Friday, April 5, 2013

अब कारपोरेट घराने करेंगे खेती

अंबरीश कुमार लखनऊ: अप्रैल । केंद्र सरकार खेती के लिए कारपोरेट घरानों को करीब तीन हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देने जा रही है । जिससे बड़े कारपोरेट दलहन तिलहन और आलू से लेकर केला तक उगाएंगे । यह कारपोरेट घराने उत्तर प्रदेश ,राजस्थान ,मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात छतीसगढ़ और पंजाब जैसे कई राज्यों में अब खेती कराएंगे । एक तरफ सरकार की बेरुखी से जहां हजारों किसान ख़ुदकुशी कर रहे कारपोरेट घरानों को खेती की जिम्मेदारी देना हैरान करने वाला है । यह टिपण्णी किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डा सुनीलम की थी जो अब इस मुद्दे को लेकर कई किसान संगठनों के साथ उठाने जा रहे है । सुनीलम ने जनसत्ता से कहा -. किसान संघर्ष समिति के साथ अखिल हिन्द अग्रगामी किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राघवशरण शर्मा ने इस मुद्दे पर व्यापक ढंग से विरोध करने का फैसला किया है ।उत्तर प्रदेश में किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने इसका पुरजोर विरोध करने का एलान किया है । किसान नेताओं ने कहा है कि हाल ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत दस लाख किसानों को लेकर तैयार की गई कम्पनियों की तरफ से पेश सात हजार करोड़ रुपए की योजना केन्द्र सरकार ने स्वीकृत की है, जिसमें 2900 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में देने का प्रावधान है। सुनीलम् ने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी से समग्र कृषि विकास (पीपीपीआईएडी) के तहत तैयार की गई इस योजना में 35 प्रस्ताव शामिल है। आईटीसी, गोदरेज एग्रोवर्ट, अडानी, मैरिको, नेसले, टाटा केमिकल्स, श्रीराम, नेशनल स्पाट एक्सचेंज लिमिटेड ., एनएसएल, काटन कार्पो, एनएसएल शुगर्स, एवं एनएसएल टेक्सटाईल्स, नुजिवीदु सीड्स, एक्सेस लाइवलीहुड कन्सल्टिंग प्रालि., भूषण एग्रो, एफआरटी एग्री वेंचर्स, ग्रामको इंफ्राटेक तथा निड ग्रीन्स कम्पनियां शामिल हैं। ये परियोजनाएं 17 राज्यों की 12 लाख हेक्टेयर भूमि पर संचालित होंगी। इनको कार्यान्वित करने के लिए बिहार, आंध्र, तमिलनाडु, राजस्थान, मध् यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल, मिजोरम, गुजरात, ओड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखण्ड राज्यों के 11 लाख किसानों की भूमि चयनित की गई है।उत्तर प्रदेश में टाटा केमिकल्स से लेकर आईटीसी बड़े पैमाने पर इस तरह की खेती करेंगी और किसानो से मटर चना से लेकर सरसों तक की खेती कराएंगी । किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार ने एक तरफ खेती को घाटे का सौदा बना दिया जिससे कर्ज के बोझ तले किसान आत्महत्या के लिए विवश हो रहा है, दूसरी ओर सरकार किसानों को सब्सिडी बढ़ाने की बजाय उसे खत्म करने पर आमादा है। अब कारपोरेट को बड़ी सब्सिडी देकर सरकार ने किसान संगठनों के इस आरोप को प्रमाणित कर दिया है कि केन्द्र सरकार किसान से भूमि हथियाकर कार्पोरेट को सौंपने की नीयत से कार्य कर रही है। किसान नेताओं ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा कांग्रेस और भाजपा से जुड़े किसान संगठनों से खेती के कार्पोरेटाईजेशन पर सरकार और संगठन की नीति स्पष्ट करने की मांग की है। विशेषतौर पर इस संदर्भ में कि खेती राज्य का विषय है तथा राज्य सरकारों को केन्द्र सरकार के किसी भी फैसले पर अमल करने या न करने का अधिकार प्राप्त है।जनसत्ता

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