Sunday, January 13, 2013

विदर्भ में बिजली घर के कचरे से तबाह हुआ किसान और बागवान

विदर्भ में बिजली घर के कचरे से तबाह हुआ किसान और बागवान अंबरीश कुमार अमरावती ,१२ जनवरी । विदर्भ का किसान फिर संकट में है । कपास किसान तो पहले ही सरकारी नीतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चलते तबाह होकर खुदकुशी कर रहा है तो अब नया खतरा बिजली घरों के उस कचरे का है जो संतरा किसान से लेकर अन्य किसान और बागवान को तबाह कर रहा है । विदर्भ में १३२ बिजली परियोजनाएं आ रही है तो करीब ढाई दर्जन पहले से ही तबाही मचाए हुए है जिससे सैकड़ों गांवों के किसान परेशान है । इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित चंद्रपुर ,यवतमाल ,अमरावती गोंदियाँ से लेकर नागपुर तक है । इस अंचल में पानी का संकट है और इतने बड़े पैमाने पर बिजली घर कि नई परियोजनाओं के आने के बाद संकट और गहराने वाला है । अमरावती से लेकर नागपुर तक किसान इसके खिलाफ एकजुट हो रहा है । नागपुर से करीब दस किलोमीटर दूर सर ही इन बिजली घरों की तबाही का असर दिखने लगता है । पास के ही कामठी में एक कास्तकार और गांव के सरपंच सुशील भोयार संतरे के बागान दिखाने ले गए जो पास के बिजली घर की राख से तबाह हो रहा । बात सिर्फ संतरे तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि इसका असर अन्य फसलों और शाक शब्जियों पर भी पड़ने लगा है । खास बात यह है कि इस खेल में कांग्रेस से लेकर भाजपा नेता तक शामिल है ,कुछ नाम से तो कुछ बिना नाम के । एक कास्तकार ओम जजोदिया ने कहा -कांग्रेस के नेता इंडिया बुल्स से लेकर अडानी और लेंकों में बेनामी हिस्सेदारी लिए हुए है तो नितिन गडकरी का पूर्ति बिजलीघर सार्वजनिक है ।दिक्कत यह है कि यह सभी बिजली घर अब किसानो की कीमत पर चल रहे है और पर्यावरण विनाश में जुट गए है । उन्होंने संतरे के बगीचे दिखाए जिसके पौधों पर बिजली घर की राख जमी हुई थी और बहुत से पौधे सूख रहे थे कई ऐसे पौधे भी दिखे जिसके संतरे सूखते जा रहे थे । इन बगीचों में आधी से ज्यादा पैदावार पर बिजली घर कि रख का असर साफ़ दिख रहा था । हेमराज शिंदे हमें सब्जियों के खेत में ले गए जहाँ गोभी ,बैगन और धनिया आदि लगी थी । गोभी की फसल का एक हिस्सा खराब नजर आ रहा था । जिन गोभी के फूल पर ज्यादा रख गिरी थी वे काले पड़ चुके थे और यही स्थिति बैगन कि भी थी । अब ये किसान सरकार से मुआवजा मांग रहे है पचास हजार एकड़ के हिसाब से । किसान मंच के महासचिव प्रताप गोस्वामी इन किसानो को एकजुट कर आंदोलन खड़ा कर रहे है । शनिवार को किसानो की एक बड़ी जनसभा में इस तरह के बिजली घरों को विनाशकारी बताया गया और कहा गया कि इनसे किसान तबाह हो जाएगा । प्रताप गोस्वामी ने जनसत्ता से कहा -अजीब स्थिति है विदर्भ में जहाँ पानी का संकट है वहाँ १३२ बिजली घर लाए जा रहे है जिनकी क्षमता ८४००० मेगावाट की होगी और सारी बिजली दूसरे अंचल में जाएगी जबकि इसका खामियाजा विदर्भ के किसान को झेलना पड़ेगा । अभी जिस तरह का कोयला इन बिजली घरों में इस्तेमाल हो रहा है उससे पचास फीसद राख निकलती है जिससे खेती पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है ।इन बिजली घरों से यह संतरा पट्टी तो पूरी तरह तबाह हो जाएगी क्योकि भू जल स्तर काफी नीचे जा रहा है । गौरतलब है कि सिर्फ नागपुर में जो नए बिजली घर आ रहे है उसके बाद इनकी कुल क्षमता चौदह हजार मेगावाट हो जाएगी । अभी जो चल रहे है उनमे खापरडा में १३४० मेगावाट ,कोराडी में १००० मेगावाट ,एनटीपीसी का ५०० मेगावाट ,रिलायंस का ३०० मेगावाट ,मिहान का १५० मेगावाट ,आइडियल एनर्जी का २७० मेगावाट ,पूर्ति का २५ मेगावाट ,इंडोरमा का पचास मेगावाट शामिल है । अंदाजा लगा सकते है कि नागपुर की स्थिति कुछ सालों में कितनी विकत होगी । सिंगरौली में बिजली घरों की तबाही के खिलाफ लोगों को जागरूक करने जुटी एकता सिंह ने कहा - सिंगरौली से सोनभद्र तक जो तबाही हो चुकी है अब वह विदर्भ में होने वाली है और अगर इसके खिलाफ लोग जल्द खड़े नहीं हुए तो हालात खतरनाक होंगे । वहाँ तो बिजली घरों कि फ्लाई ऐश से पानी जहरीला हो चुका है । पर विदर्भ के किसान अब खड़े हो रहे है । शनिवार को बिजली घर से प्रभावित किसानो की जनसभा में रिटायर
भी शामिल हुए और कहा -यह बड़ी लड़ाई है अगर खेत नहीं बचा ,पानी नहीं बचा तो किसान कहा जाएगा । अब हमें रणनीति बनाकर इसके खिलाफ आंदोलन छेडना होगा । हम आपके आंदोलन में साथ है और जब कहेंगे जमीन पर उतर कर लड़ेंगे । किसानो इस मौके पर जनरल को जनता जनरल घोषित किया और उन्हें इस आंदोलन से जुडने का न्योता दिया । फोटो कैप्शन -विदर्भ में बिजली घर की राख से सूखते संतरे राख से काली पड़ती गोभी तो बैगन के सूखते पत्ते

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