Tuesday, March 28, 2017

पहाड़ भी बदल रहा है

अंबरीश कुमार शाम को स्टेशन की तरफ गए तो कुछ पक्षियों की फोटो ली .तभी धर्मेंद्र के पिता जो सेना से सूबेदार के रूप में रिटायर हुवे वे वृंदावन आर्चिड की ढलान पर मिल गए .चौथे पहर में भी धूप पूरी तरह खिली हुईं थी .सिंधिया के शिकारगाह के पीछे से हिमालय की बर्फ से ढकी चमक रही थी .एक परिंदा अखरोट के पेड़ से उड़ा तो ठीक सामने फूलों से लादे एक दरख्त पर बैठ गया .कैमरा निकाला तभी एक लंगूर तभी खुबानी के पेड़ पर नजर आया .फोटो लेते हुए सूबेदार साहब से बात हुई .आगे बढे तो गेट पार करते ही किच्छा से रोज मछली लेकर आने वाला दिख गया तो हैरानी हुई .क्योंकि भवाली में तो आज शाकाहारी दिवस मनाया जा रहा था .आगे बढे तो पुलिस चौकी के बगल में बकरा और मुर्गा भी दिख गया .पूछा तो पता चला इधर मिल रहा है भवाली में दिक्कत है .दिन में ही भीमताल में ही हिंदू जागरण मंच जैसे किसी संगठन का जुलूस सामने पड़ा तो कुछ देर खड़े रहना पड़ा .उग्र भाव भंगिमा वाले नौजवान हुल्लड़ मचाते हुए नारे लगाते हुए दर्जनों मोयर साईकिल के साथ गुजर गए .पता चला पहाड़ पर लोग उत्तर प्रदेश के पहाड़ी मुख्यमंत्री बनने से बम बम है .हालांकि इससे पहले भी अविभाजित उत्तर प्रदेश के कई मुख्यमंत्री पहाड़ के हुए है .पर आदित्यनाथ योगी की बात कुछ अलग है .वे न सिर्फ उतराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच नया संबंध विकसित कर रहे है बल्कि हिंदुत्व की वह अलख जो उन्होंने पूर्वांचल में जगाई थी अब उसकी उम्मीद उतराखंड में भी दिख रही है .अपने साथ चल रहे एसके सिंह भी योगी से काफी प्रभावित रहे हैं .हालांकि अपने ज्यादातर राजपूत मित्र योगी में देश का नया राजपूत नेतृत्व देख रहे हैं .खैर एसके सिंह ने भवाली में चिकन लेना चाहा पर समूचा भवाली बाजार छान लेने के बावजूद कही उन्हें चिकन नहीं मिला .पता चला आज मंगलवार है और कहीं भी चिकन नहीं मिलेगा .तभी ड्राइवर ने बताया कि हाल में इस तरह की सख्ती बढ़ गई है .पहाड़ के अपने ज्यादातर मित्र सामिष है और वे किसी खास दिन का भी परहेज नहीं रखते है .पर पहली बार पहाड़ में इस तरह की प्रवृति नजर आई .तभी ड्राइवर ने यही भी बताया कि मंगलवार के दिन नाई की भी दूकान जबरन बंद करा दी जाती है .पहाड़ पर इस तरह का सांस्कृतिक बदलाव पहली बार दिखा .बाजार में ही चिंटू पांडे तिलक लगाए मिल गए .वे वर्षों से तिलक लगा कर ही दूकान जाते है .उनकी दूकान मुख्य बाजार से कुछ दूर पर है जहां एक छोटा मोटा पहाड़ी मोहल्ला बस गया है .सामने बिजली विभाग का दफ्तर है .चिंटू पांडे कर्मकांडी हिंदू है और ब्राह्मण होने की वजह से हम सब से अतिरिक्त सम्मान की अपेक्षा रखते है .उनका व्यापारिक हिसाब भी बहुत साफ़ है .जो सामान मुख्य बाजार में बीस रुपये का मिलता है उसमे वे दस फीसद यानी दो से तीन रुपए सीधे बढ़ा देते है जैसे एक पैकेट दही बाईस रुपए का मिलेगा तो तेल में यह इजाफा दस फीसद का कर देते हैं .वे इस फर्क का तार्किक आधार दूरी बताते है .करीब एक किलोमीटर पर वे दस फीसद की सात्विक किस्म की बढ़ोतरी करते है .अगर उनकी दूकान चार पांच किलोमीटर दूर होती तो उपभोक्ता पर कितना बोझ पड़ता अंदाजा लगाया जा सकता है .खैर मूल मुद्दे पर लौटे .सीधे बोले ,अरे ये हो गया यूपी में .अब समय आ गया है कि ये लोग देश छोड़ कर चले जाएं .उनकी मंशा सामने आ चुकी थी .वैसे दबी छुपी मंशा यह बहुत से लोगों की है .भवाली में पिछले एक दशक में बाहर के लोगों ने भी बहुत निवेश किया है .इस निवेश का एक धार्मिक आधार भी देखा जा रहा है .इस अंचल के दलित लोग ही इसे लेकर सवाल उठाते रहें है .इससे सामाजिक समीकरण को समझा जा सकता है .यूपी में भाजपा की जीत से पहाड़ पर लोगों में नई उम्मीद जगी है .हालांकि खानपान के नियंत्रण को ल्रेकर कुछ शंका भी है .धर्म कर्म करते रहें पर खानपान पर किसी तरह का अंकुश क्यों .

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