Saturday, October 6, 2012

मायावती के गले की हड्डी बन गए सिपहसालार

अंबरीश कुमार लखनऊ,6 अक्टूबर। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के सिपहसलार ही अब उनका संकट बढ़ा रहे है । अखिलेश यादव सरकार के सात महीने होने जा रहे है प़र मुख्य विपक्षी दल यानी बहुजन समाज पार्टी सरकार को घेरने की बजाय खुद घिरती जा रही है । आमतौर पर मुख्य विपक्षी दल सरकार बनने के छह महीने बाद खुलकर विरोध पर उतरने लगते है पर उत्तर प्रदेश में उल्टा हो रहा है । सत्तारूढ़ दल हमलावर मुद्रा में है और मुख्य विपक्षी दल बचाव की मुद्रा में । बाबूसिंह कुशवाहा तो विधान सभा चुनाव से पहले ही बसपा के साथ भाजपा के गले की हड्डी बने अब रही सही कद्र कसर लगता है लोकसभा चुनाव से पहले मायावती के बाकी मंत्री पूरी कर देंगे । मायावती के राज में बुंदेलखंड के बाहुबली मंत्री रहे बादशाह सिंह लैकफेड घोटाले के चालते जेल भेजे जा चुके है । इसके बाद सहकारिता विभाग की विशेष जाँच शाखा यानी एसआईबी ने पूर्व मंत्रियों रंगनाथ मिश्र ,अवधपाल सिंह यादव , अनीस अहमद ,नंद गोपाल नंदी ,चौधरी लक्ष्मी नारायण और चन्द्र मोहन देव यादव को नोटिस जारी किया है । खास बात यह है किस इस सूची में दो नाम गायब है जो नसीमुद्दीन और स्वामी प्रसाद मौर्य के माने जा रहे है । हालाँकि बादशाह सिंह पहले ही इससब के लिए पंचम तल की तरफ उंगली उठा चुके है जहाँ दो अफसरों शशांक शेखर सिंह और विजय शंकर पांडे की सत्ता चलती थी ।हालांकि ये दोनों अफसर एक दूसरे की टांग भी खींचते रहते थे । इनमे एक एक उद्योग घराने से लेकर मंत्रियों से डील करते थे तो दूसरे सर्वजन के प्रतीक थे और उनके हर फैसले में यह झलकता भी था । मीडिया की नकेल कसने के लिए जितने भी अजीबोगरीब नियम बने उसका श्रेय पांडे को जाता है जिन्होंने मायावती के खिलाफ माहौल बनवाने में बड़ी भूमिका निभाई । हालाँकि बाद में उनकी भूमिका भी बहुत छोटी रह गई थी पर पंचम तल यानी मुख्यमंत्री सचिवालय का राजनैतिक प्रतीक यही दोनों अफसर रहे । किसी मामले में यह भी चपेटे में आ जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए । राजनैतिक टीकाकार वीरेन्द्रनाथ भट्ट ने कहा -यह मामला मायावती के लिए बड़ा राजनैतिक संकट बनेगा खासकर लोक्साभा चुनाव से पहले । जिस घोटाले में बसपा का शीर्ष नेतृत्व फंस रहा हो वह मामला कितना गंभीर होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया लगायाता है । इस मामले में नसीमुद्दीन और स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम आने के बाद बसपा के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है । दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने कहा है कि “चोर मचाए शोर“ कहावत की तर्ज पर बसपा नेता अपने काले कारनामों के उघड़ने पर अनर्गल बयानबाजी पर उतर आए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों का घपला ही नहीं हुआ दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ की हत्या भी हो गई जिसकी सीबीआई जांच हुई है। लैकफेड घोटाले में परत-दर-परत बंदरबांट की नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं । घोटाले के अभियुक्त अपने साथियों के साथ बसपा राज के कई मंत्रियों की करतूतें भी बयान कर रहें हैं। बसपा नेता इससे बहुत हैरान परेशान हैं क्योंकि उन्हें कानून की गिरफ्त में आने का डर सता रहा है। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने ने कहा -बसपा के कुछ नेता इतना आतंकित हैं कि वे अपनी ही बातें काट रहे हैं। एक बड़े बसपा नेता एक तरफ तो अपने जमाने के एक मंत्री की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए उनका बचाव करते हैं और दूसरी तरफ उनके पंचमतल पर उंगली उठाने को दुराग्रहपूर्ण बयानबाजी बताते हैं। पिछले पांच सालों के इतिहास के हर जानकार को यह पता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री तो घर को ही दफ्तर समझती थी और जो कुछ भी होता था सब पंचमतल से ही होता था। उस समय तो चुनाव हों या स्थानान्तरण, ठेकों की नीलामी हो या सरकारी मिलों की बिक्री इस सबका फैसला मुख्यमंत्री कार्यालय से ही होता था। समाजवादी पार्टी ने तब महामहिम राज्यपाल को भी कई ज्ञापन देकर बताया था कि सचिवालय एनेक्सी के पंचमतल से ही भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है। रागद्वेष की बात करनेवाले यह क्यों भूल जाते हैं कि बसपा मुख्यमंत्री ने सत्ता में आने के पहले दिन ही पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ 150 से ज्यादा मुकदमें दर्ज करवा दिए थे। पंचायत चुनावों में डीजी से लेकर दरोगा तक और डीएम से लेकर लेखपाल तक को बसपा के चुनाव एजेन्ट की तरह इस्तेमाल किया गया था।

No comments:

Post a Comment