Monday, January 14, 2013

नई लड़ाई की शुरुआत बिहार से करेंगे वीके सिंह और अन्ना हजारे

अब मुद्दा जल ,जंगल ,जमीन से लेकर नौजवान और किसान होगा अंबरीश कुमार लखनऊ ,14 जनवरी । अन्ना हजारे और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह बिहार से बदलाव की बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे है । पटना के गांधी पर 30 जनवरी को जनतंत्र रैली से इसकी शुरुआत होगी जिसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर नौजवान और किसान के बीच दोनों नेता जाएंगे ।मुद्दा भी व्यापक होगा जल जंगल जमीन से लेकर नौजवान और किसान । यह जानकारी जनसत्ता से बात करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने दी । उन्होंने विकास के मौजूदा ढांचे का जहाँ विरोध किया वही किसानो की दो फसली और तीन फसली जमीनों के अधिग्रहण का भी विरोध किया । यह पूछे जाने पर कि बदलाव की इस लड़ाई की शुरुआत कैसे होगी और क्या कार्यक्रम है ,वीके सिंह ने कहा -देश में नौजवान किस कदर नाराज है यह अब किसी से छिपा नहीं । दिल्ली में बार बार नौजवान सड़क परर उतर रहा है । इसे पहले अन्ना हजारे के आन्दोलन में भी लाखो नौजवान सड़क पर उतर चुके है । समय आ गया है कि इन नौजवानों को लामबंद कर समाज में बदलाव की बड़ी लड़ाई लड़ी जाए । इस लड़ाई में सभी को जोड़ा जाए । यह सब करने का विचार कैसे आया ? दरअसल रिटायर होने के बाद बहुत से विकल्प होते है ,सरकार की तारीफ़ कर कोई बड़ा पद ले सकते है । घूमने फिरने के साथ गोल्फ खेलने के बाद शाम को एक पैग व्हिस्की के लेकर अलग तरह का जीवन भी गुजर जा सकता है । पर मैंने इन नौजवानों का गुस्सा देखा । जल जंगल जमीन के लिए लड़ते आदिवासियों को देखा । अपना खेत बचाने की लड़ाई लड़ता किसान देखा । भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते अन्ना हजारे को देखा । ऐसे में इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए मै भी आ गया हूँ । नौजवानों के बीच जा रहा हूँ तो किसानो के बीच भी । किस तरह शुरुआत होगी यह पूछने पर वीके सिंह ने कहा -इस बारे में अन्ना हजारे से बात हुई है । नौजवान किसान से लेकर जल जंगल और जमीन के लिए लड़ रहे आदिवासियों के मुद्दों के साथ अन्य सवालों को लेकर एक पब्लिक एजंडा तैयार किया जाएगा । इस जनता एजंडा को लेकर हम सब जगह जाएंगे । हम राजनैतिक दलों को भी यह एजंडा देंगे और चाहेंगे कि वे इस पर भरोसा दे । फिर आगे की रणनीति बनेगी ,शुरुआत तो होने दे । बदलाव की लड़ाई तो माओवादी भी लड़ रहे है ? वीके सिंह -वे भी इस देश के नागरिक है लड़ने के तरीके पर मतभेद हो सकता है और विरोध भी । जब मुठभेड़ में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल के जवान मारे गए थे तो सरकार चाहती थी की सेना कार्यवाई करे पर मैंने सेनाध्यक्ष के रूप में मना कर दिया जिससे चिदम्बरम नाराज भी हुए । जंगल पर पहला हक़ तो आदिवासी का ही बनता है जिसे वहां से हटाया जा रहा है और कारपोरेट घरानों को जंगल सौंपा जा रहा है ।ऐसे में आदिवासी कहा जाएगा । आप बिना सुरक्षा के और हवाई जहाज में इकोनामी क्लास में चल रहे है ,नागपुर में प्रशासन ने कोई सुरक्षा भी नहीं दी इससे कोई समस्या तो नहीं आती ? वीके सिंह -सुरक्षा मामला तो छोडिए क्या कभी सेनाध्यक्ष की सुरक्षा वापस लेने की सार्वजनिक घोषणा होती है ,यह जानकारी आप किसे देना चाहते है हथियारों ले उन दलालों को जिनका काम मेरे सेनाध्यक्ष रहते नहीं हुआ । किसे बताना चाहते है की अब सेनाध्यक्ष निहत्था हो गया है ।यह इस सरकार की मानसिकता को दर्शाता है । मेरे पास तो जयपुर से एक जवान का फोन आया जिसके पास सौ कमांडो का दस्ता है उसने कमांडो देने को कहा तो मैंने मना कर कर दिया।जहाँ तक आम आदमी की तरह चलने की बात है तो थरूर जिस कैटल क्लास की बात कही थी उसमे चलने पर आम आदमी के ज्यादा करीब होता हूँ । विकास के नए माडल को लेकर क्यों विरोध कर रहे है ? वीके सिंह -विकास का अपना माडल जन विरोधी है ,हम विकास के खिलाफ नहीं है । कुछ उदाहरण देखने वाले है । जब टाटा को सिंगूर में जमीन दिखाई गई तो तीन विकल्प थे पर उन्हें वही जमीन दिखाई गई जो किसानो की खेती की ऊर्वरक जमीन थी जिसपर विवाद हुआ ।दूसरे हरियाणा के फतेहाबाद में जो इलाका तीस चालीस साल पहले तक बहुत कम आबादी वाला था वह कोई उद्योग नहीं लगा आज जब कई गाँव बस गए अच्छी खेती हो रही है तो वह एटमी बिजली घर चाहते है यह कौन सा तर्क है ।यह जगह सामरिक लिहाज से भी जोखम भरी है जहाँ पकिस्तान मिसाईल से हमला कर सकता है ।कम से गाँव और खेत तो न उजाडा जाए । यही हाल विदर्भ में देखा जा रहा है जहाँ पानी का भयानक संकट है और बिजली घर की कई परियोजनाए आ रही है । अभी भी सरकार का भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव ठीक नहीं है । किसानो की जमीन लेकर उद्योगों को दे देना ठीक नहीं । किसानो को लेकर कोई संगठन बनाना चाहते है ? पहले से ही बहुत संगठन है जिसमे आपस में बहुत मतभेद है को एक मंच पर ले आया जाए तो बड़ा काम होगा । jansatta

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