Tuesday, July 9, 2013

रामलीला में तब्दील होती राजनीति

अंबरीश कुमार लखनऊ, 9 जुलाई। बाबा साहब आम्बेडकर के कदमो पर चलने वाले कांसीराम ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था से संघर्ष करने और दलितों को सामाजिक राजनैतिक ताकत देने के लिए जिस बहुजन समाज पार्टी को बनाया था उसकी लगातार हो रही रैली में शंख घंटा और घड़ियाल के साथ मंत्रोचार के बीच फरसा लेकर खड़े परशुराम का स्तुतिगान हो रहा है । पिछले एक महीने में प्रदेश में जगह जगह हुए बसपा के ब्राह्मण भाईचारा सम्मलेन में यह सब हुआ और आगे भी होगा । यह स्थिति डा राम मनोहर लोहिया के विचारों को मानने वाली समाजवादी पार्टी की भी है । ब्राह्मणों के लिए सपा और बसपा उत्तर प्रदेश में समूची राजनीति को रामलीला में बदलती नजर आ रही है । यह सब राजनैतिक पार्टी के मंच पर बहुत नाटकीय भी लगता है । बसपा ने रविवार की रैली के लिए चित्रकूट से जो भगवा वस्त्रधारी बुलाए थे उनमे हरेक को आने जाने की सुविधा के साथ भोजन और पांच सौ रुपए दिए गए । वे ब्राह्मण के रूप में पेश किये गए । इसी तरह समाजवादी पार्टी ने जब ब्राह्मण सम्मलेन किया तो अयोध्या मथुरा काशी के पंडित मंच पर विराजमान थे तो पीछे बैनर पर फरसा लिए परशुराम । खांटी समाजवादी जनेश्वर मिश्र ब्राह्मण के रूप में याद किए जा रहे था । नारे भी नए नए गढे गए । हाथी नही गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है या फिर ब्राह्मण शंख बजाएगा ,हाथी दिल्ली जाएगा । करीब चौदह फीसद ब्राह्मण वोट बैंक के लिए जिस तरह की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता सपा और बसपा में चल रही है वह आम्बेडकर और लोहिया के विचारों को ध्वस्त करने जैसी है । हाशिए के समाज के लिए जिन लोगों ने सामाजिक राजनैतिक लड़ाई लड़ी वे विचारों के संदर्भ में खुद हाशिए पर जाते दिख रहे है भले उनके नाम की मूर्ति और पार्क बढते जाए । राजनैतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट ने कहा -जिन्हें ब्राह्मणवाद से लड़ना था वे खुद ब्राह्मण को राजनीति के केंद्र में बहुत भौंडे ढंग से ला रही है । अयोध्या में चले जाए इस तरह भगवा वस्त्रधारी मिल जाएंगे जिन्हें कोई भी पार्टी ब्राह्मण बनाकर पेश कर दे जैसे चित्रकूट से पांच पांच सौ रुपए देकर लाए लोगों को ब्राह्मण बना दिया गया । अवसरवादी राजनीति की यह पराकाष्ठा है । रोचक तो यह है कि अयोध्या में ज्यादातर साधू संत पिछड़ी जाति के है । पर राजनैतिक लोगो का यह दिमाग बन गया है कि शंख ,घंटा घड़ियाल लेकर किसी को भी ब्राह्मण बना दो लोग भरोसा कर लेंगे । दूसरी तरफ इंडियन पीपुल्स फ्रंट के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा -यह कर्मकांड कोई ब्राह्मण नहीं कर रहा बल्कि सपा और बसपा कर रही है जिसका कोई असर समाज पर नहीं पड़ने वाला । पौराणिक किवदंतियों में भी परशुराम मात्रहंता माने गए है उन्हें सामने रखकर यह पार्टियां क्या दिखाना चाहती है । एक तरफ आम्बेडकर के नाम पर चलने वाली पार्टी है तो दूसरी तरफ लोहिया के विचारों पर । ये दोनों दल इतना बड़ा प्रतिगामी कदम ब्राह्मण के नाम पर उठा रहे है जिसका साहस भाजपा और कांग्रेस जैसे दल नही कर पाए जो ब्राह्मणों के वोट की राजनीति करते रहे है । अब बसपा में लोग मनु की मूर्ति लेकर चल रहे है । कम से कम इन लोगों को जाति के बारे में लोहिया के विचार तो पढ़ ही लेने चाहिए ।

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