Thursday, November 15, 2018

होका पाम से घिरे द्वीप पर

अंबरीश कुमार मुंबई से करीब घंटे भर बाद नारियल और होका पाम के पेड़ों से घिरे के हवाई अड्डे पर पाँव रखते ही लगा की समुंद्र में उतरने जा रहे है .यह हवाई अड्डा समुंद्र से लगा हुआ है और अन्य शहरों के मुकाबले काफी छोटा और खुला हुआ है . जो सड़क इसे शहर से जोड़ती है उलटी दिशा में वह नागोवा बीच की तरफ जाती है . चारो और पानी से घिरा यह द्वीप अब सैलानियों के आकर्षण का नया केंद्र बनकर उभर रहा है . दीव जो करीब साढ़े चार सौ साल तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहा . आज भी पुर्तगाल की संस्कृति और वास्तुशिल्प की झलक इस शहर में मिलती है . यह शहर आज भी एक कस्बे की तरह है . दीव का बाजार आज भी हाट बाजार की तरह है तो एक भी माल यहाँ नही है और न ही मल्टीप्लेक्स . मछुआरों का परंपरागत व्यवसाय आज भी दीव का प्रमुख व्यवसाय है और ज्यादातर परिवारों का जीवन बसर मछली के कारोबार से जुड़ा है .पर दीव के किले की बुर्ज पर सागर की तरफ तनी हुई तोपों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सैकड़ों सालों तक किस तरह यह द्वीप सामरिक दृष्टि महत्वपूर्ण है . पहले कभी यह समूचा द्वीप इस किले में सिमटा हुआ था पर बाद में दीव किले की दीवारों से आगे बढ़ता गया . किला भी काफी बड़ा है और इसके एक छोर का अवशेष जालंदर समुंद्र तट पर बने सर्किट हाउस के सामने आज भी नजर आता है . अरब सागर की लहरों के थपेड़े से सदियों से मुकाबला कर रही किले की दीवारे अब कमजोर पड़ चुकी है तो बुर्ज भी बदहाल है . किले के भीतर ही ऐतिहासिक चर्च है तो दीव की जेल भी . सामने अरब सागर में एक और किला नजर आता है जो शाम ढलते ही रोशनी से जगमगा जाता है . समूचे दीव में न तो ज्यादा वाहन नजर आते है और न ही शोर शराबा जैसा गोवा में शाम ढलते ही नजर आता है . समर हाउस से पैदल ही बाजार की तरफ चलने पर बाए हाथ विशाल चर्च के सामने दो तीन आटों सैलानियों का इंतजार करते नजर आते है . इनके अलावा करीब दो किलोमीटर चलने पर भी दो चार वहां ही नजर आए इससे दीव के माहौल का अंदाजा लगाया जा सकता है . एक दो रेस्तरां बीच में पड़े जहाँ विदेशी पर्यटक समुंद्री व्यंजन का लुत्फ़ उठाते नजर आए . पर पूरे रास्ते सन्नाटा छाया रहा . बंदर चौक पहुँचने पर जरुर भीड़ नजर आई पर ज्यादातर सैलानी थे जो समुंद्र के किनारे बने रेस्तरां में बैठकर शाम गुजरने आए थे तो कुछ फेरी से समुंद्र का चक्कर काटने के लिए टिकट की लाइन में थे . समुंद्री हवा के बावजूद हलकी सी उमस महसूस हो रही थी जबकी नवंबर का आधा महीना निकल चुका था . पर थोड़ी ही देर में बदल गरजे और तेज बरसात से बचने के लिए बंदर चौक में जेटी के पास बने एक रेस्तरां में शरण लेनी पड़ी . शाम के साढ़े छह बजे थे और पहली मंजिल के इस रेस्तरां में समुंद्र की तरफ लगी सीटों पर बैठे नही कि बेयरा ने बताया कि चाय काफी या कुछ और आधे घंटे से पहले नही मिल सकता . पता चला कि यह रेस्तरां देर शाम खुलता है और रात में देर तक लोग यहाँ से समुंदरी नजारा देखते हुए खाना खाते है . दीव का यही इलाका भीड़ भाड़ वाला है इसके आलावा सिर्फ समुंद्र तट पर सप्ताह के अंत में यानी शनीवार - रवीवार को ज्यदा भीड़ मिलेगी क्योकि तब गुजरात और मुंबई से सैलानियों की भीड़ आ जाती है . गुजरात में नशाबंदी है जिसके चलते शौकीन लोग भी चले आते है . गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भले ही पूरे देश में विकास पुरुष घोषित किया जाए पर दीव के लोग इसे किसी कीमत पर नही मानने वाले क्योकि दीव से समूचे विश्व में मशहूर गीर के जंगल और सोमनाथ की सड़क पर चलते ही गुजरात के विकास का भ्रम दूर हो जाएगा . एक घंटे में बीस किलोमीटर का सफ़र हम तय कर पाए थे . इसकी वजह लोग बारिश बता रहे थे पर समूचे दीव में सडकों पर कही जोड़ का निशान नही नजर आया . केंद्र शासित प्रदेश होने का फायदा दीव को जरुर मिला पर अन्य केंद्र शासित राज्यों के मुकाबले यह जगह काफी बेहतर है . गोवा, दमन और दीव में दीव ही ऎसी जगह नजर आई जो चार पांच दिन से लेकर हफ्ते भर तक लिखने पढने के लिए बेहतर जगह है . भीडभाड से दूर यहाँ कई होटल और गेस्ट हाउस पूरी तरह एकांत में है . जालंदर समुंद्र तट पर दीव का दूसरा सर्किट हाउस ऐसे जगह है जहाँ आसपास कोई आबादी नही है . कैशुरिना और नारियल के पेड़ों से घिरा यह समुंद्र तट पूरी तरह एकांत में है और करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क इससे लगी हुई है . एक छोर पर समर हाउस है तो दूसरे छोर पर किले के अवशेष .दीव में होका पाम ( ताड़ ) के खूबसूरत पेड़ नजर आए जो और जगहों पर नही मिलते है . ताड़ के पेड़ आमतौर पर एक शाखा वाले मिलते है पर यहाँ पर कई शाखाओं वाले ताड़ मिलेंगे जो सड़को के किनारे किनारे चलते है . इसे पुर्तगाली अपने साथ पुर्तगाल से लाए थे . इसके आलावा नारियल के घने झुरमुठ भी जगह जगह नजर आते है . दीव का इतिहास तो रोचक है ही भूगोल भी लोगों को आकर्षित करता है . नागोवा बीच से लेकर घोघला बीच उदाहरण है . सप्ताहांत में तो नागोवा बीच में लगता है मेला लग गया है .और शाम ढलते ही लहरों के पीछे एक छोटी पहाड़ी पर नीले लाल रंग में दीव लिखा जगमगाने लगता है . समुंद्र में वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा है और बच्चे- बड़े समुंद्र की लहरों में पानी के स्कूटर से लेकर मोटर बोट से वाटर स्कीइंग करते नजर आते है . दूसरी तरफ कुछ शौकीन नौजवान समुंद्र में नहाने के बाद रेत पर ही प्लास्टिक के गिलास में मदिरा उड़ेलते नजर आते है . समुंद्र तट पर ओपन एअर बार कई जगह देखा है और गोवा के कलंगूट बीच पर तो महिलाओं को सर पर टोकरी रखकर बीयर से लेकर फेनी बेचती देख चुका हूँ . पर गुजरात के नौजवानों का इस तरह बैठना हैरान करने वाला था . बीच के किनारे करीब पांच सौ वहां लाइन से लगे थे जिसमे कई तो खाना बनाने की व्यवस्था और तंबू आदि के साथ थे . नागोवा से लौटते समय रास्ते में कई जगह सैलानियों के तंबू और चूल्हे भी जलते नजर आए .दीव शहर की तरफ जाते ही सेंट पॉल चर्च रास्ते में पड़ता है . 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में बने इस चर्च को पूरे होने में तकरीबन दस साल का वक्त लगा. पुर्तगालियों ने जो चर्च यहाँ बनवाए उनमे इस चर्च को सबसे भव्य माना जाता है. इसका वुड वर्क दुनिया के बेहतरीन क्राफ्ट वर्क्स में गिना जाता है. इसी के पास ही सेंट थॉमस चर्च है जो अब म्यूजियम में बदल चुका है म्यूजियम में दीव पर राज करने वाले तमाम शासकों और उनके दौर के क्राफ्ट के नमूने हैं. दीव एक और आकर्षण सी-शेल म्यूजियम है जिसे मर्चेंट नेवी के एक कैप्टन ने बनाया है .