Monday, February 18, 2013

काटजू के समर्थन में आए समाजवादी और वामपंथी

कहा- फासीवादी ताकते अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर रही अंबरीश कुमार लखनऊ ,१८ फरवरी । उत्तर प्रदेश के पुराने वामपंथी और समाजवादी छात्र नेताओं ने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू को बर्खास्त करने की भाजपा की मांग का जोरदार विरोध किया और काटजू का समर्थन करने का एलान किया ।इन नेताओं ने काटजू पर हमला अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया ।गौरतलब है कि ये सभी छात्र नेता उस दौर के ही जब काटजू इलाहाबाद विश्विद्यालय में सक्रिय थे । इलाहाबाद विश्विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और इंडिया पीपुल्स फ्रंट राष्ट्रीय संयोजक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा-जस्टिस काटजू ने जो कहा वह देश का लोकतांत्रिक समाज पहले से कहता रहा है । दरअसल फासीवाद जिसकी पोषक संघ और भाजपा रही है वह यह सच स्वीकार करने की बजाय सच के दमन पर आमादा है जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा । मेरठ विश्विद्यालय के जाने माने छात्रनेता और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा तो फासीवादी और तानाशाही वाली प्रवृति की वाहक रही है इसलिए उसके नेताओं की टिपण्णी उनकी विचारधारा की पुष्टि ही करती है ।गुजरात में मोदी ने जो किया वह किसी से छुपा नहीं है काटजू ने सच लिखा है और कट्टरपंथी ताकते उसका इसीलिए उसका विरोध कर रही । वाराणसी के छात्र नेता और किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा कि काटजू ने सही बात लिखी है और अगर प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष को यह आजादी नहीं रही तो वह प्रेस की आजादी की लड़ाई कैसे लड़ेगा । काटजू पर यह हमला अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है । सभी लोकतांत्रिक ताकतों को इसका विरोध करना चाहिए। बनारस हिंदू विश्विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर चित्रकार चंचल ने कहा - काटजू साहिब ने गलत क्या कहदिया है ? नरेंद्र मोदी जिस रास्ते पर थे , और जिस रास्ते से गुजरात में हाथ पाँव फैला रहे हैं वह एक आत्मघाती संकीर्णता है और खुल्लम खुल्ला जनतंत्र पर हमला .।यह हम इस लिए कह रहे हैं कि धार्मिक उन्माद के सहारे एक चुनी हुई सरकार अगर दूसरे धर्म के ऊपर हुकूमती डंडे से सरकार चलाने का दावाचाहिए करती है तो यह किसी कौम को खौफजदा कर के उस पर अपनी हुकूमत थोपना भर नही है बल्की यह जम्हूरी निजाम को तोडना है ।मोदी ने गुजरात में वही किया है ।खुला सरकारी हमला है । अगर काटजू ने यह कह दिया तो तो यह उनका हक बनता है कि वह सच को सच कहें . क्योकि जैसे जिम्मेदार ओहदे पर काटजू बैठे वह राशन की दूकान नहीं है।वह मीडिया को संचालित और सही ढर्रे पर चलने वाली नियंत्रक संस्थान से बा वास्ता है । जनतंत्र में मीडिया चौथा खम्भा ।है जिस पर जम्हूरी निजाम खड़ा होता है । मोदी के बचाव और काटजू जी के ऊपर आरोप लगानेवाले हमारे पुराने मित्र और धुर विरोधी अरुण जेटली एक तरह से अपने ही नेताओं के खिलाफ बोल रहे हैं । जेटली गुजरात मे जब मुसलमानों पर कत्लेआम हो रहा था उस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी का बयान क्यों खारिज कर रहे हैं ? इतना ही नहीं स्मृति इरानी ने तो और भी आगे जा कर बोल दिया था । तब आप कहाँ थे जेटली साहिब ? जेटली साहिब आपको याद होगा जब मै बनारस विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहा था तो आप मेरे खिलाफ संघी उम्मेदवार के प्रचार में आए थे ।आपने विश्विद्यालय का फैसला तो देखग ही लिया था । आप से अनुरोध है कि देश में समतामूलक समाज के निर्माण में आप सच को स्वीकार करे।निर्माद में आप सच को स्वीकार करे।जनसत्ता

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