Wednesday, September 6, 2017

सोशल मीडिया के ये अघोरी !

अंबरीश कुमार सोशल मीडिया में तरह तरह के तत्व पहले से हैं .कुछ पेड हैं तो कुछ अनपेड है .कुछ वेतनभोगी हैं तो कुछ शौकिया भिड़ते है .इन्हें अंग्रेजी में लोग ट्रोल कहते हैं पर अपनी भाषा में ये लंपट किस्म के कार्यकर्त्ता हैं .छवि निर्माण के साथ सामने वाले की छवि ध्वस्त करने के लिए इनका इस्तेमाल राष्ट्रवादी के मौजूदा नेतृत्व ने शुरू किया था .पहले इस प्रकार की कवायद राजनैतिक विरोधियों को निपटाने के लिए नहीं होती थी .पर बहुत कम .भाजपा तो पुरानी पार्टी है .हम जैसे पत्रकार तीन दशक से इसे कवर करते रहे हैं .बहुत से मित्र भी इस पार्टी में हैं .पर वे तो ऐसे नहीं थे .पार्टी ही बदल रही है .याद आता है नारा ,भाजपा के तीन धरोहर -अटल ,आडवाणी और मुरली मनोहर .अब न ये नारा रहा न ये नेता धरोहर रहे .ये सब शीर्ष नेता निपटा दिए गए हैं .जब कोई नेतृत्व अपनी ही विरासत को निपटा दे तो उसके लिए क्या समाज ,क्या मीडिया और क्या लेखक होंगे .जो विरोध करे उसका चरित्र हनन करो और खत्म करो .यह नई राजनीति है .दीन दयाल उपाध्याय के विचार वाली उस पार्टी की जिसके नेता अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान समूचा विपक्ष करता था .उनका एक जरुरी आपरेशन होना था तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जुगत जुगाड़ से इन्हें विदेश भिजवाया ताकि वे स्वस्थ हो सके .यह राजनैतिक शिष्टाचार का दौर हम लोगों ने देखा है . और अब देखिए इसी धारा के बेलगाम अघोरी एक पत्रकार की हत्या के बाद उसके चरित्र का पोस्ट मार्टम कर रहे है .तरह तरह के मूर्खतापूर्ण कुतर्क और सवाल ये उठा रहे है .प्रेस क्लब में एक बैठक हुई जिसमे राजनातिक दल के लोग भी आ गए .वे भी इस समाज के हैं .हत्या पर विरोध जताना चाहते थे आए .सभी जगह यह होता है .और सिर्फ एक पार्टी का चश्मा लगाने वाली जमात बोल रही है इसे राजनीति से दूर रखों .राजनीति अभी भी इतनी ख़राब नहीं हुई है जितने सोशल मीडिया के चंद अघोरी समाज को खराब क्र रहे हैं .इनकी भाषा देखिए ,इनकी गालियां देखिए इनकी पोस्ट देखिए .क्या इसे ये अपने भाई बहन ,पुत्र पुत्री के साथ शेयर कर सकते हैं .एकाध मेरी सूची में भी है पर सब अराजनैतिक फ्रीलांस किस्म के लोग .संघ के ,भाजपा के कई मित्र हैं पर इस तरह की बेहूदी टिपण्णी वे नहीं करते जैसे कुछ कर रहे हैं .मैंने अपने एक संघी साथी से पूछा तो बोले ,ये कुछ आईटी सेल के अप्रशिक्षित .अराजनैतिक लोग है .इनका पार्टी की विचारधारा से कुछ नहीं लेना .पर इनका किया धिया सब पार्टी के ही खाते में जा रहा है .जब आप किसी की हत्या पर जश्न मनाने लगे तो ,किसी की हत्या के बाद उसपर सवाल उठाने लगे तो आपकी सोच साफ़ हो जाती है .सत्ता पक्ष के साथ खड़े हो ,उनकी चापलूसी भी करे ठीक है वह आपकी नौकरी का हिस्सा है .पर समाज के प्रति भी आपकी कुछ जिम्मेदारी है .समाज को बनाया जाता है बिगाड़ा नहीं जाता .क्या यह समाज सिर्फ गाय ,गो मूत्र और गोबर की रक्षा से ही आगे बढेगा .आज देश की सर्वोच्च अदालत को तथाकथित गो रक्षकों की गुंडागर्दी पर कार्यवाई के लिए अगर निर्देश देना पड़ा है तो चेत जाइए .अगला नंबर सोशल मीडिया के अघोरियों का भी होगा .बेहतर हो इन्हें आप पहचान ले .

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