Friday, December 2, 2011

सुपुत्र बनाम सुपात्र पर संघ का फरमान !

अंबरीश कुमार
लखनऊ ,संबर । भारतीय जनता पार्टी में सुपुत्र बनाम सुपात्र की बहस पर संघ का फरमान आ गया है । यह बहस भाजपा के करीब तीन दर्जन नेताओं के पुत्र पुत्रियों की विधान सभा चुनाव में टिकट की दावेदारी के बाद शुरू हुई थी । राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने भाजपा नेताओं को दो टूक कह दिया है कि कांग्रेस को माँ बेटे की पार्टी बताने से पहले इन नेताओं को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए और परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए । पर जब भाजपा नेताओं ने तर्क
दिया कि क्या अपने बेटे बेटियों को सपा बसपा में भेज दें चुनाव लड़ने के लिए तब संघ परिवार ने बीच का रास्ता निकलते हुए इन नेताओं से कहा - मजबूत नेताओं को चाहिए कि वे पार्टी की कमजोर सीटों पर अपने पुत्र पुत्रियों को मैदान में उतारे और पार्टी को मजबूत करें ।
गोरतलब है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं में में अपनी दूसरी पीढी को आगे लाने की होड़ लगी हुई है। इन नेताओं में राष्ट्रीय स्टार के नेताओ मसलन राजनाथ सिंह ,लालजी टंडन से लेकर मंडल और जिले स्तर के नेता भी शामिल हो गए है। इस मामले पार्टी में विवाद बढ़ने और कार्यकर्ताओं की नारजगी के बाद संघ परिवार के शीर्ष नेताओं ने भी मंथन किया । हाल ही में संघ परिवार की बैठक में यह मुद्दा उठा । इस बैठक में संघ की तरफ से मधुभाई कुलकर्णी ,सुरेश सोनी ,शिवनारायण कृपाशंकर आदि थे तो भाजपा नेता कलराज मिश्र से लेकर सूर्यप्रताप शाही आदि शामिल हुए । इनके अलावा संघ परिवार के अनुषांगिक संगठन जैसे विद्यार्थी परिषद,बजरंग दल,वनवासी आश्रम आदि के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे । बैठक में यह मुद्दा उठा और संघ के नेताओं ने पार्टी में बढ़ते परिवारवाद पर चिंता भी जताई।यह भी नसीहत दी कि इस तरह आप कैसे गाँधी परिवार के वंशवाद से लेकर मुलायम सिंह के वंशवाद पर हमला कर पाएंगे ।इसलिए इस प्रवृति पर अंकुश लगना चाहिए। इसपर अह भी बताया गया कि जो पुत्र पुत्रिया पार्टी के काम में जुटे हुए है उन्हें क्या सपा बसपा से चुनाव लड़ना होगा। भाजपा सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर अंततः रास्ता यह निकला कि प्रदेश की वे वे सीटें जो कमजोर है वहां इन लोगों को मैदान में उतरना चाहिए ताकि सुप्त्र लोगों कू मजबूत सीट पर भी मौका मिल सके । यहभी कहा गया कि जब कोई वरिष्ठ नेता का पुत्र मैदान में उतरेगा तो उस नेता को भी काफी समय देना होगा और इससे पार्टी मजबूत भी होगी । हालांकि इसपर कुछ नेता नाखुश जरुर है । भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक से इसबारे में पछने पर उनका जवाब था -विधान सभा का टिकट संसदीय बोर्ड तय करेगा ,इसके आगे की मुझे फिलहाल कोई जानकारी नही है।
पर यह मामला पार्टी के लिए आसान नहीं है । विधान सभा चुनाव की तयारी में जुटे एक नेता ने कहा -जब राष्ट्रीय स्तर के नेता अपने पुत्र के टिकट को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर पार्टी उम्मीदवार को हराने में जुट जाए तो आप क्या उम्मीद करते है वे संघ के नेताओं की सुनेंगे । भाजपा को इस बार सबसे ज्यादा नुकसान पार्टी के बाहर नही पार्टी के भीतर के लोगों से है । अगर सुपात्र का टिकट कटा तो सुपुत्रों के खिलाफ भी माहौल बनेगा ।

jansatta

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