Friday, March 8, 2013

राजा के लिए लामबंद हुए राजपूत तो आजम का भी मोर्चा खुला

अंबरीश कुमार लखनऊ 9 मार्च ।कुंडा के सीओ जियाउल हक़ की हत्या के मामले में फंसे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैआ के लिए उत्तर प्रदेश के राजपूत विधायक और सांसद लामबंद हो रहे है। कुंडा कांड की सीबीआइ जाँच के एलान के बाद करीब तीन दर्जन राजपूत विधायकों ने राजा भैया के साथ एकजुटता दिखाई है।सूत्रों के मुताबिक इनकी बैठक भी हुई जिसमे अन्य दल के भी विधायक शामिल हुए । भाजपा के एक शीर्ष राजपूत नेता ने भी राज भैया से संपर्क किया । दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी में राजा भैया के धुर विरोधी आजम खान के समर्थकों ने भी मोर्चा खोल दिया है । राजा भैया के समर्थकों ने कुंडा में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने आजम खान के खिलाफ नारेबाजी की थी तो अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय में राजा भैया का पुतला फूंक कर हिसाब बराबर किया गया । आजम खान काफी पहले से राजा भैया के खिलाफ रहे है । प्रतापगढ़ के आस्थान के दंगों जिसमे मुस्लिम समुदाय के चालीस से ज्यादा घर जला दिए गए थे ,इस घटना को लेकर आजम खान ने काफी नाराजगी जताई थी । भाकपा माले न्यू डेमोक्रेसी का साफ आरोप है कि आस्थान दंगों में राजा के सहयोग से प्रवीण तोगडि़या व आरएसएस तत्वों ने मुस्लिम नागरिकों पर हमला किया था, कुंडा के सीओ जिया उल हक़ उन दंगों की जांच भी कर रहे थे इसलिए राजा की भूमिका संदिग्ध है । कुंडा में अब यह सब खुल कर सामने आ गया है । यही वजह है कि राजा भैया के लिए राजपूत विधायक लामबंद हो रहे है । यह ध्यान रखना चाहिए कि मुलायम सिंह से जब अमर सिंह अलग हुए तो राजपूत एकजुटता की जगह राजा भैया ने मुलायम का साथ दिया और अमर सिंह अलग थलग पड़ गए थे । पर अब कुंडा में सीओ जिया उल हक़ के साथ यादव भाइयों की हत्या ने सब समीकरण बदल दिए है । अखिलेश यादव ने मामला सीबीआइ को देकर फिलहाल काफी हद तक हालात को काबू में करने का प्रयास किया है पर जातीय संतुलन गड़बड़ा रहा है । हालाँकि राजा भैया हमेशा निर्दलीय रहते है पर सभी पार्टी में उनका अलग आभा मंडल है कुछ जग जाहिर है तो कुछ परदे के पीछे ।वे भाजपा के राज में भी मंत्री रहे तो सपा के राज में भी । उनके बचाव में राजपूत विधायक और सांसद जिसमे कुछ खुद भी बाहुबली है लामबंद हो रहे है ।वैसे उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों की राजनीति भी दिलचस्प रही है और कई तो कभी भी किसी दल के मोहताज नहीं रहे है । दलों के मुखिया इनके कसीदे काढते रहे है । बाहुबली मुख़्तार अंसारी जिनका लोकसभा चुनाव का प्रचार करने वाराणसी गई बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तब कहा था - ये तो ग़रीबों के मसीहा है । वे फिलहाल किसी दल में नहीं है । इस समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए उन्होंने खुद अपना दल बना लिया है । वे दिन में विधान सभा में प्रदेश चलने की कवायद से जुड़े रहते है तो रात को जेल पहुँच जाते है । अतीक अहमद भी फिलहाल स्वतंत्र है जो पंडित जवाहर लाल नेहरु के संसदीय क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व कर चुके है । उनपर बसपा विधायक राजूपाल की हत्या का आरोप है । अमरमणि त्रिपाठी भी जेल में है जिनके बारे में अगस्त 2003 में मुलायम सिंह ने कहा था -इन्होने प्रदेश ही नहीं देश को भी बचा लिया है । ऐसा नहीं कि इस खेल में सिर्फ सपा बसपा का ही वर्चस्व हो ,भाजपा भी पीछे नहीं है । राजा भैया पर जब मायावती ने पोटा लगाया तो राजनाथ सिंह से लेकर विनय कटियार तक ने एलान किया ,अब पोटा पर सोंटा चल्रेगा । अब फिर राज़ा भैया संकट में है तो प्रदेश के ज्यादातर राजपूत विधायक दलगत सीमा से ऊपर उठकर उनके साथ । राजा भैया का कुंडा में जो दबदबा है उसपर राजनैतिक विश्लेषक वीरेन्द्र नाथ भट्ट ने कहा - राजा भैया तो तुलसीदास के उस दोहे को चरितार्थ कर रहे कि भय बीन हो न प्रीत ,वे अपना राजनैतिक और कारोबारी सामराज्य बचाने के लिए वे सब हथकंडे अपनाते है जो कोई सामंत अपनाता रहा है और जो कुछ वहां हुआ वह इसी कार्यक्रम का विस्तार है । हालाँकि सीबीआइ काफी तेजी से काम कर रही है पर कामयाब हो पाएगी यह समय ही बताएगा ।

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