Wednesday, March 13, 2013

अस्सी के दशक में इंडियन एक्सप्रेस

अस्सी के दशक में इंडियन एक्सप्रेस दो दिन से दिल्ली में था अभी लखनऊ पहुंचा हूँ .वर्ल्ड सोशल फोरम की बैठक के अलावा गांधीवादियों की एक बैठक में शरीक हुआ .कल रात प्रेस क्लब में पुराने मित्रों से भी मिलना हुआ। सारा दिन एक्सप्रेस की लाइब्रेरी में गुजरा अस्सी के दशक में जो लिखा उसमे बहुत कुछ मिला तो काफी कुछ छूट भी गिया .वर्ष 1991 तक पहुँच चूका हूँ और अगली बार फिर चार पांच साल का लिखा देख कर ले आऊंगा .पर अस्सी के अंतिम दौर और नब्बे की शुरुआत में जनसत्ता में जो लिखा गया फिर देख कर इतिहास में लौटा .राजेंद्र माथुर ,रघुवीर सहाय ,शरद जोशी से लेकर नूतन का जाना और राजनैतिक घटनाक्रम पर प्रभाष जोशी का लिखा फिर पढ़ा .कुछ हैडिंग देखे -प्रभाष जोशी ने दलबदल पर लिखा ' चूहे के हाथ चिंदी है ' फिर एक हैडिंग -चौबीस कहारों की पालकी ,जय कन्हैया लाल की ' और एक की हेडिंग थी -नंगे खड़े बाजार में .'उस दौर में जनसत्ता में इंडियन एक्सप्रेस के जिन लोगों की खबरे छपी उनमे अरुण शोरी ,नीरजा चौधरी ,पीएस सूर्यनारायण ,पुष्पसराफ ,अश्वनी शरीन ,चित्रा सुब्राह्मनियम ,आरती जयरथ देव सागर सिंह आदि प्रमुख थे .मैंने देवीलाल का जो इंटरव्यू लिया वह जनसता के साथ एक्सप्रेस में भी प्रकाशित हुआ था वह अभी नहीं मिला है . इसी बीच विजयप्रताप का फोन आया तो जीपीएफ पहुंचा . गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा बहन से मुलाकात हुई तो पता चला वे भी रामगढ की रहने वाली है और डाक बंगले के नीचे गाँव घर है .आना जाना लगा रहता है अब वहां भी मुलाकात होगी .बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय के अफसर और पुराने मित्र गोगी बिहार आन्दोलन के बड़े नेता रघुपति के साथ वाइएमसीए में दोपहर का खाना खिलने ले गए .खाने के बाद फिर बहादुरशाह जफ़र मार्ग के दफ्तर .अपना स्कैन कैमरा काम नहीं कर रहा था इसलिए फोटो कापी के लिए निशान लगा कर भेजना पड़ा .लाइब्रेरी में सबसे ख़राब हालत जनसत्ता की है .पर अब विवेक गोयनका के पुत्र ने कुछ सुध ली है और पुराने अख़बार को कंप्यूटर में डाला जा रहा है .इस दौरे में कुमार आनंद से लेकर मनोहर नायक से मुलाकात हुई .बहुत पहले मैंने मनोहर के साथ देव आनंद का लम्बा इंटरव्यू लिया था करीब ढाई घंटे बात हुई थी जो लिखा वह अगली बार निकलना है

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