Tuesday, March 18, 2014

मुसलमानो को साधने की कोशिश है मुलायम का आजमगढ़ जाना

मुसलमानो को साधने की कोशिश है मुलायम का आजमगढ़ जाना उत्कर्ष सिन्हा लखनऊ। इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन के नारे के साथ समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी । मुलायम सिंह मैनपुरी के अलावा पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट से भी किस्मत आजमाएंगे। सपा सुप्रीमो फिलहाल मैनपुरी सीट से सांसद हैं. वहीं, आजमगढ़ सीट पर बीजेपी का कब्जा है. रमाकांत यादव यहां से सांसद हैं। मुलायम के अगमगढ़ पहुचने से पूर्वांचल के इस इलाके का चुनावी दंगल और भी रुचिकर हो गया है। पूर्वांचल के इस इलाके में बनारस से ले कर बलिया तक के आठ लोकसभा सीटों में अभी सपा की सबसे ज्यादा सीटें हैं. समाजवादी पार्टी की इस इलाके में चंदौली,गाज़ीपुर,मछलीशहर और बलिया के रूप में आठ सीटे हैं तो बहुजन समाज पार्टी का भदोही, जौनपुर और घोसी सीट पर कब्ज़ा है। भाजपा के पास महज बनारस की एक सीट है जहाँ से अभी मुरली मनोहर जोशी संसद है और इस चुनावो में नरेंद्र मोदी के उम्मेदवारी के जरिये भाजपा पूर्वांचल को प्रभावित करने की रणनीति बना रही है। मोदी के मैदान में उतरने से पार्टी को यह उम्मीद है की मोदी की कथित लहर के जरिये वह पूर्वांचल के साथ साथ बिहार की कई सीटें प्रभावित कर सकती है। राजनीती के माहिर खिलाडी मुलायम सिंह ने आजमगढ़ के बहाने कई निशाने साधे हैं। मुलायम के यहाँ आने से एक तो मोदी का प्रभाव दूर तक जाने की सम्भावना ख़त्म हो जाती है और मुलायम की इस उम्मेदवारी से इस इलाके में समजवादी पार्टी की सीटे सुरक्षित होने की उम्मीद बढ़ जायेगी। साथ ही साथ मुलायम सिंह आजमगढ़ के घाव को भी सहलायेंगे। बीते दिनों आजमगढ़ के संजरपुर गाव का नाम मुस्लिम आतंकियो से जोड़ने की एक मुहीम सी चली थी और बाटला हॉउस कांड ने भी इस इलाके को सुर्ख़ियों में रखा था। इसी का नतीजा था की उलेमा काउन्सिल नाम की नयी पार्टी के उम्मीदवार ने पिछले चुनावो में लगभग 90 हजार वोट पाये थे। राजनितिक समीक्षक प्रोफ़ेसर रमेश दिक्सित कहते हैं कि आजमगढ़ सीट पर यादव और मुस्लिम वोटर बड़ी तादात में है इसलिए मुलायम के पारम्परिक वोट समीकरण को बनाये रखने का सन्देश भी वे देना चाहते हैं । यह समाजवादी पार्टी का पहले से ही मजबूत इलाका रहा है और मुलायम सिंह के जाने से उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल भी ऊँचा होगा। मुजफ्फर नगर दंगो के बाद यह अटकले लगायी जा रही थी कि समाजवादी पार्टी से मुसलमान वोटर दूर हो रहा है। मुलायम आजमगढ़ के बहाने यह सन्देश भी रहे हैं कि वे मजलूम मुस्लिम युवको के पक्ष में है। और अगर यह सन्देश काम कर गया तो इस इलाके की कम से कम आठ सीटों पर सपा को फायदा हो सकता है। आजमगढ़ से मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव को चुनाव लड़ने की भी कई कवायदे हुयी मगर पार्टी ने पहले सूबे की सरकार के मंत्री बलराम यादव का नाम घोषित किया और फिर उसे बदल कर हवलदार यादव का नाम दे दिया। मगर यह उम्मेदवारी बहुत हलकी थी। आजमगढ़ से अखिलेश सरकार में अभी बलराम और दुर्गा यादव के रूप में दो मंत्री है। वही रमाकांत यादव का कद मुलायम के सामने बहुत बौना है। इसलिए मुलायम को तो यह सीट जीतने में अतिरिक्त मेहनत की तो जरूरत नहीं ही होगी साथ ही साथ मुस्लिमों को बड़ा सन्देश देने में भी आजमगढ़ के जरिये मुलायम कामयाब हो गए तो समाजवादी पार्टी के लिए सूबे की सीटें जीतना आसान हो जाएँगा। जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

1 comment:

  1. विअसे मुलायम के लिए यह सीट आसान नहीं है और रमाकांत को कम ऎना उनके लिए खातरा है जनता यह जानती है कि समाजवादी पार्टी को अधिकतम १० से १२ सीट मिलने वाली है वे वोट बर्बाद नहीं करेगे.

    ReplyDelete