Monday, May 7, 2012

मायावती के सर्वजन और बहुजन को एक झटके में बांट दिया अखिलेश ने

अंबरीश कुमार लखनऊ ,मई ।प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागु कराकर मुख्यमंत्री
ने मायावती के सर्वजन और बहुजन समीकरण को न सिर्फ तोड़ दिया है बल्कि अगड़ो और पिछड़ों का नया समीकरण बना दिया है जिसमे मुस्लिम भी साथ है ।इस फैसले के खिलाफ आज यहाँ दलित नेता आरके चौधरी के नेतृत्व में प्रदर्शन भी हुआ और कई अन्य दलित संगठन लामबंद भी हो रहे है । यकीनन दलितों की इस लामबंदी का फौरी फायदा मायावती को भले मिल जाए पर इसका ठीकरा भी उन्ही पर फूट रहा है । राजनैतिक दलों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में नागराज मामले में मायावती सरकार ने क़ानूनी रूप से जो जरुरी कदम उठाए जाने थे उसकी अनदेखी करते हुए फौरी लोकप्रियता के लिए जो फैसला लिया वही आज उनके खिलाफ भी जा रहा है । जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा -आज जो हो रहा है उसके लिए कोई और नहीं सिर्फ मायावती जिम्मेदार है जिन्होंने नागराज मामले में प्रमोशन में पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दे पर राजनैतिक फायदा उठाने के लिए फैसले की त्रुटियों को सुलझाए बिना आरक्षण लागू करा दिया । यही वजह है कि इस मामले में नुकसान भी मायावती को उठाना पड़ेगा ।दूसरी तरफ भाकपा नेता अशोक मिश्र ने कहा -अखिलेश यादव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लागू किया है जिससे हम सहमत है । प्रमोशन में आरक्षण को लेकर समाज में जो तनाव दिख रहा है उसे समझना चाहिए । दूसरी तरफ विधि विशेषज्ञ नीलाक्षी सिंह ने कहा -उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के उक्त फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति याचिका और अन्य लोगों द्वारा दायर सिविल अपील पर उच्चतम न्यायालय ने 27 अप्रैल 2012 को दिए गए अपने फैसले में उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के उक्त फैसले को बरकरार रखा है।ध्यान रखना चाहिए कि जब तक एम नागराज केस में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित नियम पूरे नहीं किए जाते तब तक पदोन्नति में आरक्षण स्थगित है, समाप्त नहीं हुआ है।यदि न्यायालय के निर्णय का अनुपालन उत्तर प्रदेश सरकार को करना है तो प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए और न देने के लिए भी उच्चतम न्यायालय की तरफ से एम नागराज केस के निर्णय में दिए गए निर्देशों को पूरा तो करना ही होगा। गौरतलब है कि प्रमोशन में आरक्षण बसपा सरकार के शासनकाल में भी सरकार पर निर्भर था और अब समाजवादी पार्टी की सरकार में भी सरकार पर ही निर्भर है। अगर वर्तमान सपा सरकार इस पूरे मामले पर मायावती सरकार के निर्देशों को सार्वजनिक करती है तो मायावती इस पूरे मामले का कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले पाएँगी ।नही तो इस पूरे मामले में सपा सरकार खलनायक के रूप में नजर आएगी जैसा कि प्रचारित किया जा रहा है और बसपा की मायावती दलितों की एकमात्र हितैषी। इस मामले का राजनैतिक पहलू दिलचस्प है । कांग्रेस जो राजस्थान में यह व्यवस्था लागू नहीं कर पाती वह यहाँ सरकार के खिलाफ खड़ी हो रही है । इस मामले में मायावती का सर्वजन अब पूरी ताकत से अखिलेश यादव के साथ खड़ा है । यह अखिलेश यादव की ताकत भी बढ़ा रहा है । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा - मामला अठारह लाख सरकारी कर्मचारियों का है जिससे करीब दो करोड़ लोग प्रभावित होंगें । इसलिए इसे बहुत मामूली मुद्दा नहीं मान सकते ।पर यह तो साफ़ है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सर्वजन को बहुजन से तोड़ दिया है ।jansatta

No comments:

Post a Comment