Wednesday, September 27, 2017
बार नवापारा जंगल का डाक बंगला
Friday, September 22, 2017
बेटियों से युद्ध नहीं संवाद करे सरकार
अंबरीश कुमार
जेएनयू गया तो दिल्ली विश्विद्यालय भी नहीं बचा .अब यूपी के छात्रों से टकराव ठीक नहीं .आज तो मोदी आरती के लिए निकले तो रूट बदलना पड़ा .क्योंकि रास्ते में ये बेटियां खड़ी थी .बता रहे है कि नवरात्र में इन बेटियों पर लाठी चली है .
बनारस हिंदू विश्विद्यालय की एक फोटो आई है .छात्राओं के आंदोलन से निपटने के लिए पुलिस के साथ सुरक्षा बल का वह दस्ता लगाया गया है जो दंगो से निपटता है .ये छात्राएं भी तो वही बेटियां हैं जिनके बचाने का नारा सरकार के शीर्ष पर बैठे नेता दे रहे हैं .बनारस तो देश के सबसे बड़े चौकीदार का राजनैतिक घर है .अब चौकीदार के घर में भी बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी तो कहां रहेंगी .कल एक बेटी के साथ छेड़खानी हुई और एक बडबोले और बौड़म कुलपति के चलते छात्राओं को ही छात्रावास में कैद कर दिया गया .छात्राओं ने विरोध शुरू किया तो दबाने के लिए दंगा निपटाने वाले जवानो को आगे कर दिया गया .आप सोच कर देखे कि आपकी बहन बेटी घर से दूर छात्रावास में रह रही हो और कोई लंपट उसके साथ छेड़खानी करे तो किससे कार्रवाई की अपेक्षा रखेंगे .
साफ़ है विश्विद्यालय प्रशासन से .और जब प्रशासन ही इन बेटियों की आवाज दबाने में जुट जाए तो कौन खड़ा होगा .प्रदेश की यह सरकार जब सत्ता आई थी तो एक एंटी रोमियो स्क्वायड बना कर पुलिस वालों को एक साथ जा रहे लड़की और लड़के को प्रताड़ित करने का हथियार दे दिया गया था .भाई बहन तक थाने में बैठाए गए तो पति पत्नी तक को नहीं छोड़ा .जब एकाध अफसर नेता के परिजन भी फंसे तो यह कवायद बंद हो गई .किसी भी जिले में चले जाएं अगर किसी लड़की महिला से छेड़खानी या बलात्कार का कोई मामला आएगा तो पहला प्रयास यह होगा कि लड़की वाले को थाने से ही बिना शिकायत लिखे भगा दिया जाए .और बलात्कारी बड़े घर का हुआ तो पैसे लेकर मामला रफा दफा कर दिया जाए .यह पुलिसिया चरित्र है .यह कोई योगी सरकार में नहीं बना सभी सरकार में रहा .पर यह तो संस्कार वाली सरकार है ,कुछ तो नई पहल करे कि लड़की सुरक्षित रहे .और जब कोई घटना घटे तो जल्द से जल्द और प्रभावी कार्यवाई हो .क्या यह बेहतर नहीं होता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कम से कम अपने निर्वाचन क्षेत्र में हुई इस घटना की जानकारी लेकर खुद कोई पहल करते .इससे उनका कद ही बढ़ता .विश्विद्यालय से लेकर जिला प्रशासन तक तो जिस लीपापोती में लगा हुआ है उससे लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है .
यह सिर्फ बनारस हिंदू विश्विद्यालय का मामला नहीं है .लखनऊ विश्विद्यालय से लेकर इलाहाबाद विश्विद्यालय तक में छात्राओं को किस तरह दबाया जा रहा है .लखनऊ विश्विद्यालय में छात्रा पूजा शुक्ल को जेल भेज दिया गया .और बडबोला प्राक्टर इस बहाने दूसरों को धमकाने में जुट गया .इलाहाबाद में ऋचा सिंह को किस तरह प्रताड़ित किया गया यह सभी ने देखा है .क्या इस सबसे यह छात्राएं दब जाएंगी .यह संभव नहीं है .हम लोग आंदोलन में रहे है ,देखा है .छात्रों को दबाकर कोई प्रशासन जीत नहीं पाता .लाठी गोली के बाद जेल भी छात्र जाते रहे और लड़ते रहे .इसलिए सरकार इन बेटियों से युद्ध न करे ,संवाद करे .एक परिसर में माहौल ख़राब हुआ तो दूसरा भी नहीं बचेगा .जेएनयू गया तो दिल्ली विश्विद्यालय भी नहीं बचा .अब यूपी के छात्रों से टकराव ठीक नहीं .आज तो मोदी आरती के लिए निकले तो रूट बदलना पड़ा .क्योंकि रास्ते में ये बेटियां खड़ी थी .बता रहे है कि नवरात्र में इन बेटियों पर लाठी चली है .