यहां तकरीबन तीन हजार शेल हैं. यह दुनिया का पहला म्यूजियम है, जहां समुद्र में पाए जाने वाली सीपों और शंखियों को के किनारे पहाड़ी पर बना खुकरी मेमोरियल भारतीय नेवी के शौर्य की अनूठी मिसाल है . खुकरी इंडियन नेवी का एक तेज लड़ाकू जहाज था. 1971 की लड़ाई में इसने पाकिस्तान पर बमबारी की और बाद में नेवी की जांबाजी का परिचय देता हुआ 18 ऑफिसरों और 176 नाविकों सहित समुद्र में समा गया.पुर्तगालियों का बनाया एक और किला समुंद्र के बीच में है जो कभी फोर्ट्रेस आफ पानीकोटा के नाम से जाना जाता था तो आज पानीकोठा भी कहलाता है .इस किले में मोटर बोट से जाया जा सकता है .पर दीव का मुख्य किला ही महत्वपूर्ण माना जाता है जिसका निर्माण १५३५ में नुनो दे कुन्हा ने कराया था बाद में भारत में पुर्तगाल के चौथे वाइसराय (1547-1548) जोआओ दे कास्त्रो ने इस किले का पुनर्निर्माण कराया . किले में चर्च है तो जेल भी और जब यह बना था तो एक छोटा सा पुर्तगाल इसमे समाया हुआ था . इस किले ने कई युद्ध देखे और पुर्तगालियों को बचाया भी . पुर्तगालियों के किले , चर्च और अन्य निर्माण आज भी दीव में है पर अब कोई पुर्तगाली नही बचा है . सभी पुर्तगाल लौट चुके है . पुर्तगालियों की जो पीढी भारत में ही पैदा हुई और जवान हुई वह भी जा चुकी है . गोवा ,दमन और दीव की आजादी के बाद पुर्तगाल ने सभी को वीजा देकर बुला लिया अपवाद है तो गोवा जहा कुछ पुर्तगाली परिवार अभी भी है . जबतक पुर्तगाली शासन रहा पुर्तगाली भाषा आभिजात्य वर्ग की भाषा रही और आज भी कुछ परिवार पुर्तगाली भाषा बोलते नजर आ जाएंगे . पर खानपान और संस्कृति पर पुर्तगाली जो असर छोड़ गए है वह बरकरार है . शाम को खानसामा ने जो सुरमई मछली और किंग प्रान परोसे वह भी पुर्तगाली व्यंजन थे , जो आज भी गोवा ,दमन और दीव में लोकप्रिय है . रिजवान भाई समुंद्र में मछली पकड़ने का कारोबार करते है . खाना बनाने का शौक भी है . रिजवान के शब्दों में - साहब जब समुंद्र में मछली पकड़ने जाते है तब हफ्ता भर रहना पड़ता है . प्लास्टिक के बड़े बड़े डिब्बों जैसे कैशरोल में बर्फ का चूरा लेकर जाते है ताकि मछली पकड़ने बाद उसको रखा जा सके . खाना नहाना सबकुछ छोटे से जहाज पर ही होता है . मै जब खाना बनाने बैठता हूँ तो किसी को हाथ नही लगाने देता . समुंद्र की ताजा मछली होती है और वह मसाले जो पुर्तगाली इस्तेमाल करते थे वही तरीका भी . दीव में आज भी पुर्तगाली खाना बहुत लजीज माना जाता है .यह बानगी है दीव पर पुर्तगाल के असर की . दीव में मदिरा पर टैक्स नही है और काफी सस्ती मिलती है इसलिए दीव के बाहर यानी गुजराज के नौजवानों की भीड़ भी उमडती है और शाम से ही यहाँ के बार गुलजार हो जाते है .जो कुछ और उन्मुक्त होते है वे समुंद्र तट का रुख कर लेते है . पर गोवा की तरह लहराते हुए लोग नही नजर आएंगे . दमन की आबादी में गुजरातियों का बड़ा हिस्सा है और उनके चलते माहौल अलग बना हुआ है खासकर गोवा के मुकाबले . यही वजह है कि दोपहर एक बजते ही बाजार बंद हो जाता है जो शाम को ही खुलता है . सब्जी और मछली बाजार तो दोपहर तक ही लगता है . पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दीव में मछुआरों का कार्यस्थल भी बदल कर घोघला समुंद्र तट पर बसे गाँव में कर दिया गया है ताकि मछली सुखाने से हवा में जो गंध फैलती है उससे निजात मिले . गोवा ,दमन और दीव को आजाद हुए पचास साल होने जा रहे है और दिसंबर से इसके समारोह भी शुरू हो जाएंगे .

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