
अंबरीश कुमार
लखनऊ , मार्च । उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में शामिल अंततः पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को चाबुक फटकारना ही पड़ा । आज यहाँ मुलायम सिंह को खुद यह कहना पड़ा कि इस सरकार के मंत्री अराजकता से बाज आए वर्ना उनके खिलाफ भी कार्यवाई होगी । सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव है पर समूचा मंत्रिमंडल मुलायम सिंह का है जो सभी को साथ लेने के चक्कर में विवादों में भी घिरा । पर पहला मुद्दा समाजवादी पार्टी की पुरानी संस्कृति का है जो कई बार लोकतंत्र को भी लूट लेती रही है इसी वजह से पार्टी की छवि ख़राब हुई थी जिसे अखिलेश यादव के भरोसे पर प्रदेश ने भारी बहुमत सौंप दिया । बहुमत आने बाद से जो घटनाए हुई उससे यह छवि दरके इससे पहले ही कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और आज फिर दिखाया गया । साथ ही मंत्रियों को चेतावनी भी दी गई कि अब परंपरा बदल गई है नही माने तो दंडित भी किए जाएंगे ।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने आज कहा - मंत्रिमण्डल के सभी सदस्य अपने स्वागत समारोहों में आतिशबाजी और फायरिंग से बचें। उन्होने कहा स्वागत समारोहों में मालाएं पहनाई जा सकती हैं लेकिन ऐसा कोई काम नहीं होना चाहिए जिससे जनता को असुविधा हो। मुलायम सिंह यादव ने यह भी साफ़ किया कि केन्द्र सरकार में समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हो रही है। हम केन्द्र सरकार को सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए ही समर्थन दे रहे है। हमारी भूमिका विपक्ष की है। इससे पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुएमुलायम सिंह यादव ने कहा -अब बहुत दिन समाजवादी पार्टी की जीत और सरकार बनने का जश्न मना लिए। अब वे अपने-अपने क्षेत्रों में लौट जाए और सन् 2014 में लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी सीटें जीतने के लक्ष्य के लिए काम करने में जुट जाएं। उन्होने कहा कि कार्यकर्ताओं से पार्टी बनती है और वह मंत्री बनाती है। मैं जनता के साथ रहूँगा । हम आपस में मिलकर काम करेगें। सरकार पर अंकुश लगाएगें।
दरअसल सारा मामला छवि का है। मुलायम की छवि ध्वस्त कर मायावती सत्ता में लौटी थी पर उन्होंने और उनके मंत्रियों ने जो जो किया उसके चलते बसपा की नई छवि बनी बनी। वह बसपा जिसका मजबूत दलित जनाधार कांसीराम ने तैयार किया था और एक नया राजनैतिक एजंडा मायावती को थमाया था उसे मायावती खुद ,उनके दो चार अफसर और दर्जनों मंत्रियों ने ध्वस्त कर दिया। इस बार तो उनका सर्वजन गया और गैर जाटव वोट बैंक भी दरक चुका है ,यह खतरे का संकेत है। पर उससे ज्यादा जोखम भरा रास्ता समाजवादी पार्टी का है। मुलायम सिंह के साथ जब यह संवाददाता आजमगढ़ की बड़ी रैली से लौट रहा था तो रास्ते में बलराम यादव ने मुलायम सिंह से कहा था -नेताजी ,यह भीड़ इस कुशासन के खिलाफ आई है अगर हम भी इस रास्ते पर चले तो अगली बार यह जनता हमें भी सत्ता से बेदखल कर देगी । यह बात मुलायम सिंह अच्छी तरह जानते है। जबसे यह चर्चा तेज हुई कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री जरुर है पर समूची कैबिनेट तो मुलायम सिंह की है ,तबसे मुलायम सिंह की भी जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। जब अमरोहा के मंत्री महबूब अली के स्वागत में रायफल और कट्टे निकले तो फिर खुद मुलायम सिंह को यह तेवर दिखाना पड़ा । उत्तर प्रदेश की राजनैतिक संस्कृति में हथियारों का काफी महत्त्व है पर इसपर अगर अंकुश लगाने का प्रयास अखिलेश यादव के राज में न हुआ तो उनका रास्ता भी आसान नहीं होगा । जनसत्ता
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