Sunday, October 7, 2012

सार्वजनिक अवकाश की राजनीति में हाशिए पर है जेपी ,वीपी और लोहिया

अंबरीश कुमार लखनऊ, अक्टूबर। उत्तर प्रदेश न तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानी जेपी के नाम कोई सार्वजनिक अवकाश होता है और न मंडल मसीहा वीपी सिंह के नाम जिन्होंने हिंदी पट्टी की राजनैतिक सामाजिक दिशा बदल दी । न ही समाजवादी चिंतक आचार्य नरेन्द्र देव से लेकर डा राम मनोहर लोहिया के नाम कोई अवकाश है होता है और न नेहरु ,इंदिरा से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम । ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापाक कांशीराम के नाम मायावती सरकार की तरफ से घोषित सार्वजनिक अवकाश को रद्द करने को लेकर राजनैतिक विभूतियों के नाम अवकाश घोषित करने पर बहस शुरू हो गई है ।उत्तर प्रदेश में तररह तरह के सार्वजनिक अवकाश बढ़ते जा रहे है जिसके चलते काम के दिन कम हो रहे और बच्चो के स्कूल की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है । इस समय स्कूलों में छमाही परीक्षा चल रही है और कांशीराम के नाम होने वाले अवकाश के चलते परीक्षा का कार्यक्रम भी बदलना पड़ा क्योकि यह कैलेंडर में नहीं था । अब सरकार ने अवकाश निरस्त कर दिया है तो फिर इस दिन का कार्यक्रम बनेगा । जो अवकाश राजनीति के चलते होते है वे सत्ता बदलने पर लोगों की चिंता का विषय बन जाते है । ऐसे ही एक छुट्टी होती है परशुराम जयंती पर जो सामाजिक न्याय के चलते शुरू की गई और जारी है । ऐसे कई और नए नए अवकाश सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर हाल के वर्षों में शुरू हुए है । भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -इस तरह अवकाश घोषित करने और उसे निरस्त करने की राजनीति बंद होनी चाहिए । उत्तर प्रदेश में सिर्फ राजनैतिक वजहों से कई सार्वजनिक अवकाश घोषित हो चुके है इससे समाज का ही नुकसान हो रहा है । इसके लिए कोई नीति भी बनानी चाहिए और इसे जाती धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए । राजनैतिक टीकाकार चंचल के मुताबिक इस तरह के अवकाश घोषित करने के दो पैमाने है पहला केंद्र में कैबिनेट तय करती है दूसरे राज्य । पर जिस तरह कांशीराम के नाम पर अवकाश घोषित किया गया उससे कई सवाल भी उठे खासकर उनके सामाजिक योगदान को लेकर । देश और प्रदेश में बहुत सी विभूतिया ऐसी हुई है जिनका आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी के बाद भी बड़ा योगदान रहा है । पर उनके नाम किसी ने कोई सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया इसलिए यह सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है । इनमे जेपी ,वीपी से लेकर आचार्य नरेन्द्र देव भी आते है । कांशीराम ने एक जाति को राजनैतिक ताकत दी पर और लोग भी हुए है जिनका बड़ा सामाजिक योगदान है । अगर यह रास्ता खुला तो कल किसी और ऐसे नेता जिसने अपनी जाति की बेहतरी के लिए काम किया हो उसके नाम भी इसी आधार पर अवकाश की मांग की जाएगी । दरअसल उत्तर प्रदेश में कांशीराम ने दलितों को लामबंद कर उन्हें सत्ता तक पहुँचाया जिसे उनका बड़ा योगदान माना जाता है पर मायावती ने उनके नाम अवकाश घोषित कर राजनैतिक फायदा लेने की कोशिश की । यही वजह है कि समाजवादी पार्टी सरकार के फैसले को सही कदम मानती है । पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -सरकार ने पहले की सरकार की गलती को सुधारा है । बहरहाल ज्यादातर लोगो का मानना है कि इससे दलित अस्मिता से न जोड़ते हुए एक व्यापक नीति बनाकर अब तक घोषित सभी सार्वजनिक अवकाश की समीक्षा की जाए यह समाज के लिए बेहतर कदम होगा । जनसत्ता

No comments:

Post a Comment