Tuesday, August 6, 2013

दुर्गा शक्ति के कंधे पर बंदूक रखकर होती राजनीति

लखनऊ , अगस्त ।उत्तर प्रदेश के कुछ नेता अखिलेश सरकार की साख पर बट्टा लगाने पर आमादा है ।किस तरह छोटे से मुद्दे को सत्ता के अहंकार में राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया जाता है इसकी प्रेरणा नरेंद्र सिंह भाटी से लेनी चाहिए जिसने प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर मुलायम की प्रतिष्ठा को ध्वस्त करने का प्रयास किया है ।एक आइएएस का निलंबन सिर्फ जिले के एक नेता के अहंकार के चलते हुआ ।मामला यहाँ ज्यादा तूल नहीं पकड़ता अगर भाटी इसका ढिढोरा पीटने के सत्ता में साथ अपनी हनक का बेवजह प्रदर्शन नहीं करते और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गुमराह न करते । फिर जिस तरह आईएएस एसोसिएशन इस मामले में कूदा और भाजपा ने मुद्दा बनाया वह तो गौर करने वाला था ही कांग्रेस ने किस तरह पलटी मारी वह हैरान करने वाली घटना है ।पर यह ध्यान रखना चाहिए अफसरों के कंधे पर बंदूक रख कर राजनीति नहीं होती ।अफसर तो अफसर है वह फिर उसी व्यवस्था का अंग बन जाएगा । उस उत्तर प्रदेश में जहां पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एक जिले का दौरा करते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए एक खडंजे को ठोकर मारती है और खडंजा के हटते ही बोली -कलक्टर अब तू भी इस जिले से गया और तबादला हो जाता है ।जहां एक आईएएस अफसर बसपा के शीर्ष नेता का जूता उतरता हो और मुख्य सचिव स्तर का अफसर पार्टी मुख्यालय में जाकर मुलायम सिंह के कसीदे कढता हो उस प्रदेश में आला अफसरों पर भी सवाल उठना चाहिए ।क्या वजह थी जो भ्रष्टतम अफसर का चुनाव यहाँ शुरू हुआ । नीरा यादव ,एपी सिंह ,विजय शंकर पांडे जैसे अफसरों ने राजनीति को ज्यादा भ्रष्ट किया या राजनीति ने इन्हें यह बताना बड़ा मुश्किल है । समाजवादी पार्टी की सरकार में कोई एक राजनैतिक प्रबंधक नहीं है वर्ना कँवल भारती जैसे दलित चिन्तक की गिरफ्तारी जैसा मूर्खतापूर्ण कदम नही उठाया जाता ।यह शर्मनाक घटना है । पर जिस तरह दुर्गा शक्ति नागपाल के सवाल पर राष्ट्रीय दबाव बनाया जा रहा है वह भी उचित नहीं है । दुर्गा शक्ति कोई नेता नहीं है वे अफसर है और देर सबेर उन्हें इस व्यवस्था में रहते हुए ही लड़ना है ।उससे फिर पर कोशिश यह हो रही है कि वे सबकुछ छोड़ चुनाव लड़ लें ।हर आदमी को एक अदद अन्ना की लगातार तलाश रहती है ।इसलिए उन्हें भी उसी रस्ते पर ले जाने लका प्रयास हो रहा है जिसपर अन्ना हजारे जाकर लौट चुके है और अब उनकी सभाओं में कोई ऐतिहासिक भीड़ भी नहीं उमडती । दुर्गा शक्ति को भी उसी तरह पेश करने वका प्रयास हो रहा है । वे ईमानदार है तो इसका अर्थ यह नहीं कि बाकी ईमानदार नहीं है ।उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी सहित कई बड़े उदाहरण है ।इस मुद्दे को राजनैतिक मुद्दा बनाया गया यह साफ़ है । कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व दुर्गा शक्ति के खिलाफ आंदोलन करता है और राष्ट्रीय नेतृत्व पक्ष में खड़ा हो जाता है । इसके बाद इसे जाति और परिवार की राजनीति से जोड़कर मुसलिम तुष्टिकरण का भी मुद्दा बना दिया जा रहा है ।ऐसे में मुलायम सिंह ने भी इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है । उत्तर प्रदेश की राजनीति ध्रुवीकरण पर चलती है और अगर विपक्ष इसका प्रयास करेगा तो सत्ता पक्ष भी वोट की ही राजनीति करता है और वह भी करेगा । ध्यान रखना चाहिए जैसे ही दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन खत्म होगा विपक्ष को फिर दूसरे मुद्दे की तलाश करनी होगी ।जनादेश

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