । इस समय प्रदेश के राजनैतिक दल अलाव और रैन बसेरों की मांग कर रहे है ताकि ठंड से लोगों की मौत का सिलसिला थम सके । कई जिलों में ठंड की वजह से बच्चों के स्कूल बंद किए जा चुके है और कालेजों की छुट्टी होने जा रही है। अन्ना के आन्दोलन में मध्य वर्ग की बड़ी भूमिका रही है जिसमे नर्सरी से लेकर स्कूलों के बच्चे भी शामिल रहे है जो गालों पर मै भी अन्ना लिखवा कर धरना स्थल पर अपन परिवार वालों के साथ मौजूद रहते थे । पर अब हालात बदल गए है । जेल भरो आंदोलन एक ठेठ राजनैतिक कार्यक्रम है जो मोमबती जुलूस से अलग होता है । लखनऊ विश्विद्यालय की छात्रा रेनू जोशी ने कहा -खुद तो अन्ना मुंबई जैसे गर्म इलाके में चले गए है और उत्तर भारत में वे जेल भरो आंदोलन करना चाहते है यह तो राजनैतिक अपरिपक्वता का प्रतीक है। कई बार एलान के बाद भी अन्ना एक बार उत्तर प्रदेश नहीं आए पर इतना तो जानते होंगे की आजकल यहाँ ठंड से लोग मर रहे है ऐसे में इस आंदोलन को वे चैनल पर चलाए यहाँ के लोगों को तो बख्स दें ।
अन्ना आन्दोलन के महत्वपूर्ण नेता मुन्ना लाल शुक्ल ने जनसत्ता से कहा -हमने जेल भरो आंदोलन के लिए पचास स्कूलों को पत्र लिखा है पर अभी तक किसी ने जवाब नहीं दिया है।मौसम तो सही में खराब है ,स्कूलों में छुट्टी भी कर दी गई है ऐसे में दिक्कत तो आ रही है । भाजपा के नेता अमित पुरी ने कहा -राजनैतिक कार्यक्रमों के लिहाज से जेल भरो आंदोलन के लिए यह समय उचित नहीं है ,पर अन्ना का तो समूचा आंदोलन प्रतीकों का आंदोलन है ऐसे में इसे भी प्रतीकात्मक नजरिए से देखा जाना चाहिए । दरअसल अभी तक अन्ना के आंदोलन सामान्य ढंग के थे जिसमे लोग काला कपडा पहन कर नुक्कड़ नाटक करते या शाम को मोमबत्ती जला देते । इसकी इजाजत भी मध्य वर्ग के परिवार वाले दे देते थे । पर जेल जाने की बात सुनते ही लोग भड़क जाते है । एक इंजीनियर के पुत्र जो जोर शोर से इन आंदोलनों में शामिल हुए थे उनको घर वालों ने कहा -देखो अब जेल जाने ,पुलिस के चक्कर में पड़ने वाला काम नहीं होगा । बहुत मुश्किल से पढ़ा रहे है अन्दर हो गए तो सरकारी नौकरी भ नहीं मिलेगी फिर एनजीओ ही चलाओगे ।
राजनैतिक टीकाकार वीएन भट्ट ने कहा -पता नहीं अन्ना हजारे के सलाहकार कौन है जो इस तरह की अव्यवहारिक सलाह दे देते है वह भी ऎसी ठंड में जब मुख्यधारा के राजनैतिक दल इस तरह के कार्यक्रम करने से बचते है। ऐसे में जेल भरो आन्दोलन फ्लाप हुआ तो उनके आंदोलन की हवा भी नकल जाएगी । इस बीच वाराणसी से राम धीरज ने कहा -जेल जाने वालों की सूची हम बना रहे है ।ठंड का असर तो खैर पड़ेगा ही पर कार्यक्रम तो होना ही है । दूसरी तरफ
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश कोहरे और भीषण ठंड की चपेट में है। हाड़ कंपकंपाती ठंड से बचाव के लिए सरकार को कुछ करने के बजाय केन्द्र को इसे प्राकृतिक आपदा घोषित कराने की चिन्ता है। मुख्यमंत्री चिट्ठीपत्री में माहिर है। उन्होने ठंड के लिए भी राहत पैकेज मांग लिया है। खुद उनकी सरकार ने अलाव और रैनबसेरों के लिए मात्र छह करोड़ रूपए जारी किए हैं। गरीब और दलित इस ठंड के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं लेकिन अपने को दलित की बेटी बतानेवाली मुख्यमंत्री को इनकी फिक्र नही सताती है। गरीब और दलित खुले आसमान के नीचे ठंड से मर रहे है। सरकार ने न अलाव की व्यवस्था की है, नहीं कंबल बांटे हैं और नहीं रैन बसेरे बनाए है।

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