Saturday, February 2, 2013

कुंभ का पुण्य

कुंभ का पुण्य टेंट से बाहर निकला तो घना कोहरा नजर आया । टेंट जिसे यहां अफसर लोग स्विस काटेज बता रहे है कुछ भव्य किस्म का है । बाहर एक बैठक है जहाँ सोफे लगे है तो बीच के हिस्से में डबल बेड और फिर पीछे के हिस्से में एक बेड का छोटा सा हिस्सा है । आगे और पीछे काफी हिस्सा है और पूरा परिसर टिन से घिरा है जिससे बहार जाने पर ताला लगा सकते है । हीटर रात भर चलता रहा इसलिए काटेज भी गर्म था । गंगा में डुबकी लगाने का काम कल शाम ही हो चुका था इसलिए सुबह जाने का कार्यक्रम तो बना पर हिम्मत नहीं हुई । वैसे भी अपना कोई धार्मिक रुझान नहीं है पर सविता को अगले जन्म की भी चिंता रहती है इसलिए हाथ पकड़ कर जब संगम के पानी में डुबकी लगाई तो ठंड का अहसास हुआ और नदी के पानी से फ़ौरन बाहर आ गया । आकाश को इस प्रकार के पुण्य में कोई आस्था नहीं थी इसलिए वह फोटो खींचने में लगे रहे । इससे पहले कल कुंभ क्षेत्र में काफी घूमे और आम लोगो को देखा जो चूल्हा खरीद कर वाही रेत पर खिचड़ी और चोखा बनाने में जुटे थे । यहां कच्ची मिटटी का चूल्हा भी मिल रहा था तो कंडा और लकड़ी भी । आलू टमाटर ही नहीं हर किस्म कि सब्जी भी जगह जगह मिल जा रही थी । पर यह उस हाशिए के समाज के लिए था जो झोला गठरी लेकर संगम में डुबकी लगाने आता है और कुछ समय गुजर कर चला जाता है । पर आभिजात्य वर्गीय समाज भी यहाँ पुण्य कमाने आता है तो बाबा लोगो के भव्य काटेज में रुकता है और उनके सत्संग का लाभ उठाता है । उसके लिए कल्पवासियों की तरह बम्बे यानि नल का पानी नहीं बल्कि बिसलरी और फ़िल्टर का पानी और देशी घी में बना सात्विक भोजन होता है जिसका भुगतान भी ठीक होता है । एक बाबा जी ने तो एटीएम कि तरह फ़िल्टर पानी की मशीन भी लगा रही थी जिससे दो रुपए में एक बोतल पानी आप भर सकते है । ज्यादा प्यास हो तो फिर सिक्का डाले और पानी ले । बाबा लोगो के साथ कुंभ में नया बाजार भी दिख रहा है तो सिंदूर टिकुली वाला पुराना बाजार भी जिसके ज्यादातर सामान प्लास्टिक के आवरण में दिखते है ।बाबा लोगों के प्रसाद कि भी पैकेजिंग गजब की है अपने जेब में भी बाबा जी के दिए कुछ पैकेट कैलिफोर्निया के चिलगोजे और मूंगफली भी है । स्वामी सत्यम ने तो कैलिफोर्निया रोस्टेड काफी से स्वागत किया ।अभी मुख्यमंत्री उनसे मिलने गए थे । वे अपने पाठक नहीं प्रशंसक है । हम भी अभिभूत है जिन स्वामी जी के लोग पैर छूकर आशीर्वाद लेते है वे अपन के मुरीद है क्यों यह समझ नहीं पाया । लखनऊ में घर पर भी वे क्रिया योग के बारे में बता चुके है । खैर इस कुंभ और भी चमत्कारिक साधू संत और सन्यासी है । कल गंगा किनारे गुजर रहा था तो एक संत लोगो को नर्क के बारे में बता रहे थे कि वह बहुत कष्ट होता है मारा पीटा जाता है तो सोचने लगा यह काम तो गांव से लेकर मोहल्ले तक रोज होता है और इसी धरती पर लोगों को नर्क का अहसास हो जाता है । खैर लोगों की आस्था है । आस्था न होती तो इतना कष्ट झेलकर ठंड में क्यों आते । आखिर हम भी तो आए ही है। संगम में देखा लोग दूर दराज से आई महिलाए बच्चों के साथ किस तरह शाम के समय भी पूरे उत्साह से नहा रही थी तो घाट पर एक स्वामी जी का प्रवचन सुनाने वालों की भीड़ लगी हुई थी । एक और भीड़ बुजुर्ग महिलाओं कि राशन की दूकान पर अनाज खरीदने के लिए लगी थी । अंबरीश कुमार फोटो-यह एक स्वामी जी का कुंभ में डाइनिंग हाल का फोटो है

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