Monday, May 14, 2012

रामदेव की भी है अण्णा जैसी एक टीम

अंबरीश कुमार
लखनऊ , मई । भ्रष्टाचार और कालाधन के साथ बदलाव की लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो रहे बाबा रामदेव की भी एक टीम है जिसके बारे में कोई नही जानता । टीम अन्ना को तो टीवी चैनलों के जरिए समूचा देश जानता है टीम रामदेव के सदस्य अपने बारे में कुछ कहना तो दूर अपनी पहचान भी सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं है । इस टीम में आईआईटी की इंजीनियरिंग छोड़कर जयप्रकाश आंदोलन में शामिल होने वाले से लेकर गांधीवादी ,सर्वोदयी और समाजवादी सभी है । लड़ाई लंबी है इसलिए तैयारी भी ढंग से हो रही है ।अन्ना हजारे के आंदोलन में जो जो दिक्कतें आई उनसे सबक लेकर ये अपनी रणनीति बना रहे है जिसमे बिना संगठन के चुनावी राजनीति में हस्तक्षेप जैसा मुद्दा भी है । इस टीम का सारा जोर प्रचार से दूर रहकर मजबूत सांगठनिक ढांचा खड़ा करना है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में इस आंदोलन के जुझारू कार्यकर्त्ता तैयार हो सके । मामला सिर्फ जून के प्रदर्शन का नहीं है बल्कि आगे कि लड़ाई का भी है ।इस अभियान में नौजवान है ,किसान है तो महिलाएँ भी बड़ी संख्या में शामिल हो चुकी है । उत्तर प्रदेश के अलावा करीब आधा दर्जन राज्यों के कई जन संगठनों के लोग शिरकत कर रहे है जिनमे बिहार ,मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,ओडिसा ,दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,झारखण्ड और उतरांचल आदि शामिल है । जयप्रकाश आंदोलन से निकले सर्वसेवा संघ के सचिव रामधीरज ने कहा - बाबा रामदेव के आंदोलन से ज्यादा उम्मीद इसलिए भी हो रही है क्योकि इसकी रणनीति बनाने वाले आंदोलनों के लोग है ।दूसरे बाबा रामदेव का रुख भी काफी लचीला है और वे सकारात्मक सुझावों पर अमल करने में देर भी नहीं लगाते । रामदेव संगठन के जरिए सामाजिक राजनैतिक बदलाव कि दिशा में पहल करेंगे ।यही वह मुद्दा है जिसपर टीम अन्ना कमजोर पड़ती है । राजनैतिक दखल को लेकर देश के चार आंदोलनों का हवाला बदलाव कि तकते देती रही है जिन्हें बुरी तरह नाकाम होना पड़ा । रामधीरज के मुताबिक किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत और उनसे पहले बाबा जयगुरूदेव ने इस तरह का प्रयोग किया और नाकाम रहे जबकि इनकी रैलियों में रामलीला मैदान से ज्यादा भीड़ आती थी ।इसी तरह कर्णाटक में रैय्यत संघ के नंजदुंग स्वामी जो बड़े जनाधार वाले नेता रहे पांच विधायक भी नही जितवा पाए और शेतकरी संगठन के शरद जोशी भी नाकाम रहे । आंदोलन और चुनावी राजनीति का समीकरण बहुत अलग होता है और अगर इसे बिना समझे कोई फंसा तो बुरी तरह असफल होता है । रामदेव की टीम इन सभी मुद्दों को लेकर पहले से ही सतर्क है और ज्यादा जोर फिलहाल संगठन और आंदोलन पर है ।साथ ही बाबा रामदेव की छवि भी धर्मनिरपेक्ष हो यह ध्यान रखा जा रहा है । अन्ना आंदोलन पर जिस तरह संघ का ठप्पा लगा उससे भी काफी नुकसान हुआ था। बाबा रामदेव की टीम में संघर्ष वाहिनी मंच के राजीव हेम केशव से लेकर युवा भारत के राकेश रफीक तक जैसे कई तपे तपाए कार्यकर्त्ता शामिल है । जयप्रकाश आंदोलन से निकले कार्यकर्ताओं के अलावा समाजवादी और गांधीवादी भी । जो बाबा रामदेव के आंदोलन कि दीर्धकालीन रणनीति कि तैयारी कर रहे है । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा -बाबा रामदेव तो कम से कम किसानो के सवाल को भी जोड़ रहे है वर्ना टीम अन्ना को तो लगता है किसानो से कोई सरोकार ही नही है । उनकी कोर कमेटी के सदस्य सुनीलम मध्य प्रदेश में अकेले संघर्ष कर रहे है और टीम अन्ना चुनाव लड़ने कि तयारी में जुटी है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है । जनसत्ता

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