Wednesday, September 6, 2017
सोशल मीडिया के ये अघोरी !
अंबरीश कुमार
सोशल मीडिया में तरह तरह के तत्व पहले से हैं .कुछ पेड हैं तो कुछ अनपेड है .कुछ वेतनभोगी हैं तो कुछ शौकिया भिड़ते है .इन्हें अंग्रेजी में लोग ट्रोल कहते हैं पर अपनी भाषा में ये लंपट किस्म के कार्यकर्त्ता हैं .छवि निर्माण के साथ सामने वाले की छवि ध्वस्त करने के लिए इनका इस्तेमाल राष्ट्रवादी के मौजूदा नेतृत्व ने शुरू किया था .पहले इस प्रकार की कवायद राजनैतिक विरोधियों को निपटाने के लिए नहीं होती थी .पर बहुत कम .भाजपा तो पुरानी पार्टी है .हम जैसे पत्रकार तीन दशक से इसे कवर करते रहे हैं .बहुत से मित्र भी इस पार्टी में हैं .पर वे तो ऐसे नहीं थे .पार्टी ही बदल रही है .याद आता है नारा ,भाजपा के तीन धरोहर -अटल ,आडवाणी और मुरली मनोहर .अब न ये नारा रहा न ये नेता धरोहर रहे .ये सब शीर्ष नेता निपटा दिए गए हैं .जब कोई नेतृत्व अपनी ही विरासत को निपटा दे तो उसके लिए क्या समाज ,क्या मीडिया और क्या लेखक होंगे .जो विरोध करे उसका चरित्र हनन करो और खत्म करो .यह नई राजनीति है .दीन दयाल उपाध्याय के विचार वाली उस पार्टी की जिसके नेता अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान समूचा विपक्ष करता था .उनका एक जरुरी आपरेशन होना था तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जुगत जुगाड़ से इन्हें विदेश भिजवाया ताकि वे स्वस्थ हो सके .यह राजनैतिक शिष्टाचार का दौर हम लोगों ने देखा है .
और अब देखिए इसी धारा के बेलगाम अघोरी एक पत्रकार की हत्या के बाद उसके चरित्र का पोस्ट मार्टम कर रहे है .तरह तरह के मूर्खतापूर्ण कुतर्क और सवाल ये उठा रहे है .प्रेस क्लब में एक बैठक हुई जिसमे राजनातिक दल के लोग भी आ गए .वे भी इस समाज के हैं .हत्या पर विरोध जताना चाहते थे आए .सभी जगह यह होता है .और सिर्फ एक पार्टी का चश्मा लगाने वाली जमात बोल रही है इसे राजनीति से दूर रखों .राजनीति अभी भी इतनी ख़राब नहीं हुई है जितने सोशल मीडिया के चंद अघोरी समाज को खराब क्र रहे हैं .इनकी भाषा देखिए ,इनकी गालियां देखिए इनकी पोस्ट देखिए .क्या इसे ये अपने भाई बहन ,पुत्र पुत्री के साथ शेयर कर सकते हैं .एकाध मेरी सूची में भी है पर सब अराजनैतिक फ्रीलांस किस्म के लोग .संघ के ,भाजपा के कई मित्र हैं पर इस तरह की बेहूदी टिपण्णी वे नहीं करते जैसे कुछ कर रहे हैं .मैंने अपने एक संघी साथी से पूछा तो बोले ,ये कुछ आईटी सेल के अप्रशिक्षित .अराजनैतिक लोग है .इनका पार्टी की विचारधारा से कुछ नहीं लेना .पर इनका किया धिया सब पार्टी के ही खाते में जा रहा है .जब आप किसी की हत्या पर जश्न मनाने लगे तो ,किसी की हत्या के बाद उसपर सवाल उठाने लगे तो आपकी सोच साफ़ हो जाती है .सत्ता पक्ष के साथ खड़े हो ,उनकी चापलूसी भी करे ठीक है वह आपकी नौकरी का हिस्सा है .पर समाज के प्रति भी आपकी कुछ जिम्मेदारी है .समाज को बनाया जाता है बिगाड़ा नहीं जाता .क्या यह समाज सिर्फ गाय ,गो मूत्र और गोबर की रक्षा से ही आगे बढेगा .आज देश की सर्वोच्च अदालत को तथाकथित गो रक्षकों की गुंडागर्दी पर कार्यवाई के लिए अगर निर्देश देना पड़ा है तो चेत जाइए .अगला नंबर सोशल मीडिया के अघोरियों का भी होगा .बेहतर हो इन्हें आप पहचान ले .

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