Tuesday, April 30, 2013

जहरीली हो गई है तराई की नदियां

जहरीली हो गई है तराई की नदियां अंबरीश कुमार लखनऊ ,।हिमालय की तराई में बड़ी नदियां तो बिगड़ते पर्यावरण का किसी तरह मुकाबला कर अपना अस्तित्व बचा ले रही है पर छोटी और बरसाती नदियां दम तोड़ रही है ।इनका पानी इतना जहरीला हो चुका है कि आदमी तो बीमार पड़ कर इलाज करा लेता है पर जानवर अब दम तोड़ दे रहा है ।बीते तेरह अप्रैल को मनकापुर से आगे सादुल्लानगर वन प्रभाग में विसुही नदी और मनोरमा नदी का पानी पीने की वजह से दो हिरन की मौत हो गई तो फिर सोलह अप्रैल को इसी पानी कि वजह से एक और हिरन की मौत हो गई । प्रमुख सचिव वन व पर्यावरण इस घटना की जाँच कर रहे है पर यह घटना समाज और सरकार के लिए खतरे की घंटी है । तराई में इस तरह की छोटी नदियां चीनी मीलों और उद्योगों के जहरीले कचरे का नाला बन गई है । गोरखपुर की आमी नदी हो या गोंडा की विसुही और मनोरमा नदी हो सभी उद्योगों के कचरे के चलते जहरीली हो गई है । आमी नदी गोरखपुर मंडल में करीब पचासी किलोमीटर क्षेत्र में कभी अमृत जैसा पानी लोगों को देती थी । पर अब आमी नदी दम तोड़ चुकी है और उसका पानी जहरीला हो चुका है ।पिछली बार जब इस नदी को बचाने के लिए आंदोलन हुआ तो राहुल गांधी भी पहुंचे और कुछ ठोस पहल का वायदा भी किया ।पर गोरखपुर के सुग्रीव कुमार के मुताबिक हालत पहले से ज्यादा खराब है ।खलीलाबाद ,बस्ती और गोरखपुर के उद्योगों का कचरा इस नदी को खत्म कर चुका है ।इसे लेकर सामाजिक और राजनैतिक संगठन भी लगातार आवाज उठा रहे है ।पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है ।पूर्वांचल में ताल तालाब पर जिस तरह से बीते दो दशक में कब्ज़ा हुआ है उससे पानी का संकट और बढ़ा है ।कुएं और ताल तालाब पर लोगों ने कब्ज़ा किया तो नदियों को नाला बना दिया ।इसमे बड़े बड़े औद्योगिक घराने भी शामिल है जो पर्यावरण को लेकर एक तरफ अभियान चलते है तो दूसरी तरफ जहरीला कचरा नदी में डाल दे रहे है । तराई के देवीपाटन अंचल में चीनी मिलों तथा अन्य औद्योगिक इकाइयों का कचरा इन नदियों के पानी को जहर में बादल रहा है ।हाल में जिस मनोरम नदी का पानी पीकर हिरन मरे थे उसका उद्गम जिले के रुपईडीह विकास खंड के अन्तर्गत तिर्रे मनोरमा ग्राम पंचायत का एक तालाब है। यहीं पर उद्दालक मुनि का आश्रम भी है। यह नदी जिले के धानेपुर, मनकापुर तथा छपिया कस्बे में प्रवाहित होते हुए करीब 100 किमी की दूरी तरह करके बस्ती जिले के ऐतिहासिक मखौड़ा धाम में सरयू में विलीन हो जाती है। मखौड़ा धाम में महाराजा दशरथ ने पुत्रेश्ठि यत्र किया था। गोंडा से जानकी शरण द्वेवेदी के मुताबिक इस नदी में इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज से निकलने वाला कचरा प्रवाहित होता है। बिसुही नदी बहराइच जिले के चित्तौड़गढ़ झील से निकलती है। यह विशेश्वरगंज से आगे चलकर गोंडा जिले की सीमा में प्रवेश करती हैं और रुपईडीह, इटियाथोक, दतौली, श्रृंगारघाट, गऊ घाट (मसकनवा), घारीघाट होते हुए करीब 150 किमी लम्बी यात्रा करके बस्ती जिले में कुआनो नदी में मिल जाती है। खास बात यह है कि बलरामपुर चीनी मिल की दो इकाइयों दतौली तथा बभनान के कचरे से यह पूरी तरह से जहरीली हो चुकी है । दूसरी तरफ गोंडा जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र के अन्तर्गत कस्टुआ गांव के पास से निकली चमनई नदी को लोग धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं। यह नदी सोतिया नाला, टिकरी जंगल होते हुए बस्ती जिले में पहुंचकर सरयू नदी में विलीन हो जाती है। यह करीब 60-65 किमी की दूरी तय करती है। इस नदी में हिंदुस्तान बजाज समूह की कुन्दुरखी चीनी मिल का कचरा मिलता है जो इसे जहरीला बना चुका है । बहराइच जिले के सरयू बैराज से निकलने वाली टेढ़ी की कुल दूरी करीब 150 किमी है। यह कटरा विकास खंड में गोंडा जिले में प्रवेश करती है और बालपुर, नवाबगंज होते हुए पटपरगंज से आगे अयोध्या में सरयू नदी में मिल जाती है। इस नदी में बलरामपुर चीनी मिल गु्रप की मैजापुर यूनिट तथा मूलराज नारंग डिस्टलरी का कचरा प्रवाहित होता है। इसके चलते यह नदी भी विशैली हो चुकी है। इसके साथ ही बलरामपुर जिले में सिरिया, कुआनो तथा राप्ती प्रमुख नदियां हैं, जिनके भरोसे तराई का किसान रहता है। सिंचाई का पर्याप्त साधन न होने के कारण इलाके के किसान इनसे सिंचाई भी करते हैं। किन्तु धीरे-धीरे ये नदियां भी सीजनल होती जा रही हैं। बलरामपुर चीनी मिल की बलरामपुर तथा तुलसीपुर इकाइयों का कचरा कुआनो तथा सिरिया में गिरने से इनका जल भी प्रदूशित है। शासन के प्रदूशण संयंत्र लगाए जाने के बारे में तमाम आदेश इनके समक्ष बौने पड़ रहे हैं। जनसत्ता

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