Thursday, March 15, 2018

फिर फूटा हिंदुत्व का गुब्बारा

अंबरीश कुमार गोरखपुर /लखनऊ .वर्ष 2014 की जनवरी का आखिरी हफ्ता लोगों को आज भी याद है खासकर गोरखपुर के लोगों को .भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने यही एक रैली में मुलायम सिंह यादव को चुनौती देते हुए कहा था ' नेताजी ,यूपी को गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए. मोदी का यह जुमला भाजपाइयों में बहुत लोकप्रिय हुआ था .पर बीते बुधवार को गोरखपुर में जो हुआ उससे योगी मोदी सब चित हो गए .गोरखपुर से भाजपा का करीब तीन दशक पुराना तंबू उखड़ जाएगा यह कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है .यह करिश्मा अखिलेश और मायावती की रणनीति का था .जिसने हिंदुत्व का वह गुब्बारा ही फोड़ दिया जिसमे ये चार साल से ये हवा भर रहे था .गाय ,गोबर ,गोमूत्र और हत्यारे गो रक्षकों का अराजक झुंड .जो खिलाफ बोले उसे ये देशद्रोही होने का तमगा दे देते थे .खुद इनके वैचारिक पूर्वजों ने अंग्रेजों की मुखबिरी की ,दलाली की पर ये देशभक्त बन गए .कश्मीर में ये उन ताकतों से हाथ मिलाते जो कश्मीर की आजादी के लिए मारे गए लोगों को शहीद मानते .पूर्वोत्तर में ये देश तोड़क ताकतों का साथ लेते .पर उत्तर प्रदेश मे ये सामाजिक न्याय की ताकतों पर हमला कर रहे थे .दलित पिछड़ों की एकता को इन्होने सांप छंछूदर तक कह डाला .यह सब इसी की प्रतिक्रिया थी .दरअसल यह वैसी ही एकता की शुरुआत थी जैसी करीब सवा दो दशक पहले कांशीराम और मुलायम के बीच हुई . फैजाबाद में इन दोनी नेताओं की पहली साझा रैली के संयोजक और खांटी समाजवादी जयशंकर पांडे ने तब नारा दिया था ' मिले मुलायम कांशीराम ,हवा में उड़ गए जय श्रीराम .तब इस एकता ने मंदिर आंदोलन के नाम पर मजहबी गोलबंदी की हवा निकाल दी थी .पिछले एक हफ्ते में इतिहास फिर दोहराया जा रहा था . गोरखपुर में मतदान से तीन दिन पहले हमने शहर का जायजा लिया था .जिस सेवाय होटल में आठ मार्च को रुके उसी की सड़क पर बनी पार्किंग में शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा थी .ठीक सामने टाउन हाल का मैदान था पर व्यस्त सड़क पर मुख्यमंत्री जब सभा करे तो समझना मुश्किल नहीं था कि माजरा क्या है .अखिलेश यादव ने बड़े चंपा पार्क में सभा की थी जिसमे मुख्यमंत्री की सभा के मुकाबले पच्चीस गुना ज्यादा लोग आए थे .यह टिपण्णी एक बड़े अभियंता एमपी सिंह की थी जो उस सभा में थे .एमपी सिंह आगे बोले ,इस हार से हमें कोई ख़ुशी नहीं है पर तकलीफ भी नहीं है .यहां के लोग बहुत परेशान रहे .पहले तो मान लेते थे कि सरकार दूसरे की है तो बाबा का क्या कसूर .पर अब तो वे खुद सरकार थे .क्या किया ? आजिज आकर लोग चाहते हैं बाबा मठ के भीतर ही हेलीपैड बनवा ले ताकि जब वे आएं तो बिना वजह पुलिस लोगों को मार मार कर न भगाए सड़क से .कितने लोग पीटे जाते हैं जब वे आते है . शहर में अलग अलग हिस्सों में लोगों से जो बात हुई उससे साफ़ नजर आया कि मध्य वर्ग और अगड़ी जातियां पूरी तरह भाजपा के साथ हैं .शहर में कायस्थों की ठीकठाक संख्या है और वे पूरी तरह योगी के साथ थे .बनिया ,बाभन और ठाकुर भी .ब्राह्मणों का एक हिस्सा जरुर विरोध में था .खासकर जो पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में था .दूसरे दिन सुबह हरिशंकर तिवारी के घर यानी हाता में उनसे मुलाक़ात हुई .