Tuesday, March 3, 2015

समुद्र तट पर बढ़ता संकट

समुद्र तट पर बढ़ता संकट अंबरीश कुमार कुछ वर्ष पहले तक देश के कई द्वीप और पहाड़ी क्षेत्र सैलानियों के लिए प्रतिबंधित थे पर बाद में उन्हें भी पर्यटन के नाम पर खोल दिया गया ।इनमें लक्ष्यद्वीप ,अंडमान निकोबार से लेकर लद्दाख और पूर्वोत्तर के कई अंचल शामिल थे । पर कुछ ही समय में पर्यटन के नाम पर इन क्षेत्रों का जिस तरह अंधाधुंध व्यावसायिक दोहन हुआ उससे सभी जगह कई तरह की समस्या सामने आने लगी है ।इसमें सबसे बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है । इन द्वीप के साथ समुदी तट पर भी संकट बढा है । पुरी ,विशाखापत्तनम ,चेन्नई से पांडिचेरी ,केरल के कोवलम से लेकर कन्याकुमारी के समुद्र तटों पर जिस तरह अतिक्रमण बढ़ रहा है उसे देखते हुए नहीं लगता कि एक दो दशक बाद ये खुले समुद्र तट बच पाएंगे ।पहले समुद्र तट पर निर्माण की दूरी पांच सौ मीटर थी जिसे कई जगहों पर घटा कर दो सौ मीटर कर दिया गया है ।इसके बावजूद चाहे पुरी का समुद्र तट देख ले या कोवलम का बीस से पचास मीटर दूरी तक निर्माण नजर आ जाएगा ।समुद्र तटों की सुरक्षा के लिए बना तटीय नियमन क्षेत्र कानून भी इसे रोक नही पा रहा है ।लक्ष्य द्वीप का मशहूर बंगरम द्वीप वर्षों से एक होटल समूह के पास है और इस द्वीप तक पहुँचने के लिए कवरेती और अगाती द्वीप तक जाना होता है ।पिछले दो दशक में इन दोनों द्वीप के आसपास का पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो चूका है जिसका असर समुद्री जीव जंतुओं पर भी पड़ चुका है । वजह समुद्री जहाजों का बढ़ता फेरा और हवाई यातायात भी है ।यहां पर नारियल और पपीता के अलावा कुछ नहीं होता और सारा सामान पहले बड़े समुद्री जहाज और फिर मोटर बोट के जरिए इस द्वीप तक लाया जाता है । दिनभर में कई बार इन मोटर बोट का आना जाना होता है और इनका कचरा भी गहरे समुद्र से लेकर लैगून में ही फेंका जाता है ।समुद्र तटों के किनारे बसे रिसार्ट हो या द्वीप में यह एक बड़ी समस्या है जिसके चलते इनके आसपास का पर्यावरण प्रभावित हो रहा है , यह एक बानगी है और कई द्वीप इस संकट से जूझ रहे है ।दूसरी तरफ तटीय राज्यों में स्थिति और बदतर होती जा रही है ।कोवलम समुद्र तट केरल का सबसे खुबसूरत तट माना जाता है पर अब पहले जैसी प्राकृतिक खूबसूरती नजर नहीं आती ।इस तट पर इस कदर अतिक्रमण हुआ है कि कोस्टल रेगुलेशन जोन यानी तटीय नियमन क्षेत्र अध्यादेश के उलंघन की करीब दो हजार शिकायते आ चुकी है ।यह हाल सभी तटीय राज्यों का है ।ओडिशा में समुद्र तट पर होटलों के बढ़ते अतिक्रमण को लेकर अदालत को दखल देना पड़ा तो गोवा में प्रभावशाली नेताओं से लेकर कई बिल्डरों के खिलाफ मामला चल रहा है । समुद्र तटों पर सैलानियों की बढती संख्या से पर्यटन उद्योग तेजी से फल फूल रहा है तो इसके चलते अवैध अतिक्रमण भी बढ़ रहा है ।गोवा के समुद्र तटों पर अवैध कब्जे की घटनाएं लगातार बढती जा रही है ।एक तरफ होटल और रिसार्ट इन तटों पर तेजी से खुल रहे है तो दूसरी तरफ आवासीय योजनाएं । विशाखापत्तनम में समुद्र तट के किनारे से गुजरने वाली सड़क पर बहुमंजिली इमारतों की कतार खड़ी हो चुकी है और ये इस शहर का सबसे महंगा रिहायशी इलाका माना जाता है । समुद्र तट पर बसे हर शहर की यही स्थिति है ।पर इसका दूसरा और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह भी है कि इनका सारा कचरा भी समुद्र में बहाया जा रहा है । चाहे समुद्र तट पर बसे रिसार्ट और होटल हो या एपार्टमेंट ,आम तौर पर इनका कचरा सीवर लाइन के जरिए समुद्र में डाला जा रहा है ।देर सब्स्र इसका घातक परिणाम हमें भुगतना होगा ।साभार -दैनिक हिंदुस्तान

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