Wednesday, July 4, 2018

और एक ये हैं प्रचारक कुलपति

चंचल पढ़ाई में एक विषय है समाजशास्त्र । इस विषय के जनक हैं , राजाराम शास्त्री । काशी विद्यापीठ के कुलपति रहे हैं । हम सौभाग्यशाली हैं कि उनके कार्यकाल में उनका विद्यार्थी रहा । यह जिक्र इसलिए कर रहा हूँ कि आज लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति ने निहायत ही शर्मनाक और बेहूदी हरकत की है । लडकिया कई एक लड़के अपनी मांग को लेकर अनशन पर थे । कुलपति के 'आदेश ' पर पुलिस ने जिस तरीके से इन बच्चों को गिरफ्तार किया वह बहुत कमीन हरकत लगी । हम कहां जा रहे हैं ? क्या कहा है उस लड़की ने जिसके चलते उसके प्रवेश पर रोक लगा है ? कुछ यो शर्म करो । हमने श्री राजाराम शास्त्री का जिक्र किया । बहुत बड़े आदमी रहे । कोई सुरक्षा नही , कोई आडंबर नही , खादी का कुरता धोती पहने काशी विद्यापीठ में प्रवेश करते थे , ठकुराइन ने कुलपति को रोक लिया । - शास्त्री जी ! तुमही फैसला करो । ई बकरी अधिया पे मुमताज ने शकील को दिया । इस छेण्ड ने तीन बच्चे जने , बंटवारा में कुल सात रुपये का फर्क आ रहा है यह कौन देगा ? शास्त्री जी चुप रहे , फिर बोले - ठकुराइन ! ई झगड़ा ना है , इसे रगड़ा कहते हैं , सात रुपये राजाराम देगा । और कुलपति राजाराम शास्त्री ने जेब से सात रुपये निकलाल कर ठकुराइन के हाथ पर रख दिये । कम्बख्हत कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय ! हटोगे ओहदे से कोई जिक्र नही होगा , कुलपति का जिक्र होगा तो आचार्य नरेन्द्रदेव , राजाराम शास्त्री , डॉ त्रिगुण सेन ,डॉ इकबाल नारायण का होगा । कुलपति का ओहदा होता है मात्र छात्र की वजह से । इतनी समझ रख लो किलपति यस पी सिंह । हटना तो हॉइ ही कैसे भागोगे वहः रास्ता तय करो । आज बच्चों की गिरफ्तारी ने हमे विचलित किया है. (छात्रा पूजा शुक्ल का गिरफ़्तारी के बाद अस्पताल में भी अनशन जारी )

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