इस बीच हरिशंकर तिवारी के भांजे और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडे के साथ विधायक विनय तिवारी भी आ गए .ट्रैक शूट में आए हरिशंकर तिवारी बहुत कम बोले पर जो बोले उसका लब्बोलुआब यह था कि योगी हारेंगे .इसी समय समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता भी पहुंचे और बातचीत की .विनय तिवारी को मै विश्विद्यालय के दौर से जानता हूं .उनका दावा था कि योगी हार रहे है लिख कर नोट कर ले .पता चला ये लोग पूरी ताकत से लगे थे . पर सबसे ज्यादा ताकत समाजवादी पार्टी ,पीस पार्टी और बसपा की थी .निषाद खुलकर साथ था तो बसपा ने दलितों को पूरी तरह लामबंद कर दिया .बसपा के गोरखपुर मंडल के प्रभारी घनश्याम चंद खरवार ने कहा , हम लोगों ने बहनजी का निर्देश मिलते ही काम शुरू कर दिया था .हमारे कार्यकर्ताओं के पास साधन नहीं नहीं है पर वे गांव गांव गए समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार जिताने .संघ के लोग क्या मुकाबला करेंगे जिस तरह हमारे कार्यकर्ताओं ने दिनरात एक कर दिया .हालांकि यह बहु आसान नहीं था .दोनों दलों के समर्थकों के बीच बहुत दूरी रही है .फिर भी काफी हद तक हमें सफलता मिली .दरअसल सपा के मूल वोट बैंक में यादव बिरादरी का एक हिस्सा इस चुनाव में भी भाजपा के साथ गया है .पर बड़ी संख्या में निषाद ,मुस्लिम ,दलित और अन्य पिछड़ी जातियों की एकजुटता ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया .अगड़ों में भी कुछ वोट भाजपा के खिलाफ गया जो सरकार के कामकाज से नाराज था . दरअसल गोरखपुर का अर्थ मठ ही माना जाता है जो अब राजपूतों की पीठ मान ली गई है .योगी के बारे हमने पहले भी लिखा है कि वे चार साल ग्यारह महीने ठाकुर रहते हैं ,चुनाव वाले एक महीने में वे हिंदू हो जाते है .पर इतिहास कुछ और भी है .पत्रकार दिलीप मंडल के मुताबिक गोरखपुर का नाथ मठ निषाद-मल्लाह-बिंद लोगों का है. मत्येंद्रनाथ यानी मछेंद्रनाथ द्वारा स्थापित मठ है यह.यह बात ग्रंथों में प्रमाणित है.हर किसी को मालूम है कि ठाकुरों ने उस पर कब्जा जमा रखा है. अजय सिंह बिष्ट यानी योगी आदित्यनाथ का कब्जा इन दिनों चल रहा है.पर अब तो अवैध कब्जा खत्म हो. खैर कई और कोण भी थे इस चुनाव में .प्रशासन खासकर कलेक्टर ने जिस तरह कारसेवक की भूमिका निभाई उससे विपक्ष को खासा नुकसान हुआ है .समाजवादी पार्टी ने तो जानकारी मिलने के बावजूद गोरखपुर के कलेक्टर के खिलाफ समय पर कोई शिकायत तक नहीं दर्ज कराई .यह इनके काम करने का तरीका है .वर्ना हार जीत का अंतर काफी बड़ा होता .इस सबके बावजूद सपा नेता राम गोविंद चौधरी से लेकर जयशंकर पांडे जैसे बहुत से कार्यकर्ताओं ने जो परिश्रम किया उसका नतीजा सामने है .यह साझा जीत है . बहरहाल यह तब जब मायावती ने कोई सभा नहीं की सिर्फ संदेश दिया था .अगर अखिलेश और मायावती की साझा सभा हो जाती तो इनका हिंदुत्व किनारे लग जाता .अखिलेश यादव ने जीत के फ़ौरन बाद मायावती से मुलाकात कर भविष्य की राजनीति का नया रास्ता खोल दिया है .अखिलेश पहली बार छोटे छोटे दलों के नेताओं से मिले ,उनके साथ बैठे .इसका बड़ा राजनैतिक संदेश गया है .पर भाजपा को कम न आंके .खिसकी हुई जमीन पाने के लिए वह हर हथकंडा इस्तेमाल करेगी .यह सीधी लड़ाई है मोदी बनाम अखिलेश ,मायावती और लालू यादव की .योगी ,नीतीश कोई अर्थ नहीं रखते .

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