Tuesday, March 19, 2013

आलोक तोमर

आज को गए दो साल पूरे हो गए .संभवतः 1988 के मई में अपनी पहली मुलाक़ात एक्सप्रेस बिल्डिंग में हुई थी ..जबरदस्त गर्मी थी और रात में भी लू चल रही थी .तब विजयप्रताप के आस्था कुटीर में रूका था जो समाजवादी साथियों का अड्डा था .जनसत्ता ज्वाइन करने के बाद उन्हें लड़ते, भिड़ते और लिखते देखा .उनकी खबर का संपादन भी किया जो बहुत मुश्किल होता था क्योकि कही से भी कोई शब्द हटाने का अर्थ पूरी स्टोरी का संतुलन बिगाड़ना होता .कई बार इसे लेकर नाराजगी भी जताई .एक बार आलोक ने कहा ,मै सिर्फ एक वाक्य में पूरी स्टोरी लिख दूंगा और उसका संपादन आसान नहीं होगा .वे जनसत्ता में प्रयोग के दिन थे और प्रभाष जोशी के नेतृत्व में हम सभी सातवें आसमान पर रहते थे .रामनाथ गोयनका वही एक्सप्रेस बिल्डिंग में बैठते थे और एक बार बिजली चली गई तो मैंने उन्हें कमरे से बाहर आकर धोती सँभालते गुस्से में कोहली (जीएम ) को गाली देते हुए देखा .तब वे काली फियट खुद चला कर आते थे .बाद में आलोक सुप्रिया की शादी में आए और बहुत देर तक रहे .परसों ही सुप्रिया भायुक होकर कह रही थी कि जिन लोगों को बीस के कार्यक्रम के लिए बुला रही हूँ उनमे कई तो ऐसे लोग है जिन्होंने मुझे बीस बाइस साल की उम्र से आलोक के साथ देखा है मसलन बनवारी ,कुमार आनंद आदि .आलोक कुछ भी लिख सकते थे और किसी पर भी .एक लेख देखे उनका लिखा हुआ .

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