Sunday, March 23, 2014

कारपोरेट खेल था ' महादेव ' की जगह ' मोदी '

कारपोरेट खेल था ' महादेव ' की जगह ' मोदी ' अंबरीश कुमार वाराणसी । भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार महादेव की नगरी में हर हर महादेव के उद्घोष से मुकाबला करने चले थे पर पहले ही धराशाई हो गए ।कारपोरेट प्रचार के तौर तरीकों में कपडे से लेकर हाव भाव और नारे तक विज्ञापन एजंसियां गढ़ती है ,यह सबको पता है ।हर हर मोदी के नारे पर संघ और भाजपा अब भले सफाई दे कि यह भक्तों का गढ़ा है , यह कोई कम से कम यहाँ पर मानने को तैयार नहीं है ।गुजरात में जो दो बड़े प्रमुख तीर्थ स्थान है उनमे एक द्वारिका है जहाँ का आम संबोधन है ' जय द्वारिकाधीश ' और ' जय सोमनाथ ' से सभी परिचित है ।आजतक मोदी के इस राज्य में यह संबोधन और नारा नहीं बदला तो बनारस में मोदी को महादेव के मुकाबले कैसे खड़ा कर दिया गया ।जानकार इसे कारपोरेट घराने की एक विज्ञापन एजंसी का खेल बता रहे है ।हर हर मोदी घर घर घर मोदी भी इसी तर्ज पर गढ़ा गया । इसपर साधू संत नाराज हुए तो संघ परिवार सक्रिय हुआ । 'हर हर महादेव' की तर्ज पर नए नारे 'हर हर मोदी' पर द्वारिका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने खासा ऐतराज जताया है। उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत से बात की । उन्होंने इसे भगवान् का अपमान बताया ।उन्होंने कहा कि यह नारा हर-हर महादेव और हर-हर गंगे के लिए लगाया जाता है। किसी व्यक्ति विशेष से नारा जोड़ने पर लोगों की धार्मिक आस्था आहत हो रही है। वाराणसी एक प्राचीन धार्मिक नगरी है और लोगों की आस्था को भुनाने के लिए विज्ञापन एजंसियां कुछ भी कर सकती है यह ' हर हर मोदी ' के नारे से साफ़ है । बनारस में एक नहीं कई मदिर और मठ के महंत इस नारे से आहत है । उनका यह भी कहना है कि भाजपा और संघ इसे लेकर गुमराह कर रहे है ।कोई भी आस्तिक हिंदू महादेव कि जगह किसी भी नेता को नहीं बैठा सकता और ना ही ऐसा नारा गढ़ सकता है । यह सब मोदी के प्रबंधको का प्रपंच है । जब से मोदी के प्रबंधक बनारस में जमे है तभी से यह सब हो रहा है ।पहली बार यह नारा मोदी की जनसभा में लगवाया गया था । गौरतलब है कि मंदिर आन्दोलन के दौर में भी जब आडवाणी शिखर पर थे तब भी उन्हें श्रीराम के बराबर किसी ने नहीं बैठाया ।अयोध्या में कभी भाजपा के किसी नेता के लिए इस तरह का कोई नारा नही गढ़ा गया ।एक नारा तब चला था ' अयोध्या तो झांकी है - मथुरा काशी बाकी है ।' अयोध्या को तो भाजपा ने लावारिस छोड़ दिया है और अब काशी तरफ कूंच कर दिया गया है ।शुरुआत हर हर महादेव की जगह हर हर मोदी से कर उनके प्रबंधकों ने आगाज कर दिया था ।इसी से आगे की राजनीति का भी संकेत मिल रहा था ।वैसे भी अयोध्या से जो खबरे आ रही है उसके मुताबिक भाजपा वहां मोदी लहर में पिछड़ गई है और फिलहाल मुकाबले से भी बाहर नजर आ रही है ।पत्रकार त्रियुग नारायण तिवारी के मुताबिक भाजपा तीसर नंबर पर थी और इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश फिलहाल दिख नहीं रही है ।अब काशी की बात हो जाए।यहाँ बाहर से माहौल भाजपा के पक्ष में दिख रहा है क्योकि अभी किसी और दल ने ढंग से मोर्चा भी नहीं खोला है ।दुसरे प्रचार और दुष्प्रचार दोनों में संघ माहिर है ।इसी प्रचार के चलते प्रबंधकों ने महादेव का नारा चुरा लिया गया था जो अब भारी पड़ रहा है ।अब भगवान् से मुक्त हुए तो ठोस जमीनी राजनीति पर मोदी को मुकाबला करना है जो बहुत आसान नहीं है ।जोशी काफी कुछ राजनैतिक उधार विरासत में छोड़ गए है ।दूसरे पंद्रह दिन में ही मोदी ने भाजपा को जिस हालत में पहुंचा दिया है उससे जो शुरुआती लहर बनी थी वह ढहती जा रही है ।पूर्वांचल की कई सीटों पर फिर जाति का समीकरण देखा जा रहा है ।ऐसे में मोदी खुद बनारस से ठीक से जीत जाएं तो वही बड़ी बात होगी ।आसपास की सीटों पर कोई ज्यादा असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है ।www.janadesh.in (ambrish2000kumar@gmail.com)

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